May 10, 2024

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जल्द बड़े पर्दे पर होगी ”मैं अटल हूँ”, क्या चुनाव पर पड़ेगा असर, Pankaj Tripathi ने खुद दिया बयान!

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Pankaj Tripathi: अभिनेता पंकज त्रिपाठी अपने दमदार अभिनय के लिए जाने जाते हैं। पंकज त्रिपाठी बॉलीवुड इंडस्ट्री का वो नाम हैं, जो लंबे स्ट्रगल के बाद कामयाबी के शिखर पर पहुंचे हैं। इन दिनों अभिनेता अपनी आगामी फिल्म ‘मैं अटल हूं’ को लेकर काफी चर्चा में हैं। यह फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन पर आधारित है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का किरदार निभाने से पहले वे काफी डरे हुए थे लेकिन फिल्म का ट्रेलर देखकर जो प्रतिक्रिया मिली उससे उन्हें राहत महसूस हुई। पंकज ने इस फिल्म से जुड़े मुद्दों पर बातचीत के दौरान, बहुत से दिल के राज खोले।

अटल बिहारी वाजपेयी की बायोपिक ही क्यों?

पंकज त्रिपाठी से इंटरव्यू के दौरान एक सवाल पूछा गया की वह अटल जी के किरदार के लिए क्यों और कैसे राजी हुए? इस पर पकंज त्रिपाठी ने जवाब देते हुए कहा कि

”अटल जी का इतना बड़ा चरित्र है, तो उनके किरदार को मैं कैसे निभाऊंगा यही सोचता था। फिर मेकर्स अड़ गए, कि अगर आप नहीं करेंगे, तो हम फिल्म ही नहीं बनाएंगे। फिर मैं राजी हुआ और दो तीन किताबें लेकर दिल्ली चला गया,उस दौरान फुकरे की शूटिंग कर रहा था। मेरे कमरे में दिल्ली विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर और एक जर्नलिस्ट आए थे। उन्होंने किताब देखी, तो उनका जवाब यही था कि तुम्हीं से हो पाएगा। फिर क्या, मैंने हामी भर दी।”

लुक को लेकर क्या बोले पंकज त्रिपाठी?

जब पंकज त्रिपाठी से उनके लुक को लेकर बात की गई तो उन्होंने बताया कि” जब वे अपने मोबाइल की स्क्रीन खोलने गए तो उनका स्क्रीन अनलॉक नहीं हुआ, यानी उनके फोन ने ही उनकी शक्ल नहीं पहचान पाई। प्रोस्थेटिक मेकअप पर बात करते हुए पंकज ने इसे टफ बताया क्योंकि इस मेकअप को करने में तीन से चार घंटे लगते थे। उन दिनों लखनऊ में शूट हो रहा था।

मेकअप करने के बाद लखनऊ की 43 से 45 डिग्री सेल्सियस की गर्मी में काम करना बेहद मुश्किल था। शारीरिक रूप से काफी दिक्कतें भी हो रही थीं। इसके आगे पंकज ने कहा कि ”मेरे लिए तो ये सब कठिन था ही लेकिन मुझसे ज्यादा ये राइटर के लिए कठिन था क्योंकि अटल जी जैसे प्रभावी व्यक्ति की ज़िंदगी को दो घंटों की फिल्म में उतार पाना काफी मुश्किल था।”

इलेक्शन से पहले फिल्म का आना क्या महज संयोग है?

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दर्शकों ने कहा कि कहीं न कहीं मिमिक वाली बात दिख रही है इस पर आप क्या कहेंगे, इस प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि ”मैं क्या कहूं जिसके जो विचार हैं, सबका स्वागत है। मैं बस इतना कहूंगा कि पहले लोग फिल्म देखें। उसके बाद इस पर बात होगी। मैं उस वक्त सबकी राय का स्वागत करूंगा।”  

इलेक्शन से पहले फिल्म का आना क्या महज संयोग है?  इस पर पंकज बोले, – ”ये प्रश्न करना मतलब हमारे इंडियन वोटर्स के इंटेलिजेंस को भी कम आंकना है कि वो फिल्मों से प्रभावित होता होगा। ये दो पहलू ही हो सकते हैं बाकि जिसकी जो इच्छा है, वो अपनी राय बना सकते हैं। पहले फिल्म 25 दिसंबर को आने वाली थी। चूंकि इसके वीएफएक्स पर काम बहुत बचा हुआ था इसलिए इसकी डेट में बदलाव किया गया है। इसी हफ्ते अब सेंसर बोर्ड में फिल्म जाएगी।”

सेंसर बोर्ड के रिजल्ट को लेकर कोई दिक्कत है?

