May 2, 2024

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Sunita Kejriwal ने पति को बताया देशभक्त, केजरीवाल का मोर्चा संभाल पाएंगी पत्नी सुनिता?

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Sunita Kejriwal

Sunita Kejriwal

Sunita Kejriwal: अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हो चुकी है वह फिलहाल ईडी की रिमांड पर हैं। ईडी की तरफ से केजरीवाल को कोई राहत नहीं मिल पाई है। वहीं केजरीवाल की पत्नी पति की गिरफ्तारी के बाद से ही कॉफ्रंस करने में लगी हुई हैं और काफी सक्रिय नजर आ रही हैं। पति की गिरफ्तारी को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद अब उन्होंने पार्टी के लिए नए अभियान का आगाज किया है।

देशभक्ति उनके रोम-रोम में बसी

‘केजरीवाल को आशीर्वाद’ कैंपेन का आगाज करते हुए सुनीता केजरीवाल ने एक वॉट्सऐप नंबर जारी किया।सुनीता ने पति के पक्ष में बयान देते हुए कहा है कि, ‘’कल कोर्ट में अरविंद जी ने अपना पक्ष रखा आपने सुना होगा। नहीं सुना हो तो प्लीज सुन लें। जो कुछ उन्होंने कोर्ट के सामने कहा उसके लिए बहुत हिम्मत चाहिए। सच्चे देशभक्त हैं वे। बिलकुल इसी तरह हमारे स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेजों की तानाशाही से लड़ते थे। पिछले 30 साल से मैं उनके साथ हूं। देशभक्ति उनके रोम-रोम में बसी है। अरविंद जी ने देश की सबसे ताकतवर, भ्रष्टाचारी और तानाशाही ताकतों को ललकारा है।’’

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अरविंद केजरीवाल की जगह कौन लेगा?

देखा जाये तो सुनीता केजरीवाल मोर्चा संभाल चुकी हैं। अरविंद केजरीवाल के संदेशों को वो उनकी कुर्सी पर बैठ कर ही लोगों को भेज रही हैं, लेकिन जो हालात हैं, इतने भर से काम नहीं चलेगा क्या? ये तो बहुत पहले ही तय लगने लगा था कि एक दिन अरविंद केजरीवाल को भी जेल जाना पड़ सकता है। खासकर ईडी के समन को नजरअंदाज किये जाने के बाद तो पक्का ही हो चुका था। तभी ये चर्चा भी होती रही कि अरविंद केजरीवाल की जगह कौन लेगा?

सवालों के घेरें में केजरावाल?

आम आदमी पार्टी के अंदर भी कई नामों पर चर्चा हुई। जैसे गोपाल राय से लेकर आतिशी तक। फिर भी आखिरकार यही तय हुआ कि अरविंद केजरीवाल जेल से सरकार चलाएंगे, जिसे लेकर दिल्ली के लोगों की राय भी ले ली गई और अरविंद केजरीवाल का ये शौक भी पूरा हो ही रहा है, लेकिन कब तक? गिरफ्तारी के लिए सही वक्त का लंबा इंतजार करने वाले अरविंद केजरीवाल सरकार को भी बर्खास्त किये जाने की प्रतिक्षा कर रहे हैं?

सोचने का वक्त नहीं बचा

सुनीता केजरीवाल की भूमिका करीब करीब वैसी ही लगती है जैसी सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष रहते कांग्रेस के अंदर के हालात थे, जब जी23 का वो तूफान मचा देने वाला पत्र आया था। अव्वल तो मल्लिकार्जुन खर्गे के आ जाने के बाद भी बहुत कुछ बदला नहीं है, लेकिन कागज पर दस्तखत कौन करेगा? सुनीता केजरीवाल को लेकर अरविंद केजरीवाल के मन में एक ही संकोच हो सकता है। वो भी परिवारवाद की राजनीतिक को लेकर निशाने पर आ जाएंगे, लेकिन ये सब सोचने का वक्त अरविंद केजरीवाल के पास बचा है क्या?

 

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