Narendra Dabholkar Murder Case: 11 साल बाद दाभोलकर हत्याकांड में कोर्ट ने सुनाया फैसला, दो को आजीवन कारावास, तीन को किया बरी
Narendra Dabholkar Murder Case: 20 अगस्त 2013 को सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में पुणे की एक विशोष अदालत ने पांच में से दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। बाकी तीन आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया है। नरेंद्र दाभोलकर महाराष्ट्र में अंधविश्वास के खिलाफ आंदोलन चलाते थे। सुबह जब दाभोलकर सैर के लिए घर से निकले थे उस समय दो बाइक सवार आए और उनपर पांच गोलियां चला के फरार हो गए। उनकी मौत पर पुणे में बहुत हंगामा हुआ था।
हत्या को अंजाम ऐसे दिया
20 अगस्त 2013 को घटना के वक्त दाभोलकर सुबह की सैर के लिए घर से निकले थे। ओमकारेश्वर (महर्षि विट्ठल रामजी शिंदे) पुल पर सुबह 7:15 बजे दाभोलकर पर मोटरसाइकिल सवार दो हमलावरों ने पांच गोलियां चलाई। दो गोलियां मिसफायर हुईं, लेकिन दो गोलियां दाभोलकर के सिर में और एक छाती में लगीं। जिससे वह गिर पड़े, फिर दोनों हमलावर मोटरसाइकिल से भाग निकले। दाभोलकर की मौके पर ही मौत हो गई।
चर्चित हथियार डीलर और हिस्ट्रीशीटर का नाम
20 अगस्त 2013 को सुबह करीब 10 बजे हत्या के ठीक 3 घंटे बाद इस मामले के तहत पहली गिरफ्तारी हुई। दो चर्चित हथियार डीलर और हिस्ट्रीशीटर मनीष नागोरी और विकास खंडेलवाल को ठाणे एंटी एक्सटॉर्शन सेल और मुंब्रा पुलिस ने कोपरखैराने, नवी मुंबई से एक असंबंधित कथित जबरन वसूली मामले में गिरफ्तार किया। दोनों व्यक्तियों से बरामद हथियारों में एक 7.65 मिमी की देसी पिस्तौल, चार कारतूस और दो गोलियां शामिल मिली। हथियारों की जांच में पता चला कि जो नागोरी और खंडेलवाल से बरामद एक ही 7.65 मिमी पिस्तौल से चलाए गए थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दाभोलकर के शरीर में मिली गोली के निशान बरामद कारतूसों से मिलते-जुलते थे और हो सकता है।
इसके बाद 20 जनवरी 2014 को पुलिस ने दाभोलकर की हत्या के लिए मनीष नागोरी और विकास खंडेलवाल को औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया। पुलिस को दिए अपने बयान में खंडेलवाल ने माना कि उसके पास एक काले रंग की हीरो होंडा मोटरसाइकिल है। दोनों ने दावा किया कि हत्या के समय वे घर पर सो रहे थे और मिले हथियारों का मौत से कोई लेना देना नहीं है।
CBI को सौंपा गया केस
दरअसल 21 अप्रैल 2014 को पुणे पुलिस ने स्थानीय अदालत में एक हलफनामा दायर किया था। जिसके तहत पुलिस ने बताया कि उनके पास नागोरी और खंडेलवाल के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं और दोनों को जमानत दे दी गई है। छह सितंबर 2019 को CBI ने दाभोलकर हत्या मामले में सचिन अंदुरे और कलास्कर के खिलाफ पूरक आरोप-पत्र दाखिल किया था। CBI ने दावा किया कि विक्रम भावे मास्टरमाइंड था। CBI ने इस मामले में वीरेंद्र सिंह तावड़े, सचिन आंदुरे और शरद कालस्कर को गिरफ्तार किया था। CBI ने इन तीनों के अलावा वकील संजीव पुनालेकर और उनके सहायक विक्रम भावे के खिलाफ 2019 में आरोप पत्र दायर किया था। तावड़े, आंदुरे और कालस्कर जेल में थे। जबकि पुनालेकर और भावे जमानत पर बाहर था।
आरोपियों को मिली आजीवन करावास की सजा
नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के 11 साल बाद अदालत ने दो आरोपियों को सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को उम्रकैद की सजा सुनाई है। जबकि तीन अन्य ईएनटी सर्जन डॉ. वीरेंद्र सिंह तावड़े, मुंबई के वकील संजीव पुनालेकर और उनके सहयोगी विक्रम भावे को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।हत्या को ऐसे दिया अंजाम।
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