Srikanth Review: राजकुमार राव की फिल्म पहुंची सिनेमा, फीलिंग गुड हो जाएगी देखकर,पढ़े और जानें कैसी है फिल्म?
Srikanth Review: 12th फेल के बाद श्रीकांत जैसी शानदार मूवी ने सिनेमा में दस्तक दी है। इस फिल्म का ट्रेलर देख लोग ने फिल्म को थिएटर में देखने की इच्छा जाहिर की थी। फैंस को पिक्चर की रिलीज का बेसब्री से इंतजार था। ट्रेलर जबरदस्त था फिल्म भी जबरदस्त निकली। जैसा सोचा था बिल्कुल वैसा ही तुषार हीरानंदानी का डायरेक्शन निकला। मूवी देखने के बाद राजकुमार राव की एक्टिंग की तारीफ करते नहीं थकेंगे आप। यह बंदा सच में बहुत कमाल करता है किरदार को ऐसे जीता है जैसे वह तो कही दिख ही नहीं रही सिर्फ किरदार ही नजर आ रहा है। आप किरदार को देख भूल जाएंगे राजकुमार है कौन? चलिए जानते हैं फिल्म कितनी फेल हुई और कितनी पास इस आर्टिकल के जरिए।
बायोपिक फिल्म सच्ची घटना भर देगी जोश
श्रीकांत एक बायोपिक फिल्म है, जो आपमें जोश के साथ-साथ प्रेरणा और आत्मसम्मान से आपके जीवन को भर देगी। यह एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है। यह कहानी है आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम में रहने वाले श्रीकांत बोला की जो देख नहीं सकता, लेकिन इसके सपने बड़े हैं। सपना कोई डॉक्टर या इंजीनियर बनने का नहीं है। सपना है देश का पहला नेत्रहीन राष्ट्रपति बनने का। इस कदम में श्रीकांत को पहला साथ मिलता है स्कूल की टीचर ज्योतिका का लेकिन फिर कुछ ऐसा होता है जिससे उसे स्कूल से निकाल दिया जाता है। आगे क्या होगा श्रीकांत अपनी लड़ाई कैसे लड़ेगा इसके लिए तो आपको सिनेमा हॉल तक जाना होगा।
कहानी मस्त, किरदार कमाल, थोड़ी सी बोरिंग
फिल्म की कहानी अच्छी है अच्छा खासा मोटिवेट करती है लेकिन सेकेंड हाफ में फिल्म थोड़ा सा अपनी कहानी से भटकती हुई दिखाई पड़ती है, लेकिन उसके बाद कहानी दिलचस्प मोड़ लेती नजर आती है। कुल मिलाकर थोड़ी कमियों के बाद भी फिल्म बहुत अच्छी साबित हुई है। आप परिवार के साथ जाकर पिक्चर का आनांद उठा सकते हैं।
एक्टिग, डायरेक्शन सब अच्छा
राज कुमार राव श्रीकांत कमाल के एक्टर है, यहां वह अपनी एक्टिंग को अगले पड़ाव पर ले जाते दिखे। उनकी एक्टिंग देखकर लगता है की इस उन्हें बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिलना तय हैं। अलाया एफ का काम अच्छा है, रोल कम है, ज्योतिका ने भी बहुत अच्छा काम किया है, शरद केलकर की एक्टिंग हर बार की तरह शानदार है। तुषार हीरानंदानी का डायरेक्शन अच्छा है, फिल्म पर उनकी पकड़ दिखाई देती है। वह इससे पहले सांड की आंख और स्कैम 2003 डायरेक्ट कर चुके हैं। जगदीप सिद्धू और सुमित पुरोहित अगर सेकेंड हाफ को और बेहतर लिख सकते थे। खैर फिल्म देखने लायक है सबको देखनी चाहिए।
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