May 13, 2024

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बाबरी विवाद – पांच सो साल का इतिहास, कैसे जीती कानूनी लड़ाई?

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Ram Mandir

Ram Mandir

Ayodhya: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण जोरों से चल रहा है। मंदिर के उद्घाटन और मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा की तारीख भी तय है। लेकिन एक तारीख जिसने राम मंदिर आंदोलन की पूरी रूप रेखा तय की वह थी 6 दिसंबर 1992। जानिए इस पूरे विवाद की कहानी, कब क्या हुआ?

अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण अपने अंतिम चरण में है। 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर मंदिर का उद्घाटन होगा और प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। लेकिन अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनने तक की यात्रा कतई आसान नहीं थी। रामजन्मभूमि पर मस्जिद के निर्माण से लेकर वापस राम लला के भव्य मंदिर बनने तक लगभग पांच सदियां लग गई। वाद-विवाद से शुरू हुई कहानी वर्षों-बरस कोर्ट की फाइलों में घूमती रही, आखिरकार जब सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन हिंदू पक्ष को दी तो भगवान राम के भक्तों में खुशी की लहर दौड़ उठी। आज ही के दिन यानी 6 दिसंबर 1992 को ही अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराया गया था।

पांच सदियों का विवाद

अयोध्या का विवाद पांच सदियों से चला आ रहा है। तब से जब से माना जाता है कि बाबर ने मंदिर तुड़वाकर मस्जिद का निर्माण कराया आजादी के बाद से अब तक इस विवाद ने देश की राजनीति को प्रभावित किया है। इसकी वजह से हिंसा हुई, लोग मारे गए, जांच आयोग बनी, आरोपी तय हुए, देश की सबसे बड़ी अदालत में अब यह विवाद खत्म होने के कगार पर है। जल्द ही इस मसले पर फैसला आने की उम्मीद है।

भगवान राम का जन्म स्थान

अयोध्या में एक ऐसे स्थल पर एक मस्जिद बनवाया गया, जिसे हिंदू अपने आराध्य देव भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं। कहा जाता है कि मुगल राजा बाबर के सेनापति मीर बाकी ने यहां मस्जिद बनवाई थी, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था। बाबर 1526 में भारत आया, 1528 तक उसका साम्राज् अवध (वर्तमान अयोध्या) तक पहुंच गया। इसके बाद करीब तीन सदियों तक के इतिहास की जानकरी किसी भी ओपन सोर्स पर मौजूद नहीं है।

1853 जब पहली बार अयोध्या में दंगे हुए थे

कहा जाता है कि अयोध्या में इस मुद्दे को लेकर पहला हिंदू-मुस्लिम हिंसा की पहली घटना 1853 में हुई थी। जब निर्मोही अखाड़ा ने ढांचे पर दावा करते हुए कहा कि जिस स्थल पर मस्जिद खड़ा है। वहां एक मंदिर हुआ करता था। जिसे बाबर के शासनकाल में तोड़ा गया था। अगले 2 सालों तक इस मुद्दे को लेकर अवध में हिंसा भड़कती रही। फैजाबाद जिला गजट 1905 के अनुसार 1855 तक, हिंदू और मुसलमान दोनों एक ही इमारत में पूजा या इबादत करते रहे।

