Lok Election 2024: मोदी के खिलाफ 600 वकीलों ने भेजी CJI को चिट्ठी, मोदी ने भी ट्वीट कर दिया जवाब
Lok Sabha Election 2024: चुनाव से पहले उम्मीदवारों के नामों के ऐलान से लेकर नामांकन का सिलसिला जारी है। इसी का तहत सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे और पिंकी आनंद सहित देश के 600 से अधिक वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को एक पत्र लिखा है। इसके बाद से ही केंद्र की मोदी सरकार ने कांग्रेस पर निशाना साधाना शुरु कर दिया है। पत्र में आरोप लगाते हुए कहा गया है कि इस खास ग्रुप का काम अदालती फैसलों को प्रभावित करने के लिए दबाव डालना है, विशेष रूप से ऐसे मामलों में जिनसे या तो नेता जुड़े हुए हैं या फिर जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। इनकी गतिविधियां देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने और न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास के लिए खतरा है।
दूसरों को डराना, कांग्रेस की पुरानी संस्कृति
पत्र में कहा गया है कि ”एक विशेष ग्रुप देश में न्यायपालिका को कमजोर करने में जुटा हुआ है।” इस चिट्ठी के बाद पीएम मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि, “दूसरों को डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है। 5 दशक पहले ही उन्होंने “प्रतिबद्ध न्यायपालिका” का आह्वान किया था- वे बेशर्मी से अपने स्वार्थों के लिए दूसरों से प्रतिबद्धता चाहते हैं लेकिन राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से बचते हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि 140 करोड़ भारतीय उन्हें अस्वीकार कर रहे हैं।”
प्रधानमंत्री को मिले कई झटके
पीएम के बयान पर कांग्रेस की तरफ से भी बयानबाजी की गई है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा की, “हाल के सप्ताहों में सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री को कई झटके दिए हैं। चुनावी बॉन्ड योजना तो इसका एक उदाहरण है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें असंवैधानिक घोषित कर दिया और अब यह बिना किसी संदेह के साबित हो गया है कि बॉन्ड कंपनियों को बीजेपी को दान देने के लिए मजबूर करने के लिए भय, ब्लैकमेल और धमकी का एक जबरदस्त साधन थे। प्रधानमंत्री ने एमएसपी को कानूनी गारंटी देने के बजाय भ्रष्टाचार को कानूनी गारंटी दी है। पिछले दस वर्षों में प्रधानमंत्री ने जो कुछ भी किया है वह बांटना, विकृत करना, ध्यान भटकाना और बदनाम करना है। 140 करोड़ भारतीय उन्हें जल्द ही करारा जवाब देने का इंतजार कर रहे हैं।”
‘माई वे या हाईवे’ वाली थ्योरी
चिट्ठी में कहा गया है कि ”ये ग्रुप अपने पॉलिटिकल एजेंडे के आधार पर अदालती फैसलों की सराहना या फिर आलोचना करता है। असल में ये ग्रुप ‘माई वे या हाईवे’ वाली थ्योरी में विश्वास करता है। साथ ही बेंच फिक्सिंग की थ्योरी भी इन्हीं की गढ़ी हुई है। वकीलों का यह भी आरोप है कि ये अजीब है कि नेता किसी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं और फिर अदालत में उनका बचाव करते हैं। ऐसे में अगर अदालत का फैसला उनके मनमाफिक नहीं आता तो वे कोर्ट के भीतर ही या फिर मीडिया के जरिए अदालत की आलोचना करना शुरू कर देते हैं।”
जजों पर दबाव डालने की कोशिश
चिट्ठी में आगे कहा गया है कि ”कुछ तत्व जजों को प्रभावित करने या फिर कुछ चुनिंदा मामलों में अपने पक्ष में फैसला देने के लिए जजों पर दबाव डालने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसा सोशल मीडिया पर झूठ फैलाकर किया जा रहा है। इनके ये प्रयास निजी या राजनीतिक कारणों से अदालतों को प्रभावित करने का प्रयास है, जिन्हें किसी भी परिस्थिति में सहन नहीं किया जा सकता।”