Afghanistan ने स्थायी रूप से बंद किया दूतावास, जानें India में रहने वाले अफगानियों का क्या होगा?
Afghanistan: अफगानिस्तान ने भारत में स्थायी रूप से अपना दूतावास बंद कर दिया है। दूतावास की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया कि वह भारत सरकार की ओर से लगातार आ रही चुनौतियों के कारण नई दिल्ली स्थित अपने राजनयिक मिशन को 23 नवंबर से स्थायी रूप से बंद करने की, खेद के साथ घोषणा करता है।
इससे पहले अफगानिस्तान (Afghanistan) के दूतावास ने 30 सितंबर को घोषणा की थी कि वह एक अक्टूबर से अपना काम-काज बंद कर रहा है। उस समय मिशन ने भारत सरकार से समर्थन नहीं मिलने, अफगानिस्तान के हितों को पूरा करने में अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाने और कर्मियों एवं संसाधनों की कमी के कारण यह कदम उठाए जाने की बात कही थी।
तालिबान को मान्यता नहीं देनी
दुनिया के कई देश तालिबान को सरकार के तौर पर मान्यता देने से बच रहे हैं। भारत भी उनमें से एक है। तालिबानी हुकूमत को नहीं मानने की वजह से ये सारा फसाद खड़ा हुआ। असल में हुआ ये कि भारतीय विदेश मंत्रालय तालिबान के आने से पहले भारत में तैनात अफगान राजदूत को ही देश का असल राजदूत मानती रही। इस बीच तालिबान ने अपने आदमी को एंबेसी इंचार्ज बना दिया।
अब भारत के सामने उलझन ये हुई कि अगर वो साल 2021 वाले एंबेसेडर से ही राजनयिक संबंध रखता तो तालिबान नाराज हो जाता। वहीं मान्यता न देने की वजह से वो तालिबानी राजनयिक को भी नहीं मान सकता था। ये डिप्लोमेटिक नियमों से अलग हो जाता। इसी वजह से कई मुश्किलें आने लगीं।
एंबेसी ने माना कि उसे जरूरी सपोर्ट नहीं मिल पा रहा है। हालांकि जरूरी सपोर्ट का खुलासा उसने नहीं किया। अफगानिस्तान के हितों को पूरा करने की उम्मीदों पर खरा न उतर पाना भी एक वजह बताई गई। तालिबान एंबेसी ने माना कि उसके पास लोगों और संसाधनों की कमी हो रही है। यहां तक वीजा रिन्यूअल भी समय पर नहीं हो पा रहा।
कई देशों को नहीं पसंद तालिबान
कोई भी देश तालिबान को नहीं मानता है, इसलिए उसके पास आधिकारिक सरकारी दर्जा ही नहीं है। ऐसे में वो राजदूत अपॉइंट नहीं कर सकता लेकिन तालिबान ने इसके लिए बीच का रास्ता निकाला। वो फॉरेन मिशन नाम से अपने लोगों को विदेशों में तैनात कर रहा है। यहां जिस झंडे का उपयोग हो रहा है, उसे इस्लामिक एमिरेट्स ऑफ अफगानिस्तान कहा जाता है, जबकि अफगानिस्तान सरकार इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान के नाम से काम किया करती थी जिसकी वजह से तालिबान को ऐसा करना पड़ा।
ऐसी स्थिति में भारत में बसे अफगानियों को कोई समस्या नहीं होगी। हां, वीजा या जिन जरूरतों के लिए वे लोग एंबेसी से संपर्क करते थे, उस प्रोसेस में जरूर कोई बदलाव आ सकता है। हो सकता है कि उनका कोई डिप्लोमेटिक मिशन या छोटा हिस्सा यहां काम करता रहे ताकि अपने लोगों को सलाह दे सके। कई बार देश थर्ड पार्टी देश की भी मदद लेते हैं लेकिन ये अस्थाई तौर पर होता है।
क्यों बंद होती है एंबेसी
अगर देशों के बीच डिप्लोमेटिक तनाव हो जाए तो देश अपने नागरिकों को होस्ट मुल्क छोड़ने को भी कहते हैं। जिसमें कई देश अपनी एंबेसी अस्थाई तौर पर बंद कर देते हैं। ऐसा अक्सर तनाव के दौरान होता है। ऐसा पहले भारत, पाकिस्तान, चीन से लेकर अमेरिका तक में हो चुका है। हालात सुधरने पर वापस तैनाती हो जाती है। फिलहाल भारत-अफगानिस्तान के बीच ऐसा कोई मसला नहीं।