केंद्रीय मंत्री ने CAA पर दिया बड़ा बयान, एक हफ्ते में होगा लागू, जानें क्या होंगे बदलाव और किसे मिलेगी नागरिकता?
CAA: केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने दावा किया है कि ”अगले सात दिन के अंदर नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा।” उनके इस बयान के बाद से देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है। इससे पहले भी इस कानून को लेकर बहुत विवाद हो चुका हैं और कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिले थे। भारतीय नागरिकता कानून क्या है और इसके लागू होने से क्या बदल जाएगा? इस कानून को लेकर आखिर आपत्ति क्या है?
देश में लागू किया जाएगा ‘सीएए’
बता दें कि सोमवार (29 जनवरी) को पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए शांतनु ने बंगाली में कहा कि ”सीएए को एक हफ्ते के अंदर लागू कर दिया जाएगा। ये न सिर्फ पश्चिम बंगाल में लागू होगा, बल्कि पूरे देश में लागू किया जाएगा।” इस बयान के बाद सीएए एक बार फिर चर्चा में है।
इस कानून पर पांच साल पहले ही देश में लागू करने की मुहर लग चुकी है, लेकिन अभी तक लागू नहीं हो पाया है। इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों ने ज्यादा आपत्ति जताई और उनका सख्त रवैया भी देखने को मिला था। पूरे देश में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन तक हुए थे। खासकर पूर्वोत्तर के सात राज्य इसके खिलाफ हैं। विरोध को लेकर नॉर्थ ईस्ट सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है। वहां तोड़फोड़ की वजह से करोड़ों की संपत्ति का नुकसान देखने को मिला था।
दरअसल नागरिकता संशोधन बिल पहली बार 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था। लोकसभा में ये पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में अटक गया था। बाद में इसे संसदीय समिति और फिर 2019 का चुनाव आ गया। फिर से मोदी सरकार बनी। दिसंबर 2019 में इसे लोकसभा में दोबारा पेश किया गया। लेकिन इस बार ये बिल लोकसभा और राज्यसभा, दोनों जगह से पास हो गया।10 जनवरी 2020 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी। लेकिन उस समय कोरोना की वजह से देरी हुई थी।
ये प्रावधान भेदभावपूर्ण है
इस कानून के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक समुदायों (हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी) को अवैध अप्रवासियों के लिए भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। जो दिसंबर 2014 तक किसी ना किसी प्रताड़ना का शिकार होकर भारत आए।
इस पर विरोधियों का तर्क है कि यह कानून भेदभावपूर्ण है, क्योंकि इसमें मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है। इसके देश में लागू होने से मुसलमानों को देश छोड़ के जाना पडे़गा, जिससे देश में ऐसी स्थिति पैदा होगी जहां नागरिकता धर्म के आधार पर निर्धारित की जाएगी। अगर देश की नागरिकता नहीं है तो सीएए और एनआरसी के लागू होने के बाद बड़ी संख्या में लोग राष्ट्रविहीन हो सकते हैं।
इन लोगों को मिलेगी नागरिकता
नागरिकता देने का अधिकार देखा जाए तो पूरी तरह से केंद्र सरकार के पास है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म से जुड़े शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी और जो लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले आकर भारत में बस गए थे, उन्हें ही नागरिकता मिलेगी। इस कानून के तहत उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है, जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज (पासपोर्ट और वीजा) के बगैर घुस आए हैं या फिर वैध दस्तावेज के साथ तो भारत में आए हैं, लेकिन तय अवधि से ज्यादा समय तक यहां रुक गए हों।
ऑनलाइन आवेदकों को छूट
इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया गया है। पूरी प्रकि्या ऑनलाइन होगी, आवेदकों को वह साल बताना होगा, जब उन्होंने दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था। आवेदकों से कोई भी दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। नागरिकता से जुड़े जितने भी ऐसे मामले पेंडिंग हैं वे सब ऑनलाइन कन्वर्ट किए जाएंगे। पात्र विस्थापितों को सिर्फ पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। उसके बाद गृह मंत्रालय जांच करेगा और नागरिकता जारी कर देंगे।
6 साल बाद नागरिकता देने का फैसला
कानूनन भारत की नागरिकता के लिए कम से कम 11 साल तक देश में रहना जरूरी है। लेकिन, नागरिकता संशोधन कानून में इन तीन देशों के गैर-मुस्लिमों को 11 साल की बजाय 6 साल रहने पर ही नागरिकता दे दी जाएगी। बाकी दूसरे देशों के लोगों को 11 साल का समय भारत में गुजारना होगा, भले ही फिर चाहे वो किसी भी धर्म के हों।
जारी है लोगों को भड़काने का कार्य
सीएए और एनआरसी का मामला सामने आया तब से इस मुद्दे पर जमकर राजनीति शुरु हो गई है। अलग-अलग राजनीतिक दल अलग-अलग रुख अपना रहे हैं। इस मुद्दे पर पूरे देश में लोगों को भड़काने का कार्य किया जा रहा है।
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