फिर पलटे नीतीश कुमार, 9वीं बार बने बिहार के CM, बीजेपी का थामा हाथ
Nitish Kumar: बिहार की राजनीति में हवाओं ने एक बार फिर से अपना रुख बदल दिया है। नीतीश सरकार ने पलटी मारते हुए एनडीए के साथ मिलकर राज्य में नई सरकार बनाई है। उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन में नई सरकार बनाते हुआ 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। एक या दो बार नहीं, बल्कि 5वीं बार नीतीश ने ‘दलबदलू’ वाला काम किया है। जी हां यह पांचवी बार है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने गठबंधन और विपक्ष का साथ छोड़ते हुए भाजपा का दामन थामा हो।
सुशासन बाबू’ नहीं ‘पलटू कुमार’ हैं नीतीश
कहा जा रहा है कि नीतीश ने महागठबंधन का साथ तब छोड़ा है जब महज कुछ ही महीनों में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया है। वह कल राजभवन गए थे और राज्यपाल राजेंद्र को अपना त्यागपत्र सौंपा था। कभी बिहार में अपने सुशासन के लिए जाने जाने वाले नीतीश कुमार ने ‘सुशासन बाबू’ कहलाने से लेकर ‘पलटू कुमार’ वाले व्यक्ति के रूप में लंबा सफर तय किया है। वहीं लोगों ने भी नीतीश को पलटूराम’ बोलते हुए सोशल मीडिया पर उन्हें टेग कर पोस्ट डालने शुरू कर दिए हैं।
पांचवी बार थामा बीजेपी का हाथ
नीतीश ने 1974 में छात्र राजनीति के जरिए राजनीती में कदम रखा था। जनता दल का हिस्सा रहे नीतीश कुमार ने पहली बार 1994 में पहला दल बदला और समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडीस, ललन सिंह के साथ मिलकर 1994 में नीतीश ने समता पार्टी बनाई। वहीं 1995 के विधानसभा चुनाव के लिए समता पार्टी ने वामदलों के साथ गठबंधन किया, लेकिन जब सफलता हाथ नहीं लगी तो नीतीश वामदलों का हाथ छोड़ते हुए एनडीए में शामिल हो गए।
1996 में नीतीश कुमार ने दूसरी बार पलटी मारते हुए एनडीए का दामन थामा। बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए के साथ नीतीश का सफर 2010 तक चला। फिर एनडीए में नरेंद्र मोदी के नाम की गुंज के बाद 2014 में नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव अकेले लड़ा। उनके खाते में दो सीटें आईं फिर 2010 में सीएम बनने वाले नीतीश ने अचानक सीएम पद छोड़ दिया।
साल 2015 में तीसरी बार पलटी मारते हुए उन्होंने महागठबंधन बनाया। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वह सीएम भी बन गए। अब ठीक लोकसभा चुनाव ने से पहले दल बदलते हुए फिर से बीजेपी के साथ हो लिए हैं।
महागठबंधन के साथ मिलकर नीतीश ने 2017 तक सरकार चलाई। इस दौरान वह सीएम पद पर अटल रहे। लेकिन फिर तेजस्वी यादव का नाम IRCTC घोटाले में आया और नीतीश ने चौथी बार पलटी मारते हुए बीजेपी में जाने का फैसला किया।
साल 2020 चुनाव में जब जेडीयू को 43 सीटें मिलीं तब उन्हें तकलीफ होने लगीं। इसके बाद उन्होंने 2022 में पांचवीं बार पलटी मारते हुए बीजेपी का दामन छोड़ा और फिर से महागठबंधन में शामिल हो गए।
2022 के बाद नीतीश भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए देश भर की विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की मुहिम छेड़ी और INDIA गठबंधन के गठन में अहम रोल अदा किया, लेकिन ये साथ भी ज्यादा नहीं चल पाया। 28 जनवरी 2024 को नीतीश कुमार का मन फिर से बदल गया और उन्होंने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया।
जनता की राय पर हुए एनडीए में शामिल
इस्तीफा देने के बाद नीतीश ने मीडिया से बातचीत में बताया कि,”आज हमने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और जो सरकार थी उसको भी समाप्त करने का प्रस्ताव हमने राज्यपाल को दे दिया है। क्योकि सभी लोगों की सलाह पर अपनी पार्टी की राय पर , सब ओर से राय आ रही थी और हमने अपने लोगों की राय को सुन लिया और सरकार को समाप्त कर दिया है।
पहले गठबंधन को छोड़कर नया गठबंधन बनाए थे, इधर आकर स्थिति ठीक नहीं लगी, इसीलिए हम लोगों ने आज इस्तीफा दे दिया, अलग हो गए।” वहीं नीतीश विपक्ष पर निशाने साधाते हुए बोले ”हम लोग इतनी मेहनत करते थे और सारा क्रेडिट दूसरे लोग ले रहे थे अब नए गठबंधन में जा रहे हैं।”
बिहार में नीतीश की स्थिति
बता दें कि बिहार में आरजेडी के 79 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। बीजेपी के 78, जेडीयू के 45 और हम के 4 विधायक हैं। इन तीनों दलों के विधायकों की कुल संख्या 127 होती है। बिहार विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 है। वहीं महागठबंधन में शामिल वाम दलों के 16 और कांग्रेस पार्टी के 19 विधायक हैं। एआईएमआईएम का 1 और एक निर्दलीय विधायक है। बिहार विधानसभा में महागठबंधन का संयुक्त आंकड़ा 114 बैठता है। यानी बहुमत से 8 कम।
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