Mukhtar Ansari: मिट्टी में मिला मुख्तार का शव, उमड़ा जनसैलाब, पत्नि और बेटा अब्बास नहीं हुए शामिल
Mukhtar Ansari: माफिया मुख्तार अंसारी का शव अब मिट्टी में मिल चुका है। मुख्तार को उसके पुश्तैनी कब्रिस्तान युसुफपुर के कालीबाग में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। परिवार वालों ने मुख्तार को मिट्टी दी। मुख्तार की कब्र उसके पिता सुभानउल्ला अंसारी व मां बेगम राबिया खातून की कब्र के पास खोदी गई। आज शनिवार 30 मार्च की सुबह 9:30 बजे माफिया डॉन और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी का जनाजा उठा।
पत्नी और अब्बास ने नहीं दी अंतिम विदाई
पत्नी और बेटे अब्बास को छोड़ कर जनाजे में परिवार के सभी सदस्य शामिल हुए हैं। मुख्तार के स्वजन में उनके बड़े भाई सांसद अफजाल अंसारी, पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी, भतीजे मुहम्मदाबाद विधायक सुहेब अंसारी, बेटा उमर अंसारी सहित सभी ने मुख्तार के कब्र पर मिट्टी देकर अंतिम विदाई दी।
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जिंदाबाद के नारे लगाए
इस दौरान कब्रिस्तान के बाहर लोगों का भारी हुजूम रहा। समर्थकों ने मुख्तार जिंदाबाद के नारे लगाए। मुख्तार अंसारी के आवास से कब्रिस्तान तक 500 मीटर की दूरी तक हजारों समर्थकों का जनसैलाब उमड़ा। कब्रिस्तान से पहले घर से 200 मीटर की दूरी मौजूद प्रिंस हॉल मैदान में जनाजे की नमाज पढ़ी गई।
बेटे ने दिया मूछों को ताव
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें बेटा उमर अंसारी पिता मुख्तार की मूछों को ताव देता नजर आ रहा है। नम आंखों से उमर अंसारी ने अपने पिता की मूंछों को आखिरी बार ताव दिया है। मुख्तार अंसारी को बड़ी मूछों का बहुत शौक था। अक्सर वह अपनी मूछों को सही करने और ताव देते नजर आते थे।
रात 1 बजे पहुंचा शव
बता दें कि पोस्टमार्टम के बाद मुख्तार के शव को शुक्रवार 29 मार्च की शाम 4:45 बजे कड़ी सुरक्षा के मद्देनजर 30 गाड़ियों के काफिले के साथ गाजीपुर भेजा गया। देररात करीब 01.12 बजे मुख्तार का शव यूसुफपुर स्थित आवास ‘फाटक’ पर पहुंचाया गया।
तबीयत बिगड़ने से निकला दम
आपको बता दें कि बांदा जेल की तन्हाई बैरक में उम्रकैद की सजा काट रहे मुख्तार अंसारी की तबीयत बिगड़ने पर गुरुवार 28 मार्च की रात उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां रात 8.25 बजे उनकी मौत हो गई। इससे पहले भी रविवार 24 मार्च की रात को मुख्तार की तबीयत बिगड़ी गई थी। उस दौरान भी उसे मेडिकल कॉलेज के ICU में 14 घंटे रखा गया था। फिर मंगलवार 27 मार्च की शाम को उसे दोबारा जेल ले जाया गया था।
ACGM ने पत्र भेज लिया था तबीयत का जायजा
इससे पहले 20 मार्च को मुख्तार ने वकील के जरिए बाराबंकी कोर्ट को सूचित किया था कि उसे धीमा जहर दिया गया है। तब से मुख्तार की बीमारी को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। इसे देखते हुए MP-MLA कोर्ट की ACGM गरिमा सिंह ने बुधवार 27 मार्च को बांदा जेल के वरिष्ठ अधीक्षक को पत्र भेज कर पूछा था कि ‘मुख्तार की तबीयत कब बिगड़ी। उसने उस दिन क्या खाया और अब उसकी तबीयत कैसी है?’ यह रिपोर्ट 29 मार्च शुक्रवार तक देने का आदेश था। वहीं वरिष्ठ अधीक्षक के रिपोर्ट भेजने से पहले ही गुरुवार 28 मार्च की शाम को ही मुख्तार की मौत हो गई।
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