आमने-सामने उद्धव और एकनाथ शिंदे गुट, स्पीकर के फैसले को चुनौती देकर पहुंचे कोर्ट
Shivsena: जून 2022 में अलग होने के बाद से एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे चुनाव आयोग से लेकर अदालत तक शिवसेना को अपनी पार्टी बताने का प्रयास कर रहे हैं। दोनों ने विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष 34 याचिकाएं दायर कीं। इनमें खुद को असली पार्टी बताने और दलबदल विरोधी कानूनों का हवाला देते हुए एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी। आज फैसला एकनाथ शिंदे के पक्ष में आया है। महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने फैसला सुनाया है, जिसका आदेश उच्चतम न्यायालय ने दिया था। स्पीकर ने उद्धव गुट की दलीलें खारिज करते हुए शिंदे गुट को असली शिवसेना माना। इस फैसले से उद्धव ठाकरे को बड़ा तेजी का झटका लगा है। बता दें की शिवसेना का गठन बालासाहब ठाकरे ने किया था पिता के बाद सत्ता की कुर्सी को उद्धव ठाकरे ने संभाला लेकिन जून 2022 में एकनाथ शिंदे समेत कई विधायकों ने तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी। इस कारण महाविकास अघाडी उद्धव ठाकरे की शिवसेना और अब शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सरकार गिर गई थी। फिर शिंदे बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए।
शिंदे ही असली शिवसेना है
विधायकों को अयोग्य ठहारने की याचिका को खारिज करने के महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर के फैसले पर उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे की शिवसेना का एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं को स्पीकर राहुल नार्वेकर ने बुधवार (10 जनवरी) को खारिज कर दिया था। नार्वेकर ने इस दौरान कहा था कि ”शिंदे की शिवसेना ही असली शिवसेना है। ऐसा इसलिए क्योंकि चुनाव आयोग ने भी ये बात मानी है।” ऐसे में विधायकों की सदस्यता बरकरार रहेगी।
हमारे पास बहुमत है, कब से कह रहे हैं
एकनाथ शिंद ने स्पीकर राहुल नार्वेकर के फैसले पर खुशी जताई और कहा कि ”हमारे पास बहुमत है। ये बात पहले से ही हम कह रहे हैं।” इस पर उद्धव ठाकरे और शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने निशाना साधते हुए बताया था कि ”वो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।”
शिंदे के मुख्यमंत्री बनने तक का सफर
दरअसल अक्टूबर 2019 में महाराष्ट्र में हुए चुनाव में 288 सदस्यीय विधानसभा में 104 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी। वहीं चुनाव में भाजपा की साथी शिवसेना के 56 विधायक जीते। विपक्ष में एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं। बाकी अन्य 29 सीटों पर छोटे दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल की। चुनाव के बाद शिवसेना और भाजपा में ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान हुई और बात न बनने पर गठबंधन टूट गया। भाजपा से अलग होने के बाद नवंबर 2019 में शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ राज्य में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनाई और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने।
सरकार गठन के ढाई साल बाद 20 जून 2022 को शिवसेना में बगावत हो गई। एमएलसी चुनाव में शिवसेना के कई विधायकों ने भाजपा के उम्मीदवार को वोट किया। एक दिन बाद यानी 21 जून को ही उद्धव ठाकरे से नाखुश चल रहे विधायक सूरत चले गए। इन विधायकों का नेतृत्व कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे कर रहे थे। यहां से ये सभी गुवाहाटी पहुंचे। इन विधायकों को मनाने के लिए 22 जून को शिवसेना प्रमुख के कहने पर तीन नेताओं का प्रतिनिधिमंडल बागी विधायकों से मिलने पहुंचा। हालांकि, कुछ बात नहीं बनी।
इसके बाद करीब छह दिन बाद तक उद्धव शिंदे गुट को मनाने में जुटे रहे, लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ। इस बीच उद्धव ठाकरे गुट की शिकायत पर डिप्टी स्पीकर ने 16 बागी विधायकों को अयोग्यता का नोटिस दे दिया। इसके खिलाफ शिंदे गुट सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर की कार्रवाई पर 12 जुलाई तक रोक लगा दी।
उधर, भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल से मिलकर फ्लोर टेस्ट की मांग कर दी। राज्यपाल ने भी इसके लिए आदेश जारी कर दिया। हालांकि, इसके पहले ही उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया। इसी सियासी भूचाल के चलते 30 जून 2022 को उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा, जिसके बाद राज्य की कमान एकनाथ शिंदे ने संभाली और देवेंद्र फडणवीस उप-मुख्यमंत्री बने। उसके बाद से एकनाथ और उद्धव में सियासी जंग जो छिड़ी वो आज तक बरकरार है।
उद्धव और एकनाथ पहुंचे कोर्ट
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे का गुट एक बार फिर से कोर्ट पहुंचा है। दोनों गुटों ने विधायकों की अयोग्यता की याचिका को खारिज करने के महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर के फैसले को चुनौती दी है।
एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने राहुल नार्वेकर के निर्णय को बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) में सोमवार (15 जनवरी) को चुनौती दी। वहीं उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है।