पंकज जी का करारा जवाब – ”नहीं, मुझे क्यों होगी, ये सारा काम तो डायरेक्टर व प्रोड्यूसर के जिम्मे आता है। मैंने फिल्म में अपना सौ प्रतिशत दिया और मैं अपना काम से संतुष्ट हूं। अब रिजल्ट को लेकर ज्यादा चिंता नहीं होती है। अभिनेता का अटैचमेंट शूटिंग के आखिरी दिन तक ही होता है। उस दिन मैंने अपना काम ईमानदारी से कर के सौंप दिया है। इसके बाद मैं कयास लगाकर, आंकलन कर चिंता करूं, तो इसका कोई अंत होने वाला नहीं है।”

क्योंकि हमारे हाथ में कुछ लिखा नहीं होता है। बस सब छोड़ दो, और बाकि सब जनता को निर्णय लेने दो। किरदार करते वक्त कोई ऐसी घटना, जिसने आपको चौंकाया हो? ”अटल जी का किरदार करते वक्त मैंने खुद को निजी जिंदगी में बदलते हुए देखा है। मैं अंदर से बहुत सौम्य महसूस करता हूं। मैं बहुत संवेदनशील हुआ हूं कि मैं अब लोगों को समझने लगा हूं। मैंने यह भी सीखा है कि बोलने से ज्यादा मौन रहना बेहतर होता है। आप जीवन में जितने बड़े होते जाते हैं, आपको अपनी सहनशक्ति भी बढ़ानी होती है।”

आजकल की जो रैट रेस है, क्या वहां इतनी सौम्यता और सहजता काम आती है? पंकज ने हीरो के अंदाज में कहा ”रैट रेस का विनर भी रैट ही होता है। हमें इसे चूहे वाले दौड़ में शामिल ही नहीं होना है। हम जैसे हैं, वैसे ही ठीक हैं।”

अगला सवाल हम अटल जी को फिल्म में बतौर राजनेता देखेंगे या कोई और पहलू भी देखने को मिलेगा? पंकज त्रिपाठी ने बताया कि ‘‘फिल्म में हमने कोशिश तो की है कि सबकुछ समेट लें। बटेश्वर का लड़का कैसे आगे चलकर अटल बिहारी वाजपेयी के रूप में प्रभावी राजनेता और कवि बना है। सबकुछ देखने को मिलेगा।”

बायोपिक को कई बार व्यक्ति की इमेज को ग्लोरीफाई करने के लिए बनाते हैं, आपको क्या लगता है?

पंकज बोले सब नजरिए की बात है, ”देखें, हर कोई अपने नजरिये से फिल्म बनाता है। मामला बहुत ही सब्जेक्टिव हो जाता है। वो मेकर्स किसी व्यक्तित्व को कैसे देखता है, ये उसकी आजादी है। अगर कोई क्रिटिकल होकर बनाता है, तो वो उसका तरीका है। कोई फिल्म खराब या अच्छी नहीं होती है, ये केवल डायरेक्टर व राइटर के नजरिये की बात है।”

पंकज त्रिपाठी अपनी अपकमिंग फिल्म अटल को लेकर आत्मविश्वास से भरे नजर आ रहें हैं। ट्रेलर का जबरदस्त रिएक्शन देख लग रहा है कि फिल्म को काफी अचे रेस्पोंस मिलने वाले हैं।

शुरुआती दौर में रहे असफल

पंकज त्रिपाठी ने बताया कि ”जब वे मुंबई में नए थे और काम की तलाश कर रहे थे, तो उन्होंने ‘सत्या’ निर्देशक के दरवाजे खटखटाए। पंकज ने उनकी फिल्म में एक गुंडे की भूमिका निभाकर अपनी पहचान बनाने की कोशिश की थी, लेकिन असफल रहे।

फिर एक बार जब मैं राम जी के ऑफिस पहुंचा, तो मैंने देखा कि वहां पहले से ही बहुत खतरनाक दिखने वाले गुंडे मौजूद थे। मैंने उनसे पूछा कि ”क्या वे अभिनेता हैं, तो उन्होंने हां कहा। फिर मैंने उनसे पूछा कि वे इतने खतरनाक क्यों दिख रहे हैं? उन्होंने कहा, ”राम गोपाल वर्मा खतरनाक आदमी हैं और वह कास्टिंग करते हैं।”

अभिनेता ने ऑडिशन के बारे में क्या कहा?

अभिनेता ने अपने ऑडिशन के बारे में बताया, ‘‘एक दिन राम ने उन्हें फोन किया और अपने ऑफिस बुलाया। जब वह वहां पहुंचा, तब उन्हें एक बेंच पर बैठने को कहा गया, जिस पर चार लोग बैठ सकें फिर उन्हें किनारे पर पर बैठने को बोलै गया, तो वह किनारे पर बैठ गए और सामने राम जी बैठे कर उन्हें देखने लगे।

कुछ समय बाद पंकज को जाने के लिए कहा और फिर कभी वापस नहीं बुलाया। जब वह राम जी से कुछ समय बाद मिले, तो उन्होंने त्रिपाठी जी से उनकी और उनके काम की तारीफ की। पंकज ने यह भी खा अगर उस समय उन्हें रोल दिया होता तो वह उनका और मेरा दोनों का नुकसान होता।”

अगले हफ्ते सिनेमाघरों में देगी दस्तक यह फिल्म

जिसका फैंस को है बेसब्री से इंतजार, रवि जाधव के निर्देशन में बनी पंकज त्रिपाठी की वह फिल्म ‘मैं अटल हूँ’ 19 जनवरी, 2024 को सिनेमाघरों में दस्तक देगी।

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