विवादों के बीच एक बार फिर इस उद्योगपति ने लगाई लंबी छलांग, LIC को मिला बंपर मुनाफा

Gautam Adani : भारत के उद्योगपति गौतम अडानी (Gautam Adani) एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं वजह है विवाद के बावजूद उन्होंने एक बार फिर छलांग लगाते हुए टॉप 20 उद्योगपतियों की लिस्ट में अपना नाम लिखवा दिया है।
इसी के साथ देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा (LIC) ने वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही के नतीजे जारी किए हैं जिसमें देखा जा सकता है कि बीमा कंपनी ने लगभग 466 प्रतिशत का मुनाफा कमाया है।
LIC को 466% का मुनाफा
LIC Q4: मुनाफा ₹2372 Cr से बढ़कर ₹13428 Cr (YoY)
— Zee Business (@ZeeBusiness) May 24, 2023
ग्रॉस NPA 5.02% से घटकर 2.56 % (QoQ)
₹3/शेयर डिविडेंड का ऐलान#LIC | #Q4Results | #ResultsOnZee pic.twitter.com/DxsqbfSc3c
दरअसल कुछ दिनों पहले ही देश में एक अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research Report) की एक विवादित रिपोर्ट के बाद से विपक्ष ने गौतम अडानी (Gautam Adani) और भारतीय जीवन बीमा को लेकर मोदी सरकार को घेरा था। जिसको लेकर विवाद शुरू हो गया था। विपक्ष आरोप लगा रहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय जीवन बीमा को अड़ानी के हाथों बर्बाद कर दिया।
मोदी सरकार ने गौतम अड़ानी की कंपनी अड़ानी ग्रुप को फायदा पहुंचाया है। अब LIC ने वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही के नतीजे जारी किए हैं। इससे पता चलता है कि बीमा कंपनी (LIC Profit) का मुनाफा 466% बढ़कर करीब 13428 करोड़ रुपए हो गया है।
चौथी तिमाही में 13 हजार करोड़ से ज्यादा का मुनाफा
सुत्रों की माने तो बीमा कंपनी ने चौथी तिमाही में कुल 13,427.8 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया है इससे पहले इसी तिमाही में बीमा कंपनी का मुनाफा 2,371 करोड़ रुपए ही था। जारी नतीजों के अनुसार मार्च तिमाही में कंपनी का फर्स्ट ईयर प्रीमियम सालाना आधार पर 12.33 प्रतिशत गिरकर 12811.2 करोड़ रुपए रहा, जबकि रिन्यूअल प्रीमियम 6.8 फीसद बढ़कर 76009 करोड़ रुपए पर पहुँच गया।
LIC को कमीशन से 8428.5 करोड़ रुपए की कमाई हुई। यह पिछले फाइनेंशियल ईयर के मुकाबले 5.4 प्रतिशत और पिछले तिमाही के मुकाबले 33.4 प्रतिशत अधिक है।
निवेशकों को मिलेगा खास तोहफा
अब कंपनी ने इस अच्छे-खासे मुनाफे को कमाने के बाद अपने निवेशकों को इसका फायदा देने जा रही है। सुत्रों की माने तो कंपनी जल्द ही अपने निवेशकों भी रिटर्न गिफ्ट देने का फैसला करते हुए निवेशकों को 3 रुपए प्रति शेयर डिविडेंड देने का ऐलान किया है। एलआईसी के नेट प्रीमियम इनकम की बात करें तो मार्च तिमाही के दौरान इसमें 0.12 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
इसके कारण इस तिमाही में नेट प्रीमियम इनकम 1.32 लाख करोड़ रुपए ही रही। साल भर पहले इसी तिमाही में यह 1.44 लाख करोड़ रुपए थी। इसके साथ ही मार्च तिमाही में एकीकृत आधार (Integrated base) पर कंपनी की कुल आमदनी घटकर 2,01,022 करोड़ रुपए रह गई, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह आमदनी 2,15,487 करोड़ रुपए थी।
बीमा कंपनी ने निवेश से भी कमाई की है। जनवरी से मार्च 2023 के दौरान एलआईसी ने इन्वेस्टमेंट से रिटर्न के रूप में 67,846 करोड़ रुपए की कमाई की है। रिपोर्टों के अनुसार देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी ने सिर्फ 2 महीने में ही अडानी ग्रुप के शेयरों से 5,500 करोड़ रुपए की कमाई कर ली है। बता दें एलआईसी अडानी ग्रुप की कंपनियों में एक बड़ा संस्थागत इन्वेस्टर है। अडानी ग्रुप में एलआईसी के निवेश की कीमत अब 44,600 करोड़ रुपए के पास पहुँच गई है।
टॉप 20 में पहुंचे उद्योगपति गौतम अडानी
वहीं बात अगर उद्योगपति गौतम अडानी (Gautam Adani) की करें तो उनके शेयरों में भी तेजी का सिलसिला जारी है। इसी का नतीजा है कि उन्होंने एक बार फिर से दुनिया के 20 अरबपतियों की सूची में अपनी जगह बना ली है। रिपोर्टों के अनुसार 18 मई को गिरावट के साथ अडानी की नेटवर्थ 52.4 अरब डॉलर पर आ गया था। लेकिन पिछले तीन दिनों में अडानी का नेटवर्थ 64.2 अरब डॉलर पहुँच गया।
इसका मतलब हुआ कि 18 मई के बाद से गौतम अडानी (Gautam Adani) की कुल संपत्ति में 11.8 अरब डॉलर यानी करीब 98 हजार करोड़ रुपए का इजाफा हुआ। इसी के साथ दुनिया के सबसे अमीरों की लिस्ट में 24 वें नंबर पर काबिज अडानी अब सीधे 18 वें नंबर पर पहुँच गए।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद हुई थी गिरावट
बता दें कि अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी समूह (Gautam Adani) पर मनी लॉन्ड्रिंग, अनऑथोराइज्ड ट्रेडिंग, वित्तीय गड़बड़ी, भारी-भरकम लोन सहित कई गंभीर आरोप लगाए थे।
लेकिन इस रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के खिलाफ जाँच के लिए सर्वोच्च न्यायालय (SC) द्वारा गठित विशेषज्ञ पैनल ने पिछले दिनों ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कीमतों में हेरफेर को लेकर पहली नजर में उसे किसी तरह की रेगुलेटरी कमी नहीं दिखी है।
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