क्या मानसून सत्र में धुल जाएंगे सारे मुद्दे .? विपक्ष ने लगाए ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ के नारे

विपक्षी दलों के सदस्यों ने संसद में किया हंगामा
Parliament Monsoon Session : संसद में मानसून सत्र के दौरान आज, कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने जमकर हंगामा किया. सदस्यों ने कई खाद्य वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाए जाने, महंगाई और चार लोकसभा सदस्यों के निलंबन के मुद्दों पर नारेबाजी की.
कांग्रेस के 4 सदस्यों को किया गया था निलंबित
Delhi | Congress MPs protest in front of the Mahatma Gandhi statue on the suspension of opposition MPs from Parliament pic.twitter.com/d2aZCnCIXJ
— ANI (@ANI) July 27, 2022
Parliament Monsoon Session : गत सोमवार को लोकसभा में विभिन्न मुद्दों पर हंगामे के दौरान तख्तियां दिखाकर प्रदर्शन करने और आसन की अवमानना करने के मामले में कांग्रेस के चार सदस्यों को निलंबित किया गया था. चालू सत्र की शेष अवधि के लिए मणिकम टैगोर, टी एन प्रतापन, ज्योतिमणि और राम्या हरिदास को सदन की कार्यवाही से निलंबित किया गया था.
जिसके बाद आज सदन में विपक्षी सदस्यों ने उन्हीं चारों लोकसभा सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग करते हुए नारेबाजी की. ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ और ‘निलंबन वापस लेना होगा’ जैसे नारे आज सदन में लगाए गए.
सरकार का मन खुला है- पीठासीन सभापति

लगातार महंगाई पर चर्चा करने के मुद्दे की मांग पर, पीठासीन सभापति सोलंकी ने नारेबाजी कर रहे सदस्यों (Parliament Monsoon Session) से अपने स्थान पर जाने और चर्चा आरंभ करने का आग्रह करते हुए कहा-
सरकार महंगाई पर चर्चा करने के लिए तैयार है. सरकार का मन खुला है. आप लोग अपनी सीट पर जाइए और चर्चा आरंभ करें.
लेकिन बावजूद इसके विपक्ष ने अपना हंगामा नहीं रोका, जिसके बाद सदन की कार्यवाही अपराह्न (afternoon) दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
बिरला ने हंगामे को अशोभनीय बताया
Parliament Monsoon Session: Both Houses adjourned till 2 pm
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लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कई बार शोर-शराबा करने वाले सदस्यों से अपने स्थान पर लौटने की अपील की लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं मानी, जिसके बाद उन्होंने सदन (Parliament Monsoon Session) में हुए हंगामे को अशोभनीय बताया.
और कहा-
यह स्थिति लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है. सदन की नियम-प्रक्रियाएं सदस्यों ने ही बनाई हैं, नियमों में लिखा है कि सदस्य आसन के समीप तख्तियां लेकर नहीं आएं लेकिन आप अपने ही बनाए नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए चर्चा करें और प्रश्नकाल में सरकार की जवाबदेही तय करें. आपका हंगामा जनप्रतिनिधि के तौर पर उचित नहीं है.
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