May 11, 2024

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काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट की बदलेगी सूरत, जलासेन घाट से सिंधिया घाट तक बनेगा कोरिडोर

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Manikarnika Ghat

Manikarnika Ghat : काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) बन चुका है और अब मणिकर्णिका घाट का भी कायाकल्प करने की तैयारी की जा रही है। इसके तहत मणिकर्णिका घाट को जलासेन घाट से सिंधिया घाट तक के पूरे कॉरीडोर को विकसित किए जाने का प्रस्ताव है। नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (National Mission For Clean Ganga) ने मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat) को विकसित करने की मंजूरी दे दी है। 17 करोड़ रुपये की लागत से इस परियोजना को पूरा किया जाएगा.

परियोजना के तहत होंगे ये सारे काम

Manikarnika Ghat

इस परियोजना के तहत मणिकर्णिका (Manikarnika Ghat) से लेकर जलासेन और सिंधिया घाट तक का पूरा परिसर विकसित किया जाएगा और साथ ही घाट से लेकर मंदिर तक की तमाम जगहों को भी व्यवस्थित किया जाएगा। इसके अलावा मणिकर्णिका घाट पर जो लकड़ी का टाल है उसे हटाकर एक एंपोरियम बनाया जाएगा, ये एंपोरियम वैसा ही होगा जैसा काशी विश्वनाथ धाम में बनाया गया है.

इस एंपोरियम में सभी दुकानें व्यवस्थित तरीके से होगीं ताकि घाट की खूबसूरती में चार चांद लग सकें। इस परियोजना के तहत घाट पर एक स्मार्ट कंट्रोल रूम बनाने का प्लान है जिसे सीधा नगर निगम के कंट्रोल सिस्टम से जोड़ा जाएगा। इस सिस्‍टम के जरिए पूरे परिसर पर जिला प्रशासन, नगर निगम और दमकल विभाग की निगरानी रहेगी.

तीन हिस्सों में बटेगा मणिकर्णिका घाट

Manikarnika Ghat

इसके अलावा मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat) को तीन हिस्सों में बांटा जाएगा। पहले हिस्से में विजिटर ब्लॉक होगा। जहां जनसुविधाओं के लिए शौचालय, स्‍नानगृह और विश्राम कक्ष होगा. दूसरे भाग में शवदाह गृह बनाए जाएंगे। तीसरे भाग में दत्तात्रेय पादुका से तारकेश्‍वर महादेव मंदिर तक के परिसर को संवारा जाएगा। बता दें कि वाराणसी में गंगा नदी के किनारे बना मणिकर्णिका घाट एक प्रसिद्ध घाट है.

यहां की काफी मान्यता है। कहा जाता है कि माता पार्वती जी का कर्ण फूल एक कुंड में गिर गया था, जिसे भगवान शंकर जी ने ढूंढा था, जिसके कारण इस जगह का नाम मणिकर्णिका पड़ गया। इसके अलावा एक मान्यता ये भी है कि भगवान शंकर ने यहां माता सती जी के पार्थिव शरीर का अग्नि संस्कार किया था, जिस वजह से आज इसे महाशमशान भी कहा जाता है।

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