Shahnawaz Hussain

Shahnawaz Hussain rape case: बीजेपी के सबसे साफ छवि वाले नेता शाहनवाज हुसैन (Shahnawaz Hussain) एक बड़ी मुश्किल में फसते नजर आ रहे हैं. दरअसल केंद्र और बिहार सरकार में मंत्री रहे शाहनवाज पर कोर्ट ने दुष्कर्म के साथ ही कई धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है. बता दें कि शाहनवाज पर दिल्ली की एक महिला ने साल 2018 जनवरी में याचिका दायर कर दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज करने की अपील की थी. जिसपर कोर्ट ने यह आदेश दिया है.

3 महीने में जांच पूरी करने का आदेश

Shahnawaz Hussain

हाईकोर्ट ने भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन (Shahnawaz Hussain) को राहत प्रदान करने से इंकार कर दिया है. बता दें कि इशसे पहले शाहनवाज ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कि थी. जिसपर 13 जुलाई 2018 को प्राथमिकी के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी गई थी.

उस समय हुसैन (Shahnawaz Hussain) ने दलील देते हुए दिल्ली पुलिस की जांच में आरोप को निराधार बताया था. हालांकि अब न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने एफआईआर का आदेश दे दिया है. इसके साथ ही पुलिस के रवैयै पर सवाल खड़ा करते हुए तीन महीनें में जांच पूरी कर इसकी रिपोर्ट एमएम (Metropolitan Magistrate) के सामने पेश करने का आदेश दिया है.

केस दर्ज कराने के लिए अदालत से लगाई थी गुहार

Shahnawaz Hussain rape case

बता दें कि यह मामला चार साल पुराना है. दरअसल साल 2018 की 12 अप्रैल को दिल्ली की एक महिला ने आरोप लगाया कि 12 अप्रैल 2018 को छतरपुर के एक फार्म हाउस में नशीला पदार्थ खिलाकर उसके साथ दुष्‍कर्म किया गया. जिसपर महिला ने 2018 में निचली अदालत में याचिका दायर कर हुसैन के खिलाफ दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज करने की गुजारिश की थी. इसके साथ महिला ने मुंह खोलने पर जान से मारने की धमकी देने की भी बात कही थी. जिसे संज्ञान में लेते हुए कोर्ट ने आदेश दिया है.

न्यायमूर्ति आशा मेनन ने कहा कि पुलिस अदालत के औपचारिक आदेश के बिना भी संज्ञेय अपराध का खुलासा होने पर जांच के साथ आगे बढ़ सकती है. हालांकि मामले में एफआईआऱ दर्ज नहीं होने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि मामले में एफआईआर दर्ज होनी चाहिए थी. उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की जांच के निष्कर्ष पर, पुलिस को धारा 173 सीआरपीसी के तहत एक अंतिम रिपोर्ट जमा करनी होगी.

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