मोरबी पुल हादसे पर गुजरात हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को लगाई कड़ी फटकार, कहा- ‘नगर पालिका की एक चूक ने ली 135 की जान’
Gujarat HC On Morbi Bridge Case: छठ के मौके पर गुजरात में हुए मोरबी पुल हादसे (Morbi Bridge Case) पर गुजरात हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. कोर्ट ने आज 15 नवंबर को सुनवाई करते हुए पुल के रखरखाव और उसके मरम्मत के लिए जारी किए गए टेंडर की आलोचना की है.
मामले की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार ने नगर पालिका के मुख्य सचिव को तलब करते कई कड़े सवाल पूछे. इस दौरान कोर्ट ने नगर पालिका को कड़ी फटकार भी लगाई.
हाईकोर्ट ने नगर पालिका को लगाई फटकार
➡️"होशियारी न दिखाएं। कॉन्ट्रैक्ट ख़त्म होने पर क्यों नहीं जारी किया गया टेंडर"
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दरअसल मोरबी पुल हादसे में 135 लोगों की मौत (Morbi Bridge Case) हो गई थी. वहीं, अन्य कई लोगों को गंभीर चोटे आई थी. जिसके बाद इस मामले को हाईकोर्ट ने संज्ञान में लेते हुए संबंधित छह विभागों को जवाब के लिए तलब किया था. जिसके बाद नगर पालिका अदालत में पेश नहीं हुई थी. जिसपर हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि-नोटिस के बावजूद वे अदालत में नहीं आए हैं, ऐसा लगता है कि “वे ज्यादा होशियार बन रहे हैं.इसके बजाय कि उन्हें हर सवालों का जवाब देने चाहिए.”
मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार ने आगे कहा कि-इतने महत्वपूर्ण कार्य के लिए टेंडर क्यों नहीं आमंत्रित किए गए थे? पीठ ने इतने महत्वपूर्ण कार्य के लिए समझौता मात्र डेढ़ पेज में कैसे पूरा हो गया? इसको लेकर भी सवाल खड़ा किया.
‘नगर निकाय ने की चूक ने 135 लोगों को मार डाला
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गौरतलब है कि मोरबी नगर पालिका ने मोरबी ब्रिज (Morbi Bridge Case) के रख-रखाव के लिए ओरेवा ग्रुप को 15 साल का ठेका दिया था, जो कि अजंता ब्रांड की वॉल क्लॉक के लिए जाना जाता है. गुजरात हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कई सारे सवाल खड़े किए. कोर्ट ने कहा कि- “नगर पालिका, जो एक सरकारी निकाय है, उसने चूक की है, जिसने 135 लोगों को मार डाला. क्या गुजरात नगर पालिका अधिनियम, 1963 का पालन किया गया था.”
कोर्ट ने आगे कहा कि- हादसे (Morbi Bridge Case) के इतने दिन बाद अब तक, अनुबंधित कंपनी के कुछ कर्मचारियों को ही गिरफ्तार किया गया है, जबकि शीर्ष प्रबंधन, जिसने 7 करोड़ के समझौते पर हस्ताक्षर किया हैं. उसके खिलाफ कोई शिकायत ही दर्ज नहीं है. उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किया जा रहा है. कोर्ट ने इन सभी मुद्दों को उठाते हुए अनुबंध की फाइलें सीलबंद लिफाफे में जमा करने को कहा है.
गुजरात सरकार ने दी ये दलील
मोरबी पुल हादसे (Morbi Bridge Case) पर गुजरात सरकार ने यह दलील दी कि उन्होंने “बिजली की गति” से काम किया और कई लोगों की जान बचाई. उनका कहना है कि मामले में अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है और अगर कोई और दोषी पाया जाता है, तो हम निश्चित रूप से उन पर भी मामला दर्ज कर कार्रवाई करेंगे.” वहीं अदालत ने अपने आदेश में मोरबी के प्रधान जिला न्यायाधीश को एक बेलीफ को नगर निकाय को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है.