May 3, 2024

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Chandigarh Mayor Election में आरोपीत रिटर्निंग ऑफिसर ने Supreme Court में मांगी माफी

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Anil Masih

Anil Masih

Supreme Court: चंडीगढ़ मेयर चुनाव के मद्देनजर आरोपी पाए गए पूर्व अधिकारी अनिल मसीह ने आज शुक्रवार 5 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी है। चंडीगढ़ में 30 जनवरी 2024 को हुए मेयर चुनाव में 8 मतों के अवैध घोषित करने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। फरवरी में इस मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व चुनाव अधिकारी अनिल मसीह के खिलाफ कोर्ट की अवमानना ​​के मामले में नोटिस जारी किया था। अदालत का कहना था कि उन्होंने जानबूझकर वोटों को अवैध किया था और बाद में कोर्ट में अपने झूठे बयान दर्ज कराए थे। आज कोर्ट में माफी मांगते हुए उन्होंने कोर्ट में कहा है कि इस मामले में उनसे गलती हुई है।

बिना शर्त माफी मांगी

अनिल मसीह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि, “मैंने इस पर बिना शर्त माफी मांगी है और केवल यही कह सकता हूं कि वह भारी दबाव में थे। मैंने खुद उनसे बात की थी और वह अपने आचरण के लिए माफी मांग रहे हैं। वह अपना पहला हलफनामा वापस ले लेंगे और इस अदालत की उदारता के सामने आत्मसमर्पण कर देंगे”। वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इसका विरोध किया और कहा कि ‘‘अगर वह बिना शर्त माफी मांगते हैं तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन वह सिर्फ माफी मांग कर नहीं चल सकते”। इस पर सीजेआई ने कहा कि ”मामले की सुनवाई 23 जुलाई को होगी”।

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मैं मानसिकरुप से तनाव में था

बता दें कि चंडीगढ़ के बीजेपी मेयर के फैसले को कोर्ट पहले ही खारिज कर चुका है। वकील मुकुल रोहतगी ने कहा है कि ”हमने बिना शर्त माफी मांगी है। अब अनिल मसीह अपना पुराना हलफनामा वापस लेंगे और दूसरा हलफनामा देकर बिना शर्त माफी मांगेंगे”। अपने पहले हलफनामे में मसीह ने बताया था कि ”AAP नेता द्वारा आठ मतपत्रों को खराब कर दिया गया था। यह तक कहा था कि वीडियो लीक के बाद वह डिप्रेशन में थे और इसलिए मुख्य न्यायाधीश द्वारा पूछे गए सवालों का सही उत्तर नहीं दे पाए थे”। साथ ही हलफनामे में लिखा है कि, “मैं मानसिक आघात और तनाव में था। अदालत में तनावपूर्ण माहौल था, तीखी बहसें हुईं, जिसका मुझ पर असर पड़ा है। जब मैं अदालत में सवालों के जवाब दे रहा था, उस दौरान मैं भारी दवाएं ले रहा था”।

यह है पूरा मामला

नगर निगम चुनाव के दौरान 30 जनवरी 2024 को इंडिया गठबंधन को 20 वोट मिले थे, जिसमें आम आदमी पार्टी के 13 और कांग्रेस के 7 पार्षद वोटों को मिलाकर कुल 20 वोट थे। बीजेपी को कुल 16 वोट मिले थे, जिनमें बीजेपी के 14 पार्षद, अकाली दल का एक पार्षद और एक सांसद शामिल हैं। वहीं चुनाव अधिकारी अनिल मसीह ने गठबंधन के 8 वोटों को अवैध घोषित किया था। जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में गया तब माना गया कि चुनाव अधिकारी खुद कैमरे के सामने वोट पर निशान लगा रहे थे।

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