High Court: शादी हो जाने से किसी की प्राइवेसी खत्म नहीं हो जाती, पालन करना जरूरी
High Court: शादी हो जाने से किसी की प्राइवेसी खत्म नहीं हो जाती, ये शब्द हैं कर्नाटक हाईकोर्ट के। जी हां कोर्ट ने कहा है कि पत्नी केवल शादी का हवाला देकर अपने हसबैंड के आधार कार्ड (UID) की जानकारी नहीं ले सकती। सभी को इसका पालन करना चाहिए। सबकी अपनी प्राइवेसी होती है और इसका हनन नहीं किया जा सकता है।
जानें पूरा मामला
दरअसल हुबली की एक महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया। यह महिला अपने अलग हो चुके पति के आधार नंबर, इनरोलमेंट डिटेल्स और फोन नंबर का जानकारी हासिल करना चाहती थी। उसका कहना था कि उसका पति इस समय कहां रह रहा है, इसका कोई अता-पता नहीं है। वह फैमिली कोर्ट के आदेश को उस तक नहीं पहुंचा पा रही है।
UIDAI का दरवाजा खटखटाया
महिला इस डिटेल्स के लिए UIDAI के पास पहुंची थी और पूरी डिटेल्स की मांग की थी लेकिन यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने महिला की मांग को खारिज कर दिया। UIDAI ने कहा कि इसके लिए हाईकोर्ट के आदेश की दरकार होगी। इसके बाद महिला ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सुनवाई के दौरान
डिविजनल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि किसी भी जानकारी के खुलासे से पहले दूसरे व्यक्ति को भी अपनी बात रखने का अधिकार है। लेकिन, डिविजनल बेंच बाद में इस मामले को सिंगल बेंच के पास भेज दिया। सिंगल बेंच ने आठ फरवरी 2023 को UIDAI को महिला के पति को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। इसके साथ ही महिला के आवेदन को आरटीआई एक्ट के तहत कंसीडर करने के लिए कहा।
रिश्ते में खटास बनी वजह
दोनों की शादी नवंबर 2005 में हुई थी और उनकी एक बेटी भी है। रिश्ते में खटास की वजह से पत्नी ने कानूनी कार्रवाई की शुरुआत की थी। फैमिली कोर्ट ने गुजारा भत्ता के रूप में पत्नी के लिए 10 हजार और बेटी के लिए 5 हजार रुपये अलग से दिए जाने की बात कही थी।
प्राइवेसी की अहमियत जरुरी
जस्टिस एस सुशील दत्त यादव और विजयकुमार ए पटेल की बेंच ने कहा कि शादी हो जाने से किसी की प्राइवेसी खत्म नहीं हो जाती। सभी को इसका पालन करना चाहिए और इसकी अहमियत को समझना चाहिए।