Manipur Violence : 54 दिनों के बाद हटी नाकाबंदी, राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर शुरू हुआ वाहनों का चलन, ताजा हिंसा में 4 लोगों की मौत
Manipur Violence : मणिपुर में 3 मई को हिंसा शुरू होने के बाद से नागालैंड के डिमापुर से इम्फाल को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे-2 को नाकाबंद किया गया था, जिससे लोगों तक रोजमर्रा की चीजें पहुंचना काफी मुश्किल हो गया था। इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राज्यदौरे के दौरान अपील करने के बाग ये नाकाबंदी तत्कालिक रूप से हटा दी गई। हालांकि, 9 जून को कांगपोक्पी जिले में कुकी-जोमी समुदाय के तीन लोगों की मौत (Manipur Violence) के बाद नेशनल हाईवे को कुछ दिनों बाद ही दोबारा नाकाबंद कर दिया गया.
कुकी समूहों की घोषणा
अब रविवार को कुकी प्रदर्शन समूहों ने ये घोषणा की कि वे मणिपुर के कांगपोक्पी जिले में दो महीने तक चले आन्दोलन को खत्म करेंगे, जिससे राज्य का मेन रास्ता खुल जाएगा। हालांकि इस घोषणा के बाद भी मणिपुर में हिंसा (Manipur Violence) की घटनाएं जारी रहीं, और रविवार को कम से कम चार लोगों की मौत हो गई, जिसमें पुलिस ने एक व्यक्ति के सिर कटने के कारण मौत होने की जानकारी दी।
मुख्यमंत्री बिरेन सिंह का बयान
पिछली शाम, मुख्यमंत्री बिरेन सिंह (CM Biren Singh) ने बताया कि उन्होंने कुकी समुदाय (Kuki Community) के सदस्यों से बातचीत की है और शांति और सुलह की ओर काम करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, राज्य में स्थिति (Manipur Violence) अब भी बेकाबू बनी हुई हैं। खबरों की मानें तो हाल ही में चुराचंदपुर जिले के लंगजा गांव में एक डेविड नाम के व्यक्ति की हत्या की गई और उसका सिर काट दिया गया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि गांव को रविवार की सुबह हमले का शिकार बनाया गया, वहीं बहुत से गांव वाले अपने-अपने घरों को छोड़कर भाग गए हैं। वहीं मणिपुर की पुलिस का कहना है कि कि उन्होंने इस हत्या के संबंध में अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया है लेकिन मामले की जांच जारी है।
राज्य में शांति स्थापित करने के लिए गृहमंत्री का फैसला
Manipur Violence : वहीं यूनाइटेड पीपल्स फ्रंट और कुकी नेशनल आर्गेनाइजेशन द्वारा जारी किये गए बयान के तहत 2008 संघर्ष निलंबन समझौते के अंतर्गत कहा गया है कि “राज्य में जरूरी चीजों की पूर्ति करने” के लिए नाकाबंदी को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाएगा। कहा जा रहा है कि यह फैसला गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) की “राज्य में शांति और सद्भाव को फिरसे स्थापित करने ” की गहरी चिंता के मद्देनजर लिया गया है।
समूहों ने ये भी कहा है कि वे प्रशासनिक सीमाओं के बहुत सारे क्षेत्रों में केंद्रीय बलों के तैनात होने की प्रशंसा करते हैं और केंद्रीय बलों की तैनाती सभी संवेदनशील क्षेत्रों में पूरी होने पर वे अपने volunteers को वहां से वापस लेंगे।
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