May 16, 2024

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उपराष्ट्रपति के मिमिक्री पर सियासत हुई तेज, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने जताई आपत्ति

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kalyan banerjee

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Kalyan Banerjee: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का अपमान करने के मामले में सियासत गरमा गई है। अब टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी ने उपराष्ट्रपति धनखड़ की नकल उतारने पर सफाई दी है। कल्याण बनर्जी ने कहा, मेरे मन में उपराष्ट्रपति के लिए काफी सम्मान है। मिमिक्री करना तो एक कला है। पीएम ने भी मिमिक्री की थी। मेरा इरादा दुख पहुंचाने का नहीं था। माफी मांगने के सवाल पर उन्होंने ‘NO’ कहा है।

वहीं, टीएमसी नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “इस मामले में TMC संसदीय दल बात रखेगा।”

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बता दें कि ये घटनाक्रम मंगलवार को संसद की सीढ़ियों पर विपक्ष के विरोध प्रदर्शन के दौरान देखने को मिला था। तब तृणमूल कांग्रेस नेता कल्याण बनर्जी ने धनखड़ का मजाक उड़ाते हुए नकल की थी। इस दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी को इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनाते देखा गया था। विपक्ष के सांसद अपने निलंबन का विरोध कर रहे थे और सीढ़ियों पर प्रदर्शन करने एकजुट हुए थे।

गौरतलब है कि इससे पहले बुधवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को फोन किया और संसद परिसर में कुछ सांसदों के व्यवहार को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।

पीएम ने कहा, “मैं भी पिछले 20 सालों से इस तरह का अपमान सह रहा हूं। इस बीच राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस घटना पर निराशा जताई है।” वही, उपराष्ट्रपति ने एक्स पर पोस्ट में कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का टेलीफोन आया था। उन्होंने कल पवित्र संसद परिसर में कुछ माननीय सांसदों के घृणित व्यवहार पर बहुत अफसोस जताया। उन्होंने मुझे बताया कि वो पिछले बीस वर्षों से इस तरह के अपमान सहते आ रहे हैं। भारत में उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद के साथ संसद में ऐसा होना दुर्भाग्यपूर्ण है।”

उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैंने प्रधानमंत्री से कहा कि  “कुछ लोगों की हरकतें मुझे अपना कर्तव्य निभाने और हमारे संविधान में निहित सिद्धांतों को बनाए रखने से नहीं रोक सकेंगी। मैं अपने दिल की गहराई से उन मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध हूं। कोई भी अपमान मुझे अपना रास्ता बदलने पर मजबूर नहीं कर पाएगा।”

इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक्स पर पोस्ट लिखा और कहा, “जिस तरह से हमारे सम्मानित उपराष्ट्रपति को संसद परिसर में अपमानित किया गया, उसे देखकर निराशा हुई।” राष्ट्रपति ने लिखा, “निर्वाचित प्रतिनिधियों को खुद को व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए, लेकिन उनकी अभिव्यक्ति गरिमा और शिष्टाचार के मानदंडों के भीतर होनी चाहिए।”

 

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