Mohan Bhagwat के मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात करने पर भड़के ओवैसी, कहा- इन लोगों को जमीनी हकीकत से कोई ताल्लुक नहीं

हैदराबाद: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) आज गुरुवार को दिल्ली दौरे पर थे. यहां आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने एक मस्जिद ‘अखिल भारतीय इमाम संगठन’ के इमाम और मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात की है. जिसपर हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने तंज कसा है.
मोहन भागवत और इमाम के मिलने पर- ओवैसी
दरअसल मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) द्वारा इमामों से मुलाकात पर मीडिया ने हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) से इसपर प्रतिक्रिया लेनी चाही तो उन्होंने झल्लाते हुए कहा कि- ”हम पर शक क्यों किया जाता है? जो लोग मिलकर आए हैं, उनसे पूछिए कि क्या बात करके आए हैं. आरएसएस की विचारधारा पूरी दुनिया जानती है और आप जाकर उनसे मिलते हैं. ये जो मुस्लिम समुदाय में कथित पढ़ा-लिखा तबका है, जो वो करेंगे वह सच है और हम जो अपनी लड़ाई राजनीतिक हक के लिए और मौलिक अधिकार के लिए लड़ते हैं तो हम बुरे हो जाते हैं.”
हकीकत से उनका कोई ताल्लुक नहीं- ओवैसी
“These elite intellectuals have nothing to do with ground reality.” @asadowaisi said on RSS chief Mohan Bhagwat meeting with muslim intellectuals on communal harmony and hate speech. pic.twitter.com/y7mCPFV5oh
— Milan Sharma (@Milan_reports) September 22, 2022
असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कहा कि- ”ये जो तबका है जो खुद को ज्ञानी समझता है. उन्हें जमीनी हकीकत से कोई ताल्लुक नहीं है. जमीन पर क्या हो रहा है, उन्हें मालूम नहीं है. वह अपनी जिंदगी आराम से गुजार रहे हैं और आप आरएसएस प्रमुख से मिलते हैं. ओवैसी ने आगे कहा कि- ये आपका लोकतांत्रिक अधिकार है…मैं सवाल नहीं उठा रहा लेकिन फिर आपका भी अधिकार नहीं है मुझसे सवाल करने का.”
बंद कमरे में एक घंटे तक चली बैठक
बता दें कि मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) और मस्जिद के इमामों की बैठक 1 घंटे से अधिक समय तक चली. यह बैठक कस्तूरबा गांधी मार्ग मस्जिद में बंद कमरे में हुई. इस दौरान संघ और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कई पदाधिकारी मौजूद थे. बैठक में साम्प्रदायिक सौहार्द को मजबूत करने के लिए मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ चर्चा की. बैठक में भागवत ने हिंदुओं के लिए ‘काफिर’ शब्द के इस्तेमाल के मुद्दे को उठाया था और कहा था कि इससे अच्छा संदेश नहीं जाता है.
हिंदुओं और मुसलमानों का डीएनए एक- आरएसएस
वहीं, मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने कुछ दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा मुसलमानों को ‘जिहादी’ तथा ‘पाकिस्तानी’ बताए जाने पर आपत्ति जतायी थी. मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने भागवत को यह भी बताया था कि ‘काफिर’ शब्द के इस्तेमाल के पीछे मकसद कुछ और है लेकिन कुछ वर्गों में अब इसे अपशब्द के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. आरएसएस प्रमुख ने बुद्धिजीवियों की चिंताओं को समझते हुए कहा कि सभी हिंदुओं और मुसलमानों का डीएनए एक ही है.
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