Congress को तीन राज्यों में मिली करारी मात के बाद ‘INDIA’ गठबंधन में पड़ी दरार!
INDIA: चुनावी नतीजों से महज एक दिन पहले की बात है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कई विपक्षी नेताओं को फोन लगाया। बातचीत में उन्होंने इंडिया गठबंधन की 6 दिसंबर को होने वाली बैठक के बारे में जानकारी दी। खरगे ने गठबंधन के सहयोगी दलों के नेताओं से इस मीटिंग में आने की अपील की। तब तक कांग्रेस नेतृत्व को होश नहीं था कि एमपी, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में उसकी सरकार बन रही है। लेकिन जब नतीजे आए तो कांग्रेस के लिए तेलंगाना के अलावा कहीं से कोई खुशखबरी नहीं आई।
कमलनाथ के कारण सीट गई
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव टीवी पर चुनाव रिजल्ट देख रहे थे। उनकी पार्टी के कुछ करीबी नेता भी उनके साथ में थे। अखिलेश यादव की दिलचस्पी सबसे अधिक मध्य प्रदेश को लेकर थी। जहां कांग्रेस की ओर से कमलनाथ मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे। कमलनाथ के कारण ही एमपी में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में चुनावी तालमेल नहीं हो पाया। जबकि इंडिया गठबंधन के कोआर्डिनेशन कमेटी की दिल्ली में हुई बैठक में कांग्रेस इसके लिए तैयार थी।
कांग्रेस जमीन पर रहेगी
कमलनाथ ने कहा दिया था कि ‘गठबंधन विधानसभा चुनाव के लिए नहीं, आम चुनाव के लिए है।’ तब से कांग्रेस को लेकर अखिलेश यादव का गुस्सा सातवें आसमान पर है। एमपी में कांग्रेस की हार पर अखिलेश यादव के एक करीबी नेता ने अखिलेश के ही सामने बड़ी बात कह दी। उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस जमीन पर रहेगी।
नाराजगी की वजह कांग्रेस का रवैया
गठबंधन में होने के बावजूद कई सहयोगी दल कांग्रेस के बिग ब्रदर वाले रवैये से नाराज हैं। नीतीश कुमार, अखिलेश यादव और ममता बनर्जी के नाम तो जगजाहिर हैं। ये सभी नेता मान कर चल रहे थे कि चुनाव जीतते ही कांग्रेस की मनमानी बढ़ जाएगी। विधानसभा चुनावों में इसकी एक झलक अखिलेश यादव देख चुके हैं। नीतीश कुमार भी कह चुके हैं कि गठबंधन को लेकर कांग्रेस वाले कुछ नहीं कर रहे हैं। जिसके तुरंत बाद कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने उन्हें फोन किया था।
कांग्रेस की वजह से हारे चुनाव
इसके बाद मुंबई में हुई इंडिया गठबंधन की बैठक में तय हुआ ता कि 30 अक्टूबर तक सीटों के बंटवारे को लेकर एक फार्मूला तय कर लिया जाएगा। लेकिन कांग्रेस के मन में तब कोई और ही फार्मूला था। पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व चाहता था कि विधानसभा चुनाव के बाद इस पर होमवर्क शुरू हो। पार्टी के पास इस तरह का फीडबैक था कि चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहेगा। ऐसे हालात में सीटों के बंटवारे पर कांग्रेस को अपर हैंड मिल जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
कांग्रेस निशाने पर है
इंडिया गठबंधन की अगली बैठक में सहयोगी दलों के कई बड़े नेता शायद न पहुंचे। इसके पीछे की रणनीति ये है कि क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस को टार्गेट करना चाहती हैं। इसके लिए इन दलों ने अपने सेकेंड रैंक के नेताओं को मीटिंग में भेजने का मूड बनाया है। यूपी को लेकर कांग्रेस का अब तक तो यही स्टैंड था कि अगर बात नहीं बनी तो वो अकेले ही अपने दम पर चुनाव लड़ने को तैयार है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय लगातार ऐसे बयान दे रहे थे पर अब बदले हुए हालात में अखिलेश यादव एमपी का बदला यूपी में लेने की तैयारी में हैं।
इंडिया गठबंधन में तकरार
सीटों के तालमेल के मामले में अब मनोवैज्ञानिक रूप से समाजवादी पार्टी का पलड़ा भारी है। अखिलेश यादव नहीं चाहते हैं कि यूपी में कांग्रेस को अधिक स्पेस मिले। ममता बनर्जी भी यही चाहती हैं उनका कहना है ‘कि सीटों का बंटवारा स्टेट लेवल पर हो। स्टेट लेवल पर अधिकार उस पार्टी को मिले जिसका उस राज्य में जनाधार हो।’ अखिलेश यादव और नीतीश कुमार भी यही चाहते हैं। अखिलेश तो गठबंधन में रहने पर भी 65 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर चुके है। वो तो लगातार कहते रहे हैं कि रायबरेली और अमेठी छोड़ कर यूपी में कांग्रेस का कोई बेस नहीं है।
कांग्रेस की डिमांड नहीं चलेगी
कांग्रेस की डिमांड नहीं चलेगा
बिहार में गठबंधन की सरकार में कांग्रेस भी शामिल है। आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव को कांग्रेस का करीबी माना जाता है। पर न तो लालू यादव और न ही नीतीश कुमार इस बार कांग्रेस की डिमांड मानने को तैयार हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह लोकसभा की आठ सीटें माँग रहे हैं।
लेकिन नीतीश कुमार सिर्फ़ दो सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ने के मूड में हैं। विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद से कांग्रेस अब बहुत दवाब बनाने की स्थिति में नहीं है। गठबंधन में शामिल क्षेत्रीय दलों का आरोप है कि कांग्रेस सिर्फ़ लेना नहीं देना चाहती है। पर अब ये नहीं चलेगा। आरजेडी के सांसद मनोज झा भी कहते हैं गठबंधन का धर्म निभाने की ज़िम्मेदारी सामूहिक होती है। तो ये तय है कि इंडिया गठबंधन की बैठक में सबके एजेंडे पर कांग्रेस होगी।