झूठे मामले में पहुंचा जेल, वकील बन खुद लड़ा केस, 12 साल बाद मिला न्याय
Amit: कई बार आपने देखा, सुना या पढ़ा होगा कि कोई व्यक्ति ऐसे गुनाह के केस में फंस गया है जो उसने कभी किया ही नहीं। ऐसे केस में व्यक्ति जेल चला जाए और उसके पास केस लड़ने के लिए वकील को हायर करने के पैसे न हों, तो वो क्या करे? ऐसे में वो व्यक्ति पूरी जिंदगी जेल में काटने को मजबूर हो जाता है। एक ऐसा ही मामला हरियाणा के बागपत से सामने आया है जहां एक बेगुनाह व्यक्ति को हत्या के मामले में जेल हो गई थी। उस व्यक्ति के पास पैसे नहीं थे जिसके कारम वो केस नहीं लड़ पाया लेकिन उस व्यक्ति ने हार नहीं मानी और खुद वकील बनके अपना केस लड़ा और बाइज्जत बरी भी हुआ।
कानून की पढ़ाई कर खुद को बारी करवाया
बतां दे पुलिसवाले की हत्या के मामले में एक युवक को जेल हो गई थी। 2 साल बाद जमानत पर बाहर आया और खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए कानून की पढ़ाई की। कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने अपने ऊपर लगे केस की पैरवी करनी शुरू की। लंबी सुनवाई के बाद आखिरकार कोर्ट ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया है।
पूरा मामला बागपत के गांव किरठल का है
बागपत के गांव किरठल में रहने वाला अमित चौधरी 2011 में अपनी बहन के ससुराल गया था। तभी वहां दो पुलिसकर्मियों पर हमला हो गया और उसमें एक पुलिसकर्मी की जान चली गई, एक अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गया। इस मामले में 17 लोगों को आरोपी बनाया गया, जिसमें एक नाम अमित चौधरी का भी था।
अमित चौधरी उस समय 18 साल का था और ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा था। लेकिन पुलिसवाले के मर्डर केस में फंसने के कारण उसका करियर चौपट हो गया और वो जेल चला गया। लेकिन अमित को पता था कि वह बेगुनाह है बस साबित करना है। इसके लिए उसने खुद ही वकील बनकर पैरवी करने की ठानी।
ग्रेजुएशन लॉ और एलएलएम कर लड़ा अपना केस
अमित चौधरी बताते हैं कि “लगभग 2 साल जेल में रहे। जेल में ऐसे लोगों को देखा जो परेशान थे और अपने केस की पैरवी नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में दो साल बाद जेल से निकलते ही पहले अमित ने ग्रेजुएशन पूरी की फिर लॉ और एलएलएम। लॉ के बाद अमित ने अपने केस की पैरवी ख़ुद करते हुए आखिरकार माथे पर लगा दाग मिटा दिया। अमित को सितंबर, 2023 में अदालत ने दोषमुक्त करार दिया।
अमित प्रोफेसर बनना चाहता हैं, दोस्तों ने मदद की
अमित चौधरी का कहना है कि “वह सेना में शामिल होना चाहता था, जिसके लिए वह तैयारी भी कर रहा था पर अफसोस जिंदगी उसको जेल तक ले गई अमित अब आपराधिक न्याय में पीएचडी करना चाहता है और प्रोफेसर बनना चाहता है।” अमित ने बताया कि “एक वक्त उसके पास एक भी पैसा नहीं था, अपने केस की पैरवी करना तो दूर खाने तक के लिए पैसे नहीं थे। उस समय उसके दोस्तों ने हर तरीके से उसकी मदद की थी।”
सबकी मदद करना चाहता हूं, निशुल्क में
कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने अपने ऊपर लगे केस की पैरवी करनी शुरू की 12 साल बाद अब कोर्ट ने उसको दोष मुक्त करार दिया है। दोष मुक्त होने के बाद मानो युवक का दूसरा जन्म हुआ हो उसका कहना है कि “वह ऐसे लोगों की मदद करना चाहता है जो गलत केस में फंसे हैं और जेल में बंद हैं। वह निशुल्क में उनकी मदद करेगा जैसा उसके साथ हुआ वह नहीं चाहता आगे किसी के साथ ऐसा हो।”
Also Read: बुरे फंसे धीरज साहू, जानें liquor कांड में क्या होगा आयकर विभाग का अगला कदम?