Bikaner: दिवाली में उर्दू में लिखी रामायण का वाचन
Bikaner: राजस्थान के बीकानेर का इतिहास काफी अनोखा है। बीकानेर में दीवाली पर उर्दू में लिखी रामायण पढ़ी जाती है। इस उर्दू में लिखी रामायण को मुस्लिम समाज द्वारा पढ़ा जाता है। वे यह काम पिछले 25 से 30 सालों से करते आ रहे है और आज भी जारी है। इस कार्यक्रम में मुस्लिम और हिंदू समाज के सभी लोग शामिल होते है।
इस परम्परा के मध्यनजर आजतक किसी पक्ष की ओर से कोई रुकावट नहीं देखी गई, यहां की संस्कृति अपने आप में अधभूत है मुस्लिम और हिन्दू दोनों पक्षों में सिर्फ प्यार और अमन दिखाई पड़ता है।
इस रामायण को वर्ष 1935 में उर्दू के शायर लखनऊ के मौलवी बादशाह हुसैन राणा लखनवी ने बीकानेर में लिखी थी. उस समय यहां पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की ओर से अपनी मातृभाषा में कविता के रूप में रामायण लिखने की एक प्रतियोगिता आयोजित हुई थी। उस समय मौलवी राणा बीकानेर रियासत के महाराजा गंगासिंह के यहां उर्दू-फारसी के फरमान अनुवाद किया करते थे।
इस रामायण को उर्दू में छंद में लिखी सबसे अच्छी रामायण माना जाता है. इस सबसे संक्षिप्त में लिखा हुआ है। 33 पन्नो पर आधारित यह रामायण है। यह सिर्फ नौ पृष्ठों की है और इसमें 27 छंद है. हर छंद में छह-छह लाइनें हैं। कहा जाता है कि मौलवी राणा ने अपने कश्मीरी पंडित मित्र से रामायण के किस्से सुने थे।
इसके आधार पर उन्होंने इस रामायण की रचना की। इससे पहले मौलवी ने रामायण नहीं सुनी थी। बाद में इस रामायण को प्रतियोगिता में भेजा गया, जहां इसे सबसे अच्छी रामायण मानते हुए गोल्ड मेडल से नवाजा गया।