सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाएंगी हिन्दू पक्ष की महिलाएं, तहखानों में छिपा है मंदिर का राज!
Gyanvapi Masjid Mandir: 22 जनवरी प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के शुभ कदम अयोध्या में आखिर पड़ ही गए। 500 सालों का वनवास काट प्रभु राम अपने सिंघासन पर विराज गए हैं। वहीं अब रामलला के बाद लोगों को ज्ञानवापी में भगवान शंकर के विराजमान का इंतजार है। लोगों को पूर्ण विश्वास है कि वहाँ मंदिर था मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाया गया। इस मामले में एक नया मोड़ आया है वादी पक्ष ने यह दावा किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद में मंदिर होने का राज तहखाने में छिपा है। इस सिलसिले में वादी पक्ष आज सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा और मस्जिद का सीलबंद तहखाना खोलने का अनुरोध करेगा। वहीं याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ASI रिपोर्ट पर भी चर्चा कर सकती है।
मॉडर्न टेक्नोलॉजी से हो साइंटिफिक जांच
बता दें कि मामले की वादी हिन्दू महिलाओं का कहना है कि ASI सर्वे में भी स्पष्ट किया गया है कि 10 तहखानों के अंदर ज्ञानवापी मस्जिद में हिन्दू मंदिर होने के सबूत हैं और जिस तरह से इन्हें सीलबंद किया गया है, वह भी दाल में कुछ काला होने का अंदेशा जता रहे हैं। इसलिए हम मांग कर रहे हैं कि तहखानों को खोलकर मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके इनकी साइंटिफिक जांच की जाए।
तहखानों में कलाकृतियां होने का दावा
वादी पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि विवादित इमारत के उत्तर और दक्षिण ओर 5-5 तहखाने हैं, जिन्हें कृत्रिम दीवारें बनाकर सीलबंद किया गया है। इन्हीं सीलबंद तहखानों में हिन्दू मंदिर होने के सबूत और कलाकृतियां हैं। सुप्रीम कोर्ट की याचिका के साथ ही एक नक्शा भी दिया जाएगा।
ज्ञानवापी परिसर में सीलबंद वुज़ुखाने (स्नान जल टैंक) का ASI सर्वे हो चुका है, जिसे 16 मई 2022 से सीलबंद कर दिया गया था, हिन्दू पक्ष ने दावा किया था कि पहले कराए गए सर्वेक्षण में यहां शिवलिंग पाया गया था। राम मंदिर के मुख्य पुजारी ने भी ज्ञानवापी मस्जिद को हिंदुओं को सौंपने का आग्रह किया है।
गुंबद के नीचे मंदिर का गर्भगृह
एएसआई की सर्वे रिपोर्ट में ज्ञानवापी में वर्तमान ढांचे (मस्जिद) से पहले जिस हिंदू मंदिर होने का उल्लेख है, उसे नागर शैली का बताया गया है। रिपोर्ट में मंदिर के चार खंभों से ढांचे तक की परिकल्पना बताई गई है। ASI ने मंदिर का नक्शा नहीं बनाया है,लेकिन रिपोर्ट में मंदिर के प्रवेश, मंडप और गर्भगृह का जिक्र है। जीपीआर सर्वे में मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे पन्नानुमा टूटी वस्तु मिली है। यह वह हिस्सा है जहां पूर्वी दीवार को बंद किया गया है। इसके आगे के हिस्सा को प्राचीन मंदिर का गर्भगृह होने की संभावना जताई जा रही है।
बीएचयू के आर्कियोलॉजिस्ट प्रो. अशोक सिंह का कहना है कि ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) की रिपोर्ट ज्ञानवापी में तहखाने के करीब छह फीट नीचे मंदिर के मिले अवशेषों के 2000 साल पुराना होने का इशारा करती है। सर्वे में पत्थर से निर्मित जो विग्रह मिले हैं, उनमें सबसे ज्यादा 15 शिवलिंग हैं। इसके अलावा 18 मानव की मूर्तियां, तीन जानवरों की मूर्ति, विभिन्न काल के 93 सिक्के मिले हैं और 113 धातु की सामग्रियां भी मिलीं हैं।
चार अध्याय की रिपोर्ट
एएसआई ने ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे के बाद जिला जज की अदालत में जो रिपोर्ट सौंपी है, उसे चार अध्याय में बांटा गया है। पहले अध्याय में 155 पेज में ज्ञानवापी की संरचना, वर्तमान ढांचा, खंभा-प्लास्टर, पश्चिमी दीवार, शिलालेख व भग्नावशेष का पूरा विवरण है। इसी अध्याय के अंत में आठ पेज में सर्वे के निष्कर्ष के रूप में बताया गया है कि मौके पर मिले साक्ष्यों, शिलालेख और वर्तमान ढांचा की व्यवस्था को देखकर पूरी तरह से स्पष्ट है कि प्राचीन हिंदू मंदिर के ऊपर मस्जिद का ढांचा तैयार किया गया है। 206 पेज के दूसरे अध्याय में वैज्ञानिक अध्ययन का जिक्र है तो 229 पेज के तीसरे अध्याय में सर्वे में साक्ष्य के रूप में एकत्र की गई एक-एक वस्तु, दीवारों-खंभों पर अंकित चिह्न और इनके माप का ब्यौरा, सर्वे में ली गई तस्वीरों का भी विवरण है। 243 पेज के चौथे अध्याय में ज्ञानवापी परिसर में ली गई तस्वीरों को औपचारिक रूप से बताया गया है।
दशकों पुराना है मस्जिद में मंदिर होने का विवाद
बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी में है और यह काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी है, लेकिन अगस्त 2021 में 5 हिन्दू महिलाओं ने मस्जिद में मां गौरी की पूजा करने का अधिकार मांगा था। इसके लिए सिविल सूट दायर किया गया। तब से शुरू हुआ विवाद सुप्रीम कोर्ट से जिला अदालत, इलाहाबाद हाईकोर्ट और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) तक पहुंचा। वीडियोग्राफिक सर्वे, कार्बन डेटिंग, शिवलिंग का मिलना आदि हुआ। ASI के सर्वे की 839 पन्नों की रिपोर्ट में भी दावा किया गया कि मस्जिद पहले मंदिर हुआ करता था। अब इस रिपोर्ट के आधार पर फिर से मस्जिद के तहखानों का सर्वे कराए जाने की मांग की जा रही है।