लेकिन 1857 में आजादी के पहले आंदोलन के चलते माहौल थोड़ा ठंडा पड़ गया। 1859 में ब्रिटिश शासकों ने मस्जिद के सामने एक दीवार बना दी। परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिंदुओं को प्रार्थना करने की अनुमति दी गई।  मंदिर-मस्जिद विवाद ने कुछ सालों में इतना गंभीर और भयावह हो गया कि मामला पहली बार अदालत में गया। हिंदू साधु महंत रघुबर दास ने फैजाबाद कोर्ट में बाबरी मस्जिद परिसर में राम मंदिर बनवाने की इजाजत मांगी, लेकीन अदालत ने ये अपील ठुकरा दी। इसके बाद से मामला गहराता गया और तारीखों मिलती रही।
फिर सांप्रदायिक दंगे हुए। इन दंगों में मस्जिद के चारों तरफ की दीवार और गुंबदों को नुकसान पहुंचा। ब्रिटिश सरकार ने इसका पुनर्निर्माण कराया भगवान राम की मूर्ति मस्जिद में पाई गई। कहा जाता है कि मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति हिंदुओं ने रखवाई। मुसलमानों ने इस पर विरोध व्यक्त किया और मस्जिद में नमाज पढ़ना बंद कर दिया। फिर दोनों पक्षों के लोगों ने अदालत में मुकदमा दायर कर दिया। इसके बाद सरकार ने इस स्थल को विवादित घोषित कर ताला लगवा दिया।

गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में अपील दायर कर भगवान राम की पूजा कि इजाजत मांगी। महंत रामचंद्र दास ने मस्जिद में हिंदुओं द्वारा पूजा जारी रखने के लिए याचिका लगाई। इसी दौरान मस्जिद को ‘ढांचा’ के रूप में संबोधित किया गया। 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल के हस्तांतरण के लिए मुकदमा किया। वहीं, मुसलमानों की तरफ से उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद पर मालिकाना हक के लिए मुकदमा कर दिया।

1984 रामजन्मभूमि मुक्ति समिति का गठन हुआ

विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में हिंदुओं ने भगवान राम के जन्मस्थल को मुक्त करने और वहां राम मंदिर बनाने के लिए एक समिति का गठन किया। उसी समय गोरखपुर को गोरखनाथ धाम के महंथ अवैद्यनाथ ने राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति बनाई। अवैद्यनाथ ने अपने शिष्यों और लोगों से कहा था कि उसी पार्टी को वोट देना जो हिंदुओं के पवित्र स्थानों को मुक्त कराए। बाद में इस अभियान का नेतृत्व भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने संभाल लिया।

1986 ताला खोलने का आदेश

जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित स्थल के दरवाजे से ताला खोलने का आदेश दिया। मुसलमानों ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति/बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई।  भारतीय जनता पार्टी ने इस मामले में विश्व हिंदू परिषद को समर्थन दिया। वीएचपी नेता देवकीनंदन अग्रवाल ने रामलला की तरफ से मंदिर के दावे का मुकदमा किया। नवंबर में मस्जिद से थोड़ी दूर पर राम मंदिर का शिलान्यास किया गया।

30 अक्टूबर 1990 अयोध्या में पहली बार कारसेवा हुई और गोलीकांड भी

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के लिए पहली बार कारसेवा हुई थी। कारसेवकों ने मस्जिद पर चढ़कर झंडा फहराया था। इसके बाद पुलिस की गोलीबारी में पांच कारसेवकों की मौत हो गई थी। गोली चलाने का आदेश मुलायम सिंह यादव की सरकार ने दि थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने विवाद सुलझाने का प्रयास भी किया लेकिन सफलता नहीं मिली। उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए. मुलायम सिंह यादव की सपा सरकार हार गई. उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई।

6 दिसंबर 1992 बाबरी मस्जिद का ढहना

30-31 अक्टूबर 1992 को धर्मसंसद में कारसेवा की घोषणा की गई। नवंबर में यूपी के सीएम कल्याण सिंह ने अदालत में मस्जिद की हिफाजत करने का हलफनामा दिया। ये विवाद में ऐतिहासिक दिन के तौर पर याद रखा जाता है, इस रोज हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया. अस्थाई राम मंदिर बना दिया गया. इसके बाद ही पूरे देश में चारों ओर सांप्रदायिक दंगे होने लगे। इसमें करीब 2000 लोगों के मारे गए।

