May 11, 2024

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Milind Deora ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा, शिंदे गुट में हुए शामिल, क्यों नहीं थामा BJP का दामन?

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Milind Deora: मिलिंद देवड़ा की गिनती राहुल गांधी के करीबी नेताओं में होती थी, लेकिन अब उन्होंने शिवसेना शिंदे गुट में शामिल होकर कांग्रेस को एक बहुत बड़ा झटका दे दिया है। 55 साल का साथ एक झटके में खत्म हो गया। वहीं, मुंबई का सियासी समीकरण भी बदल गया है। खबरों के अनुसार मुंबई में मिलिंद देवड़ा के जनाधार वाले इलाके में कांग्रेस कमजोर होगी, तो उद्धव ठाकरे की शिवसेना को भी कोई लाभ नहीं मिल पाएगा। जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना मुंबई में भाजपा के सहारे अपना जनाधार बढ़ाने में कामयाब हो जाएगी। ऐसे में अब सवाल यह है कि आखिरी मिलिंद देवड़ा बीजेपी में क्यों नहीं शामिल हुए। उनके पास जबकि अच्छा मौका था बीजेपी में शामिल होने का फिर भी उन्होंने शिवसेना शिंदे गुट में ही जाना सही समझा।

दक्षिण मुंबई के लिए कांग्रेस को छोड़ा

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कांग्रेस छोड़ने वाले मिलिंद देवड़ा ने केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी की जगह शिवसेना शिंदे गुट को क्यों चुना इसके पीछे भी दक्षिण मुंबई की लोकसभा सीट को जिम्मेदार बताया जा रहा है। आमतौर पर मिलिंद देवड़ा दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट से राजनीति करते हैं। यहीं से वो दो बार सांसद भी रह चुके हैं। लेकिन 2014 और 2019 के चुनाव में उनको इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। 2019 के लोकसभा चुनाव में स्थिति कुछ और थी और शिवसेना एनडीए का हिस्सा थी और उद्धव ठाकरे नेता थे। चुनाव में दक्षिण मुंबई की सीट पर शिवसेना ने अरविंद सावंत को उम्मीदवार बनाया था। सावंत ने जीत भी हासिल की, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। शिवसेना दो हिस्से में बंट चुकी है और उद्धव ठाकरे की शिवसेना महाविकास अघाड़ी का हिस्सा है। दूसरी ओर बीजेपी और एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना और एनसीपी के अजित पवार सत्ता में हैं।

पांच साल का इंतज़ार कौन करेगा?

दक्षिण मुंबई की सीट अभी भी उद्धव ठाकरे की शिवसेना के पास ही रहेगी। उन्होंने पिछली दो जीत का हवाला देते हुए सीट कांग्रेस को देने से मना कर दिया है। माना जाता है कि दक्षिण मुंबई की सीट शिवसेना को देना मिलिंद देवड़ा को मंजूर नहीं था। पार्टी के सामने उन्होंने अपनी बात भी रखी थी लेकिन उनकी बातों को दरकिनार कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का फैसला किया। अगर वो कांग्रेस नहीं छोड़ते तो उन्हें सीट के लिए पांच साल तक का इंतजार करना पड़ता। खबरों के मुताबिक, मिलिंद देवड़ा का मानना था कि पांच साल बाद देश की राजनीति और सीट पर कौन सा समीकरण बैठेगा कोई नहीं जानता है।

महज एक सीट के लिए शिंदे को चुना

शिंदे गुट बीजेपी को यह सीट नहीं देना चाहता जिसके बाद चर्चा है कि बीजेपी ने यह सीट छोड़ने का फैसला किया है। इसलिए मिलिंद देवड़ा बीजेपी में शामिल होने के बजाय शिंदे गुट में शामिल हुए हैं। अब आगे देखना होगा कि क्या शिंदे गुट उन्हें दक्षिण मुंबई से उम्मीदवार घोषित करता है या नहीं लेकिन खबरों से यही पता चला है कि मिलिंद देवड़ा और शिंदे गुट में सीट को लेकर डील पक्की हो चुकी है।

एक्स पर बताया क्यों छोड़ा कांग्रेस को?

शिंदे गुट में शामिल होने के बाद मिलिंद देवड़ा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया है। पोस्ट में बताया है कि उन्होंने कांग्रेस को छोड़ने का फैसला क्यों किया। मिलिंद देवड़ा ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी गठबंधन की स्थापना के दौरान भी मैंने यूबीटी के साथ गठबंधन का विरोध किया था, क्योंकि मुझे लगा था कि इससे कांग्रेस पर विपरित असर पड़ेगा।

इसके बाद भी मैं चार साल तक पार्टी को हमेशा सावधानी बरतने की सलाह देता रहा। मिलिंद देवड़ा ने आगे कहा कि ”पार्टी से दरकिनार किए जाने के बावजूद गांधी परिवार और पार्टी के साथ मेरे परिवार के स्थायी रिश्ते को बनाए रखने में मेरी प्रतिबद्धता दृढ़ रही। दस सालों तक मैंने व्यक्तिगत पद या सत्ता की इच्छा किए बिना पार्टी के लिए हर संभव प्रयास किया। 20 सालों बाद भी मेरी प्रबल इच्छा है कि मैं मुंबई, महाराष्ट्र और भारत के लिए सार्थक काम करूं।”

रिश्ते पारिवारिक थे लेकिन सत्ता से बढ़कर नहीं

मिलिंद देवड़ा मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष हैं। इसके साथ-साथ वो केंद्रीय राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। मिलिंद देवड़ा के पिता मुरली देवड़ा केंद्रीय मंत्री होने के साथ-साथ मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष भी थे। देवड़ा परिवार और गांधी परिवार की पहचान करीबी रिश्तेदारों के रूप में होती है। एक समय में मिलिंद देवड़ा को राहुल गांधी का करीबी दोस्त भी कहा जाता था।

मुंबई कांग्रेस में देवड़ा परिवार का प्रभुत्व रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा करीब 25 साल तक मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। मुरली देवड़ा के पास कांग्रेस पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी थी। दक्षिण मुंबई से मिलिंद देवड़ा दो बार सांसद रहे, तो उनके पिता मुरली देवड़ा ने चार बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है। पिता के बाद बेटे मिलिंद देवड़ा ने पार्टी के लिए अहम भूमिका निभाई। मुरली देवड़ा के निधन पर उनके अंतिम संस्कार में न केवल सोनिया गांधी बल्कि राहुल और प्रियंका भी मुंबई पहुंची थी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देवड़ा परिवार का गांधी परिवार के साथ न केवल राजनीतिक बल्कि पारिवारिक रिश्ते भी थे। इसके बावजूद मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस पार्टी को टाटा कह दिया है।

 

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