दूनिया के कुछ ही देशों के पास है यह महत्वपूर्ण तकनीक, इसरो ने इस मिशन को लॉन्च कर रचा नया कीर्तिमान
Navic: भारत इन दिनों अपने नए-नए इनोवेशन से दूनिया में कीर्तिमान रच रहा है कल ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का उद्घाटन किया था। आज सुबह भारत की स्पेस इंडस्ट्री ने भी एक कीर्तिमान रच भारत के नाम में चार चांद लगाए हैं भारत की स्पेस कंपनी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ने आज सुबह एक मिशन लॉन्च किया।
लॉन्च होने के 20 मिनट बाद ही हुआ स्थापित
#WATCH | Indian Space Research Organisation (ISRO), launches its advanced navigation satellite GSLV-F12 and NVS-01 from Sriharikota.
(Video: ISRO) pic.twitter.com/2ylZ8giW8U
— ANI (@ANI) May 29, 2023
इसरो ने आज सुबह 10:42 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस से इसरो ने एडवांस नेविगेशन जीएसएलवी-एफ12 और एनवीएस-01 मिशन (Navic) को सफलतापूर्वक पूरा किया और सेंकेंड जेनरेशन की नेविगेशन सैटेलाइट को लॉन्च किया।
सैटेलाइट लॉन्च होने के 20 मिनट के बाद ही यह अपनी जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित हो गई इस सफलतापूर्वक लॉन्च के बाद इसरो की तरफ से एक बयान जारी किया गया जिसमें कहा गया कि अब हम उस स्थिती में हैं कि अब हम बड़े पेलोड को लॉन्च करने की क्षमता रखते हैं।
भारत के जवान और सशक्त और घातक होंगे
#WATCH | Indian Space Research Organisation (ISRO), launches its advanced navigation satellite GSLV-F12 and NVS-01 from Sriharikota.
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ISRO द्वारा लॉन्च किए गए इन सैटेलाइटों (Navic) को खासकर सशस्त्र बलों को मजबूत करने और नौवहन सेवाओं की निगरानी के लिए बनाया गया है। इससे भारत के जवान और सशक्त व घातक होंगे। बताया जा रहा है कि लॉन्च किया गया नाविक अमेरिकी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) का जवाब में है।
इसका इस्तेमाल स्थलीय, हवाई और समुद्री परिवहन, लोकेशन आधारित सेवाओं, निजी गतिशीलता, संसाधन निगरानी, सर्वेक्षण और भूगणित वैज्ञानिक अनुसंधान, समय प्रसार और आपात स्थिती में किया जाएगा। इसरो के मुताबिक एनवीएस-01 का मिशन जीवन 12 साल से ज्यादा रहने की उम्मीद है।
जीपीएस की तरह करेगा काम
इसरो के अनुसार जीपीएस के प्रकार काम करने वाला यह सैटेलाइट (Navic) भारत और मुख्य जमीन के आसपास लगभग 1500 किलोमीटर के इलाके में तात्कालिक स्थिति और समय संबधी सेवाएँ प्रदान करेगा। सुत्रों की माने तो इस नाविक को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि 20 मीटर से बेहतर उपयोगकर्ता की स्थिति का सिग्नल और 50 नैनोसेंकड से बेहतर समय सटीकता प्रदान करने में सक्षम रहेगा।
इन देशों की सूची में शामिल हुआ भारत
इसरो द्वारा नाविक (Navic) एसपीएस सिग्रल अमेरिकी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम सिग्रल, जीपीएस, रूस से ग्लोनास, यूरोपीय संघ के गैलीलियो और चीन के बेईदोऊ के साथ इंटरऑपरेबल हो गया है। इसरो के एक आधिकारी के अनुसार यह पहली बार है जब स्वदेशी रूप से विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी का प्रक्षेपण में उपयोग किया गया है।
अंतरिक्ष एजेंसी की माने तो पहले वैज्ञानिक रूबिडियम परमाणु घड़ियों का उपयोग तारीख और स्थान का निर्धारण करने के लिए करते थे लेकिन अब भारत के अहमदाबाद में स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र में विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी होगी। यह महत्वपूर्ण तकनीक कुछ ही देशों के पास है जिसमें अब भारत ने भी अपना स्थान बना लिया है।
पहली बार स्वदेशी विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी का इस्तेमाल
इसरो के मुताबिक, यह पहली बार स्वदेशी रूप से विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी का प्रक्षेपण में उपयोग किया जाएगा। अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, वैज्ञानिक पहले तारीख और स्थान का निर्धारण करने के लिए आयातित रूबिडियम परमाणु घड़ियों का इस्तेमाल करते थे। अब अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र में विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी होगी। यह महत्वपूर्ण तकनीक कुछ ही देशों के पास है।
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