16 दिसंबर 1992 मस्जिद ढहाने की जांच के लिए लिब्रहान आयोग बना। मस्जिद को ढहाने के मामले को लेकर लिब्रहान आयोग बनाया गया। जज एमएस लिब्रहान के नेतृत्व में जांच शुरू की गई। 1994 इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में बाबरी मस्जिद विध्वंस से संबंधित केस चलना शुरू हुआ।

सितंबर 1997 मस्जिद ढहाने को लेकर 49 लोग दोषी करार दिए गए

बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने इस मामले में 49 लोगों को दोषी करार दिया। इसमें भारतीय जनता पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं के नाम भी था।

2001 राम मंदिर बनने की तारीख तय हुई

बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर तनाव बढ़ गया। विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि मार्च 2002 को अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा।
जनवरी-फरवरी 2002 गोधरा कांड

अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने अयोध्या समिति का गठन किया। वरिष्ठ अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को हिंदू और मुसलमान नेताओं के साथ बातचीत के लिए नियुक्त किया गया। भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को शामिल करने से इनकार कर दिया। विश्व हिंदू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा कर दी। सैकड़ों हिंदू कार्यकर्ता अयोध्या में इकठ्ठा हुए। फरवरी अयोध्या से लौट रहे हिंदू कार्यकर्ता जिस रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ता मारे गए।

13 मार्च 2002 सुप्रीम कोर्ट ने कहा अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रखें

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी। किसी को भी सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन पर शिलापूजन की अनुमति नहीं होगी। केंद्र सरकार ने कहा कि अदालत के फैसले का पालन किया जाएगा।

15 मार्च 2002 सरकार को सौंपी गई शिलाएं

विश्व हिंदू परिषद और केंद्र सरकार के बीच इस बात पर समझौता हुआ कि विहिप के नेता सरकार को मंदिर परिसर से बाहर शिलाएं सौंपेंगे। रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत परमहंस रामचंद्र दास और विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंघल के नेतृत्व में लगभग 800 कार्यकर्ताओं ने सरकारी अधिकारी को अखाड़े में शिलाएं सौंपीं।

अप्रैल 2002 हाईकोर्ट में मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू की

हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर सुनवाई आरंभ की।

मार्च-अगस्त 2003 स्थल के नीचे खुदाई की

हाई कोर्ट के निर्देश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की. पुरातत्वविदों ने कहा कि मस्जिद के नीचे मंदिर से मिलते-जुलते अवशेष के प्रमाण मिले हैं। हालांकि इसे लेकर भी अलग-अलग मत थे। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से विवादित स्थल पर पूजापाठ की अनुमति देने का अनुरोध किया, जिसे ठुकरा दिया गया। मई 2003 सीबीआई ने आडवाणी समेत 8 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया और जून 2003 शंकराचार्य ने मध्यस्थता का प्रयास किया, पर विफल कांची पीठ के शंकराचार्य ने जयेंद्र सरस्वती ने मामला सुलझाने के लिए मध्यस्थता की। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि एक महीने में इस मामले का हल निकाल लिया जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं पाया।

अगस्त 2003: मंदिर निर्माण के लिए विशेष विधेयक लाने का प्रस्ताव ठुकराया

भाजपा नेता और उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने विहिप के इस अनुरोध को ठुकराया कि राम मंदिर बनाने के लिए विशेष विधेयक लाया जाए।
अप्रैल-जुलाई 2004 आडवाणी ने अस्थाई मंदिर में पूजा की  आडवाणी ने अयोध्या में अस्थाई राम मंदिर में पूजा की और कहा कि मंदिर का निर्माण जरूर किया जाएगा। जुलाई में शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने सुझाव दिया कि विवादित स्थल पर मंगल पांडे के नाम पर कोई राष्ट्रीय स्मारक बना दिया जाए।

