May 16, 2024

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दोनों पक्षों को मिलेगी ASI रिपोर्ट की कॉपी, वाराणसी जिला कोर्ट ने दिया यह फैसला

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Gyanvapi: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी की एक जिला अदालत ने बुधवार को बड़ा आदेश दिया। दरअसल उत्तर प्रदेश स्थित वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास मौजूद ज्ञानवापी मस्जिद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी ASI की रिपोर्ट सार्वजनिक होगी या नहीं, इस पर जिला अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने फैसला दिया है कि दोनों पक्षों को एएसआई की सर्वे रिपोर्ट दी जाएगी।

दोनों पक्षों को मिलेगी ASI रिपोर्ट

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दोनों पक्षों को एएसआई द्वारा की गई सर्वे की रिपोर्ट मिलेगी। ज्ञानवापी के सभी पक्षकारों को प्रार्थना पत्र देने पर हार्ड कॉपी प्राप्त होगी। इस विषय पर लिखित आदेश जनपद न्यायाधीश की रिपोर्ट 4:00 बजे आएगी ये रिपोर्ट दोनों पक्षों के पक्षकारों और वकीलों को प्रार्थना पत्र देने के बाद दी जायेगी।

बता दें कि इस महीने की शुरुआत में ही एएसआई से अदालत ने कहा था कि ‘’रिपोर्ट सार्वजनिक या अन्य पक्षों के साथ साझा न किया जाए। एएसआई ने तर्क दिया था कि इससे मामले को लेकर गलत जानकारियां फैलेंगी क्योंकि मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है।”

किसी और के साथ साझा न करें

एएसआई ने अदालत से यह अनुरोध भी किया था कि ‘’अगर दोनों पक्षों को रिपोर्ट की कॉपी दी जाती है तो उन्हें इस बात की भी सख्त हिदायद दें कि वह इसे किसी और के साथ साझा न करें।‘’

ज्ञानवापी मस्जिद का वैज्ञानिक सर्वे होगा

वाराणसी की जिला अदालत ने अपने 21 जुलाई 2023 के आदेश में एएसआई को निर्देश दिया था कि वह ज्ञानवापी मस्जिद का एक वैज्ञानिक सर्वे कराए।

कहा जा रहा है कि मस्जिद का निर्माण वहां पर पहले से मौजूद किसी हिंदू मंदिर के ऊपर कराया गया था। मस्जिद में पूरे परिसर का सर्वे किया गया था। सर्वे के दौरान एएसआई से कहा गया था कि ‘’सर्वे के दौरान परिसर में कहीं खुदाई नहीं की जाएगी और ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा।‘’

मस्जिद नहीं मंदिर था ’ज्ञानवापी’ 

इस मामले में हिंदू पक्ष का कहना है कि ‘’ज्ञानवापी मस्जिद और इसका परिसर एक समय में हिंदू मंदिर हुआ करता था।‘’ उनका दावा है कि मुगल शासक औरंगजेब ने साल 1669 में इस मंदिर को तबाह कर दिया था और फिर मस्जिद का निर्माण करवाया था। यह मस्जिद प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है।

चार भागों में पेश की स्टडी रिपोर्ट

जानकारी के अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर ASI ने सर्वे रिपोर्ट  दाखिल किया। हाई कोर्ट के निर्देश पर फास्ट ट्रैक कोर्ट में शुरू मूल मुकदमे का ट्रायल हुआ है।

मुस्लिम पक्ष ने सर्वे की स्टडी रिपोर्ट सार्वजनिक न करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। 18 दिसंबर को ASI ने कोर्ट के समक्ष स्टडी रिपोर्ट सौंपा और साथ ही ASI ने सील बंद लिफाफे में सर्वे की स्टडी रिपोर्ट भी सौंपी और फिर चार भागों में ASI ने सर्वे की स्टडी रिपोर्ट कोर्ट में पेश किया था।

 

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