Uttarkashi News: मशीनें नहीं अब ‘रैट माइनर्स’, चूहों की तरह खोदेंगे सुरंग, मजदूरों को निकालेंगे बाहर
Uttarkashi News: उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए कई स्तरों पर कोशिशें जारी हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन में कई तरह की बाधाएं भी सामने आ रही हैं। अब सुरंग के ऊपर वर्टिकल ड्रिलिंग भी शुरू हो चुकी है और करीब 30 मीटर से अधिक की खुदाई पूरी कर ली गई है। वहीं, 48 मीटर होरिजेंटल ड्रिलिंग के दौरान जो ऑगर मशीन सुरंग के अंदर डाली गई वह पाइप में फंस गई थी उसे प्लाज्मा कटर से काटकर पूरी तरह बाहर निकाला जा चुका है।
रैट माइनर्स से है, उम्मीदे
अब इस ड्रिलिंग में 48 मीटर से आगे की खुदाई मैनुअली की जाएगी। इसके लिए 6 ‘रैट माइनर्स’ की एक टीम को सिल्क्यारा बुलाया गया है। रैट माइनर्स ने बताया कि माइनर्स बारी-बारी से रेस्क्यू के लिए बनाई गई पाइपलाइन के अंदर छोटा सा फावड़ा लेकर जाएंगे और छोटी ट्रॉली में एक बार में 6-7 किलो मलबा लादकर बाहर निकालेंगे। इस दौरान रैट माइनार्स के पास ऑक्सीजन मास्क, आंखों की सुरक्षा के लिए विशेष चश्मा और पाइपलाइन के अंदर एयर सर्कुलेशन के लिए ब्लोअर मौजूद होगा।
मजदूर एक समुदाय है
रैट माइनर्स ने कहा, ‘हम एक ही समुदाय के हैं- हम मजदूर हैं, सुरंग के अंदर जो फंसे हैं वे भी मजदूर हैं। हम उन 41 मजदूरों को बाहर लाना चाहते हैं। हम भी किसी दिन ऐसे फंस सकते हैं, तब वो हमारी मदद करेंगे.’ इन माइनर्स ने कहा कि हमें ऐसे काम का अनुभव है, कई साल से हम ये कर रहे हैं। इतना भरोसा है कि हम ये कर लेंगे।
इसके बारा में जानकारी देते हुए
रैट माइनर्स ने बताया कि पहले दो लोग पाइपलाइन में जाएंगे, एक आगे का रास्ता बनाएगा और दूसरा मलबे को ट्रॉली में भरेगा। बाहर खड़े चार लोग पाइप के अंदर से मलबे वाली ट्रॉली को बाहर खींचेंगे. एक बार में 6 से 7 किलो मलबा बाहर लाएंगे। फिर अंदर के दो लोग जब थक जाएंगे तो बाहर से दो लोग पाइपलाइन में जाएंगे। इसी तरह बारी-बारी से काम होगा। वहीं, टनल में फंसे मजदूरों को आज खाने में 41 पैकेट सत्तू के लड्डू, दलिया, जैम, ब्रेड, उबले अंडे दिए गए।
रैट माइनिंग ‘चूहों की तरह खुदाई करना’
रैट माइनिंग को आम बोलचाल की भाषा में समझें तो ‘चूहों की तरह खुदाई करना’ कह सकते हैं। जब जगह बहुत संकरी होती है, बड़ी मशीनें या ड्रिलिंग का अन्य उपकरण ले जाना संभव नहीं होता तो रैट माइनिंक का सहारा लिया जाता है. इसमें इंसान हाथों से खुदाई करते हैं। कम जगह में इंसान धीरे-धीरे खुदाई करता है, इसलिए इसे ‘रैट माइनिंग’ नाम दिया गया है।
मैनुअल ड्रिल होगी
बीआरओ के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने बताया कि ऑगर ब्लेड के टुकड़े पाइपलाइन से बाहर निकाल लिए गए हैं। डेढ़ मीटर क्षतिग्रस्त पाइप को रिप्लेज किया जा रहा है। मलबे की निकासी के बाद रैट माइनर्स और सेना की मदद से मैनुअल ड्रिल शुरू होगी। यह सबसे तेज तरीका होगा। रैट माइनर्स प्लाज्मा कटर या पारंपरिक तरीके से मैनुअल ड्रिलिंग करेंगे। उन्होंने आगे बताया कि 31 मीटर तक वर्टिकल ड्रिल हो चुकी है और 200 मिमी व्यास के पाइप को 70 मीटर तक पहुंच जा चुका है। सेना यहां केवल सहायता के लिए है। हम एक बार में करीब एक मीटर मैनुअल ड्रिलिंग की योजना बना रहे हैं।