April 26, 2024

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कांवड़ यात्रा का शुभ योग, कैसे पाए भगवन शिव का आशिर्वाद, जानिए।

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Kanwar Yatra 2022: कांवड़ यात्रा व काँवर यात्रा एक वार्षिक तीर्थयात्रा है जो जुलाई व अगस्त माह में और हिन्दु कण्लेंडर के अनुसार सावन माह में प्रारंभ होती है। इस वर्ष यह यात्रा (Kanwar Yatra 2022) 14 जुलाई गुरुवार से आरंभ होगी, और इसका समापन 26 जुलाई मंगलवार को होगा।

इस यात्रा में शिव भक्त काँवड़ में जल भर कर, जो कि गंगोत्री व गौमुख और हरिद्वार से पवित्र गंगा नदी का से होता है उसे लेकर अपने निवास स्थान लेकर जाते है और भगवान शिव का उस जल से अभिषेक करते है। इस वर्ष सावन की शिवरात्रि 26 जुलाई मंगलवार को मनाई जाएगी।

कांवड़ जल की मान्यता

Kanwar Yatra 2022

कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2022) में उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों, विशेषकर पश्चिम उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से लाखों भक्त भाग लेते है। हरिद्वार व गौमुख से अपनी यात्रा आरंभ करते है तथा अपने निवास स्थान अपने साथ लाये गये पवित्र गंगाजल से वह विशेषकर शिवरात्री के दिन मंदिरों में शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं।

सनातन धर्म की पुरानी मान्यताओं के आधार पर गंगाजल से केवल स्वयंभू शिवलिंगों और 12 ज्योतिर्लिंगों का ही अभिषेक किया जाता है। मगर वर्तमान समय में लोग अपने घरों में स्थित शिवलिंगों का भी गंगा जल से अभिषेक करते हैं। इसके लिए सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करके पूर्ण शुद्धता के साथ गंगाजल को शिवलिंगों तक पहुंचाया जाता है।

समय के साथ यात्रा में परिवर्तन

Kanwar Yatra 2022

समय के अभाव में कुछ लोग गाड़ियों से भी कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2022) सम्पन्न करते हैं लेकिन पुराने समय में लोग केवल पैदल ही इस कठिन यात्रा को सम्पन्न करते थे। कांवड़ यात्रा के दौरान विभिन्न समूहों और नागरिक संगठनों द्वारा जगह-जगह कांवड़ यात्रा शिविर लगाये जाते हैं, इससे भी भारतीय संस्कृति की मानवसेवा की पुरातन विचारधारा को बल मिलता है।

सावन सोमवार का अधिक महत्व

Kanwar Yatra 2022

सावन का पवित्र महीना भगवान शिव का महीना कहा जाता है। वैसे तो पूरे साल भर शिव उपासना के लिये सोमवार का व्रत रखा जाता है लेकिन सावन के सोमवार को रखे गए व्रतों का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि सावन मास में जब सभी देवता विश्राम करते हैं तो महादेव शिव ही संसार का संचालन करते हैं।

शिव जी से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें भी सावन मास में ही हुई ऐसा माना जाता है। जैसे:- समुद्र मंथन के बाद विषपान, शिव का विवाह तथा कामदेव द्वारा भस्मासुर का वध आदि सावन के दौरान की ही घटनाएं हैं।

सावन सोमवार की पूजा सामग्री

Kanwar Yatra 2022

सावन मास के सोमवार को शिव का पूजन बेलपत्र, भांग, धतूरे, दूर्वाकुर आक्खे के पुष्प और लाल कनेर के पुष्पों से करने का प्रावधान है। इसके अलावा पांच तरह के जो अमृत बताए गए हैं उनमें दूध, दही, शहद, घी, शर्करा को मिलाकर बनाए गए पंचामृत से भगवान आशुतोष की पूजा कल्याणकारी होती है।

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