जनवरी-जुलाई 2005 आडवाणी अदालत में तलब, अयोध्या में आतंकी हमला

लालकृष्ण आडवाणी को अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस में उनकी कथित भूमिका के मामले में अदालत में तलब किया गया। इसी साल जुलाई में अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में आतंकी हमले हुए, जिसमें पांचों आतंकियों सहित छह लोग मारे गए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के दौरान भड़काऊ भाषण देने के मामने में आडवाणी को तलब किया। इससे पहले उन्हें बरी कर दिया गया था। 28 जुलाई को आडवाणी इसी मामले में रायबरेली की एक अदालत में पेश हुए. कोर्ट ने उनके खिलाफ आरोप तय किए।

4 अगस्त 2005 चार लोग न्यायिक हिरासत में भेजा

फैजाबाद की अदालत ने अयोध्या के विवादित परिसर के पास हुए हमले में कथित रूप से शामिल चार लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा।
20 अप्रैल 2006 सरकार ने लिब्रहान आयोग से कहा- यह मिलीभगत थी। कांग्रेस के नेतृत्ववाली यूपीए सरकार ने लिब्रहान आयोग के समक्ष लिखित बयान में आरोप लगाया कि बाबरी मस्जिद को ढहाया जाना सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा था। इसमें भाजपा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, बजरंग दल और शिवसेना की मिलीभगत थी।

जुलाई 2006 बुलेटप्रूफ कांच का घेरा बनाने का प्रस्ताव

सरकार ने अयोध्या में विवादित स्थल पर बने अस्थाई राम मंदिर की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ कांच का घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव किया इस प्रस्ताव का मुस्लिम समुदाय ने विरोध किया और कहा कि “यह अदालत के उस आदेश के ख़िलाफ़ है जिसमें यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए गए थे।”
19 मार्च 2007: राहुल गांधी बोले- “नेहरू-गांधी परिवार का पीएम होता तो मस्जिद न गिरती”  उनके इस बयान पर पूरे देश की राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी।

30 जून-नवंबर 2009 लिब्रहान आयोग ने रिपोर्ट पीएम मनमोहन सिंह को सौंपी

बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले की जांच के लिए गठित लिब्रहान आयोग ने 17 वर्षों के बाद अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी। इसी साल, 7 जुलाई को उत्तर प्रदेश सरकार ने एक हलफनामे में स्वीकार किया कि अयोध्या विवाद से जुड़ी 23 जरूरी फाइलें सचिवालय से गायब हो गई हैं। 24 नवंबर को लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में पेश आयोग ने अटल बिहारी वाजपेयी और मीडिया को दोषी ठहराया और नरसिंहराव को क्लीन चिट दी।

20 मई 2010 पुनरीक्षण याचिका खारिज हो गई

बाबरी विध्वंस के मामले में लालकृष्ण आडवाणी और अन्य नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने को लेकर दायर पुनरीक्षण
याचिका हाईकोर्ट में खारिज हो गई।

26 जुलाई 2010 अयोध्या विवाद पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हुई

सितंबर 2010 8 सितंबर को हाईकोर्ट ने अयोध्या विवाद पर 24 सितंबर को फैसला सुनाने की घोषणा की। 28 सितंबर को हाईकोर्ट ने फैसला टालने की अर्जी खारिज की।

30 सितंबर 2010: कोर्ट का फैसला- तीन हिस्सों में बांट दिया गया विवादित स्थल

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इसके तहत विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा दिया गया। इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को मिला।

9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 अपील दाखिल हुई।

मार्च-अप्रैल 2017 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की बात कही. सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया।

नवंबर-दिसंबर 2017 रिजवी बोले- विवादित स्थल पर राम मंदिर बने

8 नवंबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने बड़ा बयान दिया था। रिजवी ने कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनना चाहिए, वहां से दूर हटके मस्जिद का निर्माण किया जाए। 16 नवंबर को आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता करने की कोशिश की, उन्होंने कई पक्षों से मुलाकात की. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने 8 फरवरी तक सभी दस्तावेजों को पूरा करने के लिए कहा।

