Samudrayaan Mission : चाँद और सूर्य की ऊँचाई के बाद अब भारत नापेगा समुद्र की गहराई, जानिए क्या है इसकी खासियत

Samudrayaan Mission : चांद और सूर्य की ऊंचाइयों की थाह लगाने के बाद भारतीय वैज्ञानिकों की निगाह अब समुद्र की गहराइयों की ओर है. देश के समुद्र विज्ञानी (Ocean Scientist) अब सागर की गहराइयों में उतरने की योजना बना रहे हैं और इसकी तैयारियां भी जोर- शोर से शुरू हो गयी हैं. इसे समुद्रयान मिशन नाम दिया गया है. इस मिशन के जरिये भारत की समुद्र की गहराइयों में छिपे रहस्य जानने की योजना है. सारी स्थितियां सामान्य रहीं तो जल्द ही इस मिशन का ट्रायल भी शुरू हो जायेगा.
यान में 3 लोगों के बैठने की जगह
मिशन समुद्रयान (Samudrayaan Mission) के लिए भारतीय समुद्र विज्ञानी जो स्वदेशी उपकरण तैयार कर रहे हैं. उसे ‘मत्स्य 6000’ (Matsya 6000) नाम दिया गया है. पूर्ण रूप से स्वदेशी इस सबमर्सिबल यान में तीन लोग बैठ कर समुद्र में छह किलोमीटर गहरे तक उतर सकते हैं. यही नहीं, वे इतनी गहराई में मत्स्य 6000 में बैठे घंटोंतक काम भी कर सकते हैं.
समुद्र की गहराईयों में करेंगे इन तत्वों की खोज
भारतीय समुद्र विज्ञानियों की योजना के अनुसार इस समुद्रयान में बैठे तीन वैज्ञानिक समुद्र की गहराइयों में उतर कर वहां निकेल, कोबाल्ट, मैंगनीज, हाइड्रोथर्मल के साथ ही गैस हाइड्रेट्स की खोज करेंगे. स्टील एवं विद्यत उद्योग के लिए ये धातुएं बहुत महत्वपूर्ण हैं. इसके साथ ही वैज्ञानिक इस मिशन के तहत समुद्र में मिथेन की बढ़ोतरी एवं उससे आ रहे परिवर्तनों का अध्ययन भी करेंगे.
इन सभी सुविधाओं से लैस होगा समुद्रयान
मिशन समुद्रयान के लिए नेशनल इंस्टिच्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) के वैज्ञानिक मत्स्य 6000 को विकसित कर रहे हैं. 2.1 मीटर ब्यास वाला यह पूर्ण स्वदेशीयान करीब 9 मीटर लंबा होगा.एनआइओटी के समुद्र विज्ञानियों के अनुसार मत्स्य 6000 समुद्र की गहराइयों में बैठ कर एक बार में 12 से 16 घंटे तक काम कर सकती है. उनके अनुसार इसमें 96 घंटे तक ऑक्सीजन की आपूर्ति की व्यवस्था होगी. समुद्र विज्ञानी मत्स्य 6000 का ट्रायल जल्द से जल्द शुरू करने के लिए उत्सुक हैं.
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