May 3, 2024

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Chandraayan-3: चाँद की पहली तस्वीर आई सामने, सतह पर दिखे ढेर सारे गड्ढे, क्या गड्ढों के बीच चंद्रयान-3 का लैंडर उतर पाएगा?

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Chandrayaan 3

Chandraayan-3: आज भी अगर किसी की तारीफों के पुल बांधने हों तो उसे चाँद कह दिया जाता है लेकिन चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) ने जो चाँद की पहली तस्वीरें भेजी हैं उसे देखकर किसी की तारीफ में चाँद शब्द का प्रयोग करना गलत होगा. इस समय चांद के चारों तरफ 170 km x 4313 km वाली अंडाकार ऑर्बिट में घूम रहा हैं और वहा से उसने चांद की पहली तस्वीरें भी भेजीं हैं. जिसमें चंद्रमा की सतह पर ढेर सारे गड्ढे दिखाई दे रहे हैं. सवाल यह है कि क्या इतने गड्ढों के बीच चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) का लैंडर आसानी से उतर पाएगा?

चन्द्रमा पर इतने गड्ढे क्यों और कैसे बने?

आपको बता दें कि लगभग 450 करोड़ वर्षों पहले पृथ्वी के साथ साथ चंद्रमा (Moon) की कहानी भी शुरू हुई थी. तभी से इन दोनों पर लगातार अंतरिक्ष से पत्थरों की बरसात होती रहती है और उल्कापिंड वगैरह गिरते रहते हैं, जिनके गिरने के कारण ही चाँद इतना बदसूरत हो गया है, उस पर इतने सारे हजारों गड्ढे हो गए हैं, जिन्हें इम्पैक्ट क्रेटर के नाम से भी जाना जाता है. पृथ्वी पर आज तक 180 ऐसे इम्पेक्ट क्रेटर (Impact Crater) ढूंढे जा चुके हैं.

Chandrayaan 3

आपको जानकारी के लिए बता दें कि पृथ्वी पर आज तक 180 ऐसे इम्पेक्ट के्रटर खोजे जा चुके हैं. इसी तरह चंद्रमा की बात की जाए तो चाँद पर 14 लाख के करीब ऐसे गड्ढे बने हुए हैं, जिससे चाँद की खूबसूरती को दाग लगा रहे हैं. ऐसे ही हजारों गड्ढे मौजूद हैं जिन्हें इंसान आज तक देख नहीं पाया है क्योंकि वहां इतना अंधेरा होता है जिन्हें देख पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. लेकिन ऐसा भी नहीं कह सकते है कि चाँद पर मौजूद गड्ढे सिर्फ और सिर्फ इम्पेक्ट क्रेटर हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो करोड़ों साल पहले ज्वालामुखी के फटने से उत्पन्न हुए हैं.

चंद्रमा पर सबसे बड़ा गड्ढा 290 किमी बड़ा

नासा (NASA) द्वारा चंद्रमा पर सबसे बड़ा गड्ढा 17 मार्च 2013 को देखा गया था. जब एक 40 किलोग्राम का पत्थर चांद की सतह से 90 हजार किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से टकराया था तो इस टक्कर से जो गड्डा बना वो काफी बड़ा है जिसे टेलिस्कोप (Telescope) की मदद से धरती (Earth) से भी देखा जा सकता है. आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं कि वह नजारा कैसा होगा.

Chandrayaan 3

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज तक के सर्वें के अनुसार चाँद पर न तो पानी है और न ही वायुमंडल और तो और चाँद पर पृथ्वी की तरह टेक्टोनिक प्लेट भी मौजूद नहीं हैं. इसलिए वहां मिट्टी नहीं कटती, इरोशन कम होता है यही वजह है कि चाँद पर के्रटर नहीं पटते बल्कि बने रहते हैं. लेकिन धरती पर ऐसे गड्ढों में मिट्टी जमा हो जाती है, पानी भर जाता है, पेड़-पौधे उग जाते हैं, जिसके कारण  पट जाते हैं.

आपको यह भी बता दें कि चाँद पर जो गड्ढे होते हैंं वो लगभग 200 करोड़ साल तक बने रहते हैं. चांद पर मौजूद 13 लाख गड्ढों का व्यास यानी डायामीटर 1 किलोमीटर है. 83 हजार गड्ढों का व्यास 5 किलोमीटर है. 6972 गड्ढे ऐसे हैं, जिनका व्यास 20 किलोमीटर से ज्यादा हैं.

 

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