सैनिटरी पैड से बदलेगा बेटियों का भविष्य, बेटियों के लिए सरकार का तोहफा
12वीं क्लास तक की स्कूली लड़कियों को मुफ्त सैनिटरी पैड बांटने के लिए केंद्र सरकार की नई पहल। यह स्कीम गरीब वर्ग से आने वाली लड़कियों को लाभ देगी।
सर्वे के अनुसार यह पता चला है कि मासिक धर्म के समय गरीब पृष्ठभूमि से आने वाली 11 से 18 साल की किशोरियों को शिक्षा हासिल करने में कई कठनाईयों का सामना करना पड़ता है। इसके पीछे वजह यह है कि इसे लेकर शिक्षा की काफी कमी है। मासिक धर्म को लेकर ये किशोरियां अपने माता-पिता से भी सलाह नहीं लेतीं। न ही वे इस बारे में खुलकर बात करती हैं। उन्हें लगता है कि मासिक धर्म एक प्रकार की गुप्त बीमारी है जिसे किसी को भी बताना पाप है। कुछ को यह तक नहीं पता की सैनिटरी पैड होता क्या है ? इसका इस्तमाल कैसे करते हैं?
मुफ्त सैनिटरी पैड जैसे प्रोडक्ट स्कूलों में लड़कियों की अटेंडेंस को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। यह बात विकासशील देशों पर खास तौर से लागू होती है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पेटिशन में याचिकाकर्ता ने मासिक धर्म को स्वच्छ तरीके से प्रबंधित करने को महिलाओं की गरिमा के साथ जोड़ा है। इसे बुनियादी स्वच्छता और प्रजनन स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण अंग बताया है। इससे लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण पर सकारात्मक असर पड़ता है।
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पिछले कुछ सालों में बेटियों को ध्यान में रखकर सरकार ने कई बड़े कदम उठाए हैं। सैनिक स्कूलों के दरवाजे खोलने से लेकर उन पर केंद्रित कई स्कीमों को शुरू किया गया है। अब उसी दिशा में सरकार एक और कदम उठाने वाली है। इस पर स्टेकहोल्डरों से राय मांगी गई है। इसके लिए चार हफ्तों का समय दिया गया है। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा था कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से बात कर वह नैशनल पॉलिसी अपनाए।
यह इस तरह की होनी चाहिए जिससे देशभर के स्कूलों में लड़कियों के मासिक धर्म हाईजीन के लिए लागू किया जा सके। अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कक्षा 6 से 12 तक पढ़ने वाली लड़कियों को मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने के लिए सरकारों को निर्देश जारी करने की मांग की गई थी।
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