Chhath Puja 2023 पर बन रहे अद्भुत संयोग, मिलेगा मनचाहा फल
Chhath Puja 2023: 17 नवंबर से छठ महापर्व की शुरुआत होने वाली है। छठ महापर्व बेहद ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार को सबसे ज्यादा बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बंगाल और नेपाल में मनाया जाता है। इस त्योहार को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। छठ पूजा का पर्व संतान के लिए रखा जाता है। छठ में 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है। बता दें कि इस साल छठ महापर्व की शुरुआत 17 नवंबर से होगी और ये पर्व 19 नवंबर तक चलेगा। 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और इसी के साथ छठ पूजा (Chhath Puja 2023) का समापन व व्रत पारण किया जाएगा।
कैसे होती है छठ पूजा?
छठ पर्व की शुरूआत नहाय-खाय (Nahay Khay) के साथ होती है। इसके दूसरे दिन खरना (Kharna) मनाया जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं। शाम को व्रती महिलाएं खीर का प्रसाद बनाती हैं। छठ व्रत के तीसरे दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं शाम के समय तालाब या नदी में जाकर अस्त होते हुए सूर्य भगवान को अर्घ्य देती है। चौथे दिन की सुबह सूर्योदय से पहले ही महिलाएं तालाब या नदी में खड़ी हो जाती हैं और सूर्योदय होने के साथ सूर्य देव को जल देकर छठ पर्व का समापन करती हैं।
बन रहे अद्भुत संयोग
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ज्योतिष की जानकारी रखने वालों की मानें तो इस बार छठ के समय कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन संयोग में सूर्य देव की उपासना करने से कई गुना फल प्राप्त होता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि सुबह 11 बजकर 03 मिनट तक है। इसके बाद पंचमी तिथि शुरू हो जाएगी। छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय मनाया जाता है। नहाय खाय के दिन 11 बजकर 03 मिनट से बव करण संयोग बन रहा है। ज्योतिषी बवकरण को शुभ मानते हैं। बवकरण में शुभ काम किये जाते हैं। साथ ही बव करण में आराध्य देव की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
सालों बाद बन रहा भद्रावास संयोग
सालों बाद नहाय खाय के दिन भद्रावास बन रहा है। इस योग में पूजा करने से व्रत करने वाले को कई गुना फल मिलता है। जानकारों की मानें तो भद्रावास योग में समस्त संसार का कल्याण होता है। इस समय में भद्रा पाताल लोक में निवास करती हैं। इस समय में सूर्य देव की उपासना करने से मनचाहा फल मिलता है।
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