May 9, 2024

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अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट से बड़ा झटका, जानिए क्या है पूरा मामला

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Shri Krishna Janmasthan

Shri Krishna Janmabhoomi: मथुरा (Mathura) में श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmabhoomi) और शाही ईदगाह विवाद पर शाही ईदगाह ट्रस्ट और सुन्नी वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज कर इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका दिया है। साथ ही कोर्ट ने मथुरा के जिला जज को पूरे मामले की नई सिरे से सुनवाई करने का आदेश दिया।

खटखटाया था हाई कोर्ट का दरवाजा

Shri Krishna Janmasthan

आपको बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से मथुरा (Mathura) जिला अदालत में एक याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह की पूरी जमीन को श्रीकृष्ण विराजमान (Shri Krishna Janmabhoomi) के नाम घोषित किए जाने की माँग की गई थी।

इस याचिका को स्वीकार करते हुए जिला अदालत ने सुनवाई शुरू करने का फैसला किया था। इस फैसले के खिलाफ शाही ईदगाह और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

इलाहाबाद हाई कोर्ट का आया निर्णय

Shri Krishna Janmabhoomi

इसी पर निर्णय देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस प्रकाश पडिया ने कहा है कि इस मामले में फैसला पहले ही आ चुका है, ऐसे में हमारे द्वारा इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। इसके बाद कोर्ट ने मथुरा जिला जज को मामले की सुनवाई को नए सिरे से शुरू करने के आदेश दिए हैं।

बता दें कि शाही ईदगाह और सुन्नी वक्फ बोर्ड की याचिका के चलते इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान (Shri Krishna Janmabhoomi) की तरफ से मथुरा कोर्ट में दाखिल केस में रोक लगा दी थी। हालाँकि कोर्ट के फैसले के बाद यह रोक भी हट गई। हालाँकि अब कोर्ट को एक बार फिर दोनों पक्षों के दावों पर शुरू से सुनवाई करनी होगी।

क्या है मामला?

Shri Krishna Janmabhoomi

श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmabhoomi) का यह विवाद श्रीराम जन्मभूमि की तरह ही है। भगवान श्रीकृष्ण विराजमान का दावा है कि औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाकर यहाँ मस्जिद बनवाई। वहीं, मुस्लिम पक्ष इस बात का विरोध कर रहा है। यह पूरा विवाद 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक से जुड़ा हुआ है। फिलहाल भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है। शेष जमीन शाही ईदगाह का कब्जा है।

इसको लेकर ही भगवान श्रीकृष्ण विराजमान (Shri Krishna Janmasthan) की तरफ से मथुरा कोर्ट में एक केस दायर किया गया था। इस केस में 20 जुलाई 1973 के फैसले को रद्द कर 13.37 एकड़ भूमि को कटरा केशव देव की जगह श्रीकृष्ण विराजमान के नाम घोषित किए जाने की माँग की गई थी। श्रीकृष्ण विराजमान का कहना था कि जमीन को लेकर दो पक्षों के बीच एक समझौता हुआ था। उक्त समझौते के आधार पर साल 1973 में दिया गया फैसला इसमें लागू नहीं होता, क्योंकि उस समय वह पक्षकार नहीं था।

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