फरवरी-जुलाई 2018: नियमित सुनवाई की अपील खारिज

8 फरवरी को सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर नियमित सुनवाई करने की अपील की। लेकिन पीठ ने उनकी अपील खारिज कर दी। राजीव धवन ने कोर्ट से मांग की कि साल 1994 के इस्माइल फारूकी बनाम भारतीय संघ के फैसले को पुर्नविचार के लिए बड़ी बेंच के पास भेजा जाए. सुप्रीम कोर्ट ने राजीव धवन की अपील पर फैसला सुरक्षित रखा।

27 सितंबर 2018: ‘मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं’ मामला बड़ी बेंच को भेजने से इनकार

कोर्ट ने इस्माइल फारूकी बनाम भारतीय संघ के 1994 का फैसला, जिसमें कहा गया था कि ‘मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं’ को बड़ी बेंच को भेजने से इनकार करते हुए कहा था कि अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में दीवानी वाद का निर्णय साक्ष्यों के आधार पर होगा और पूर्व का फैसला सिर्फ भूमि आधिग्रहण के केस में ही लागू होगा

29 अक्टूबर 2018 सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जल्द सुनाई पर इनकार करते हुए केस जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया

24 नवंबर 2018 शिवसेना का अयोध्या में कार्यक्रम हुआ

अयोध्या में शिवसेना ने कार्यक्रम किया. इस सभा के दौरान उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में बीजेपी को जमकर खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने मोदी सरकार की तुलना कुंभकरण से करते हुए कहा कि “मैं यहां कोई लड़ाई लड़ने नहीं आया हूं। आज तो मैं सिर्फ सोए हुए कुंभकरण को जगाने आया हूं। कुंभकरण 6 महीने सोते थे, आज के कुंभकरण पिछले 4 सालों से सोए हुए हैं। मैं उनको जगाने आया हूं। जो वादा करते हैं, जो वचन देते हैं, उसे निभाना चाहिए. चलो सब लोग मिलकर मंदिर बनाते हैं।”

25 नवंबर 2018 धर्म सभा का आयोजन

अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद की अगुवाई में धर्म सभा हुई। धर्म सभा में हिंदू संत रामभद्राचार्य ने कहा कि “बहुत जल्द ही भव्य राम मंदिर का निर्माण करना होगा। बीजेपी पर आरोप लगाया कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की वजह से तारीख का ऐलान नहीं किया जा रहा है। इसके साथ ही विश्व हिंदू परिषद का कहना था कि अब करो या मरो का वक्त है, देश का बहुसंख्यक समाज अब इस मामले का हल होते हुए देखना चाहता है।”

1 जनवरी 2019 पीएम मोदी ने कहा- फैसला कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद

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पीएम नरेंद्र मोदी ने 2019 के अपने पहले इंटरव्यू में कहा कि “अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश पर फैसला कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लिया जा सकता है। राम मंदिर पर अध्यादेश लाने के बारे पीएम ने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है, और संभवत: अपने अंतिम चरण में है। पीएम ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया पूरी होने दीजिए, इसके बाद जो भी सरकार की जिम्मेदारी होगी उसे पूरा किया जाएगा”

8 मार्च 2019 सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा

अगस्त 2019 मध्यस्थता पैनल समाधान निकालने में विफल रहा

1 अगस्त को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की। 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा। 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई। 16 अक्टूबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले में सुनवाई पूरी फैसला रखा।

9 नवंबर 2019 सुप्रीम ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए राम जन्मभूमि की पूरी 2.77 एकड़ जमीन भगवान राम लला को देने का फैसला सुनाया। इसका मालिकाना हक केंद्र सरकार के पास रहेगा। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन किसी अच्छी जगह पर दें।

5 अगस्त 2020 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन में हिस्सा लिया। इस तरह से अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण की शुरुआत हुई।

22 जनवरी 2024 अयोध्या में बनकर तैयार हुए भव्य राममंदिर का उद्घाटन और मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा होगी। मूर्ति बनाने के लिए नेपाल से शालीग्राम लाए गए हैं।

 

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