Patanjali: भ्रामक विज्ञापन मामले में रामदेव ने जोड़े हाथ, बोले- आगे से ध्यान रखेंगे
Patanjali: आज 17 अप्रैल बुधवार को जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच के सामने रामदेव और बालकृष्ण तीसरी बार पेश हुए। पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक योग गुरु रामदेव और मैनेजिंग डायरेक्टर बालकृष्ण ने सुप्रिम कोर्ट (SC) में सार्वजनिक माफी मांगने की बात कही है। मामला भ्रामक विज्ञापन का है। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में नेके मामले में कोर्ट ने दोनों को एक हफ्ते का समय दिया है। इसके तहत हफ्तेभर के अंदर भ्रामक विज्ञापन दिखाने के मामले में सार्वजनिक माफी मांगनी होगी।
दो कानूनों का उल्लंघन
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है। यह याचिका 17 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। जिसमें कहा गया था कि ”पतंजलि आयुर्वेद ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। इस दावे के बाद कंपनी को आयुष मंत्रालय ने भी फटकार लगाई थी और इसके प्रमोशन पर तुरंत रोक लगाने के लिए कहा था। आधुनिक चिकित्सा और कोविड-19 वैक्सीनेशन प्रोग्राम के खिलाफ पतंजलि आयुर्वेद ने अपमानजनक अभियान चलाया”। दरअसल पतंजलि ने प्रिंट मीडिया में कुछ विज्ञापन जारी किए थे। इन विज्ञापनों में डायबिटीज और अस्थमा को ‘पूरी तरह से ठीक’ करने का दावा तक किया था। पतंजलि पर दो कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप भी लगाया गया है। इसमें ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 का जिक्र है।
उत्तराखंड के लाइसेंसिंग अथॉरिटी को फटकार
मंगलवार यानी 16 अप्रैल को पतंजलि के वकील ने कहा कि, ”हम कोर्ट से एक बार फिर माफी मांगते हैं। हमें पछतावा है और हम जनता के बीच माफी मांगने के लिए तैयार हैं”। कोर्ट ने माफी के लिए एक सप्ताह का समय दिया है और कहा है कि ”हम इस मामले को 23 अप्रैल को देखेंगे और दोनों को उस दिन भी कोर्ट में मौजूद रहें”। कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों के मुद्दे पर ढिलाई बरतने के लिए उत्तराखंड के लाइसेंसिंग अथॉरिटी को फटकार लगाई है।
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माफी मांगने से मामला खत्म नहीं होगा
कोर्ट ने कहा है कि ”सिर्फ माफी मांगने से मामला खत्म नहीं होगा”। कोर्ट ने इस माफी और 2 अप्रैल, 10 अप्रैल को दायर किए गए माफी के हलफनामे को अभी तक स्वीकार नहीं किया है। वहीं कोर्ट ने पतंजलि को लेकर कहा कि ”आप अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन एलोपैथी को बदनाम नहीं कर सकते हैं”। रामदेव ने हाथ जोड़कर कहा कि, ”हमारा कोर्ट के प्रति अनादर करने का कोई इरादा नहीं था। हम आगे से ध्यान रखेंगे”।
1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अमानुल्लाह ने 21 नवंबर 2023 को सुनवाई के दौरान कहा था, ”पतंजलि को सभी भ्रामक दावा करने वाले विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा। ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लिया जाएगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकता है”‘।
आप इतने भोले नहीं हैं
जस्टिस कोहली ने पिछले साल 21 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पर रामदेव से सवाल पूछा था। तब सुनवाई के दौरान रामदेव ने कहा कि ”उनका इरादा कभी भी किसी भी तरह से कोर्ट का अनादर करने का नहीं था। यह काम के प्रति उत्साह में हो गया है। आगे से इसके प्रति जागरूक रहूंगा, आगे से नहीं होगा”। इस पर बेंच ने कहा कि, ”आप इतने भोले नहीं थे कि आपको पता ना चले कि अदालत में क्या हुआ है? इतनी मासूमियत अदालत में काम नहीं आती है। अगर आप सोच रहे हैं कि आपके वकील ने माफी मांग ली है तो हमने अभी तक यह तय नहीं किया है कि आपकी माफी स्वीकार की जाए या नहीं”। कोर्ट ने केंद्र पर भी सवाल उठाए थे और कहा था, ”आश्चर्य की बात यह है कि जब पतंजलि यह कह रही थी कि एलोपैथी में कोविड का कोई इलाज नहीं है तो केंद्र ने अपनी आंखें बंद रखने का फैसला क्यों किया”?
यह है पूरा मामला
रामदेव ने 2021 में एक बयान में कहा था कि ”एलोपैथिक दवाएं खाने से लाखों लोगों की मौत हुई हैं। एलोपैथी को ‘स्टुपिड और दिवालिया साइंस’ भी कहा था। इसके ही कुछ दिन पहले उन्होंने कहा था, ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है, वातावरण में भरपूर ऑक्सीजन है लेकिन लोग बेवजह सिलेंडर ढूंढ रहे हैं। रामदेव के इस बयान पर तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने ऐतराज जताया था”। उन्होंने कहा था, ”डॉक्टरों के बारे में रामदेव की टिप्पणी अस्वीकार्य है और उन्हें तत्काल माफी मांगनी चाहिए”। उसके बाद रामदेव ने कहा कि ”वो अपना बयान वापस लेकर इस विवाद को विराम दे रहे हैं। हालांकि, कुछ घंटे बाद उन्होंने फिर एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति पर सवाल खड़े कर दिए”।
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