May 2, 2024

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Chandrayaan 3: चौथी महाशक्ति बनने के करीब भारत, इस मून मिशन पर हैं दुनिया की निगाहें

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Chandrayaan 3

Chandrayaan 3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Centre) से चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) चंद्रमा मिशन लॉन्च किया। चंद्रयान-3 एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैस है। इसका वजन करीब 3,900 किलोग्राम है। चंद्रयान-3 को LVM3-M4 रॉकेट 179 किलोमीटर ऊपर तक ले गया। उसके बाद उसने चंद्रयान-3 को आगे की यात्रा के लिए अंतरिक्ष में धकेल दिया। इस काम में रॉकेट को मात्र 16:15 मिनट लगे।

इस बार चंद्रयान-3 को LVM3 रॉकेट ने जिस ऑर्बिट में छोड़ा है। वह 170X36,500 किलोमीटर वाली अंडाकार जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) है। पिछली बार चंद्रयान-2 के समय 45,575 किलोमीटर की कक्षा में भेजा गया था। इस बार यह कक्षा इसलिए चुनी गई है ताकि चंद्रयान-3 को ज्यादा स्थिरता प्रदान की जा सके।

धरती और चंद्रमा के 5-5 चक्कर लगाएगा चंद्रयान-3

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इसरो के एक वैज्ञानिक ने बताया कि 170X36,500 किलोमीटर वाली अंडाकार जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) के जरिए चंद्रयान की ट्रैकिंग और ऑपरेशन ज्यादा आसान और सहज होगा। चंद्रमा की ओर भेजने से पहले चंद्रयान-3 को धरती के चारों तरफ कम से कम पांच चक्कर लगाने होंगे। हर चक्कर पहले वाले चक्कर से ज्यादा बड़ा होगा. ऐसा इंजन को ऑन करके किया जाएगा।

5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में जाएगा चंद्रयान-3

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इसके बाद चंद्रयान-3 ट्रांस लूनर इंसरशन (TLI) कमांड दिए जाएंगे। फिर चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) सोलर ऑर्बिट यानी लंबे हाइवे पर यात्रा करेगा। 31 जुलाई तक TLI को पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद चंद्रयान करीब साढ़े पांच दिनों तक चंद्रमा की ओर यात्रा करेगा। चंद्रमा की बाहरी कक्षा में वह पांच अगस्त के आसपास प्रवेश करेगा। यह गणनाएं तभी सही रहेंगी, जब सबकुछ सामान्य स्थिति में होगा। कोई तकनीकी गड़बड़ी होने पर इसमें समय बढ़ सकता है।

खुद लैंडिंग की जगह चुनेगा, सभी खतरों को खुद भापेगा

लैंडिंग के लिए सही जगह का चुनाव वह खुद करेगा। इस बार कोशिश रहेगी कि विक्रम लैंडर इतने बड़े इलाके में अपने आप सफलतापूर्वक उतर जाए। इससे उसे ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है। इस लैंडिग पर नजर रखने के लिए चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अपने कैमरे तैनात रखेगा। साथ ही उसने ही इस बार की लैंडिंग साइट खोजने में मदद की है।

इसरो ने चाँद को इक्सप्लोर करने के लिए कसा कमर

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चंद्रयान 2 की आंशिक सफलता के बाद भारत और भारतीय वैज्ञानिक एक बार फिर चंद्रमा की ओर अपने मिशन चंद्रयान 3 (Chandrayaan3) के जरिए बढ़ने का सपना सँजो रहा था, जो आज सफल हो गया। गौरतलब है, 60 और 70 के दशक में अमेरिका (USA) और सोवियत संघ (Russia) के बीच शुरू हुई स्पेस रेस के चलते अपोलो मिशन के अंतर्गत अमेरिका ने साल 1969 में अपने दो एस्ट्रोनॉट नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन को चांद की सतह पर उतारा।

इसके बाद कई अपोलो मिशन चांद पर भेजे गए। हालांकि, साल 1972 में जेने सेरनैन (Gene Cernan) के बाद से कोई दूसरा एस्ट्रोनॉट अभी तक चांद की सतह पर कदम नहीं रख सका है। ऐसे में इसरो (ISRO) ने चाँद को इक्सप्लोर करने के लिए एक बार फिर अपनी कमर कस ली है।

भारत के इस मिशन पर दुनिया कि हैं निगाहें

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चंद्रयान 3 मिशन के अंतर्गत इसका रोबोटिक उपकरण 24 अगस्त तक चांद के उस हिस्से ‘शेकलटन क्रेटर’ (Shackleton Crater) पर उतर सकता है जहां अभी तक किसी भी देश का कोई अभियान नहीं पहुंचा है। इसी वजह से पूरी दुनिया की निगाहें भारत के इस मिशन पर हैं। पहले के मुकाबले इस बार चंद्रयान 3 (Chandrayaan3) का लैंडर ज्यादा मजबूत पहियों के साथ 40 गुना बड़ी जगह पर लैंड होगा। लैंडर को सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतारने के लिए इसमें कई तरह के सुरक्षा उपकरणों को लगाया गया है। चंद्रयान 3 मिशन की थीम ‘Science Of The Moon’ यानी ‘चंद्रमा का विज्ञान’ है।

क्या है शेकलटन क्रेटर?

चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव 4.2 किलोमीटर वाला एक बड़ा शेकलटन क्रेटर (Shackleton Crater) है। इस खास जगह पर अरबों सालों से सूर्य की रोशनी नहीं पहुंची है। इस वजह से यहां का तापमान -267 डिग्री फारेनहाइट रहता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस जगह पर हाइड्रोजन की मात्रा काफी ज्यादा है। इस कारण यहां पर पानी की मौजूदगी हो सकती है। कई वैज्ञानिकों द्वारा यह अनुमान लगाया जा रहा है कि शेकलटन क्रेटर (Shackleton Crater) के पास 100 मिलियन टन क्रिस्टलाइज पानी मिल सकता है।

इसके अलावा यहां पर अमोनिया, मिथेन, सोडियम, मरकरी और सिल्वर जैसे जरूरी संसाधन मिल सकते हैं। चंद्रयान 3 मिशन के अंतर्गत रोवर के माध्यम से इन्हीं जगहों को एक्सप्लोर किया जाएगा। रोवर की मदद से चांद की सतह की मिट्टी, वहां का तापमान और वातावरण में मौजूद गैसों के बारे में पता लगाया जाएगा। चंद्रयान 3 (Chandrayaan3) मिशन इंसानी जिज्ञासा का प्रतीक और बदलते भारत की तस्वीर को बयां करेगा। यही नहीं चंद्रयान 3 ग्लोबल स्पेस रेस में भारत की धमक को मजबूती देगा।

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