NCERT ने किया बड़ा बदलाव, अब राम जन्मभूमि आंदोलन के बारे में पढ़ेगे छात्र, बाबरी मस्जिद विवाद हटाया
NCERT: एनसीईआरटी (NCERT) की 12वीं पॉलिटिकल साइंस की किताब में एक बहुत बड़ा बदलाव किया गया है। किताब में एक नए चैप्टर जोड़ा गया है। इस नए चैप्टर के अंतर्गत छात्र पॉलिटिकल साइंस की किताब में राम जन्मभूमि आंदोलन के बारे में पढ़ पाएंगे। अयोध्या विवाद और राम जन्मभूमि आंदोलन के बारे में छात्रों को बताया जाएगा। वहीं 12वीं एनसीईआरटी की किताब से 6 दिसंबर 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस से जुड़े कुछ हिस्से को हटा दिया गया है। इसके साथ ही 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में मंदिर की अनुमति देने वाला फैक्टर के बारे में जानकारी दी जाएगी। गुजरात दंगों के बारे में भी बताया गया है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का भी किताब में जिक्र होगा।
किताब से यह हटा और यह जुड़ा
किताबों से अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस और 2002 के गुजरात दंगों के कुछ उदाहरण हटाए गए हैं। विध्वंस के कुछ संदर्भ को ही हटाया गया है।राजनीतिक लामबंदी की प्रकृति के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या विध्वंस की विरासत क्या है? इसे बदलकर “राम जन्मभूमि आंदोलन की विरासत क्या है? कर दिया गया है। उसी अध्याय के अंदर बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति के कुछ संदर्भ को भी हटा दिया गया है।
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पहले क्या लिखा था?
पुराने सिलेबस में पहले पैराग्राफ में लिखा था कि- ”कई घटनाओं के नतीजे के रूप में दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे (जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था) को गिराया गया। यह घटना देश की राजनीति में कई बदलावों की शुरुआत का प्रतीक बनी और भारतीय राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति को लेकर बहस तेज हो गई। इसी के साथ देश में बीजेपी का उदय हुआ और हिंदुत्व की राजनीति तेज हुई”।
क्या-क्या बदलाव हुए?
अब बदलाव के साथ लिखा है कि-”अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर सदियों पुराने कानूनी और राजनीतिक विवाद ने भारत की राजनीति को प्रभावित करना शुरू कर दिया, जिसने कई राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया। राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन, केंद्रीय मुद्दा बन गया, जिसने धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्चा की दिशा बदल दी। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले (9 नवंबर, 2019 को घोषित) के बाद इन बदलावों का नतीजा ये हुआ कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ”।
गुजरात दंगों का संदर्भ भी हटाया गया
चैप्टर 5 में पहले लिखा था की- ”क्या आपने इस पेज पर न्यूज कोलाज में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का संदर्भ देखा? ये संदर्भ मानव अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता और मानवीय गरिमा के लिए संघर्ष को दर्शाते हैं। कई क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले सामने आए हैं”। अब इसमें बदलाव करके लिखा गया है कि- ”देश भर में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामलों को पब्लिक नोटिस में लाया गया”।
11वीं की पुस्कत में यूं हुआ बदलाव
कक्षा 11वीं की पाठ्यपुस्तक में धर्मनिरपेक्षता पर अध्याय 8 में पहले लिखा गया था की, “2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोगों का नरसंहार किया गया था, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे”। इसमें बदलाव कर लिखा है कि “2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे” कर दिया गया है। बदलाव के पीछे एनसीईआरटी ने तर्क दिया है कि, “किसी भी दंगे में सभी समुदायों के लोगों को नुकसान होता है। यह सिर्फ एक समुदाय नहीं हो सकता”।
कश्मीर को लेकर क्या पढ़ेंगे छात्र?
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर, पहले की पाठ्यपुस्तक में लिखा गया था कि, “भारत का दावा है कि यह क्षेत्र अवैध कब्जे में है। पाकिस्तान इस क्षेत्र को आज़ाद पाकिस्तान के रूप में वर्णित करता है”। बदलाव में लिखा है कि, “यह भारतीय क्षेत्र है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है और इसे पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (POJK) कहा जाता है”। बदलाव के पीछे एनसीईआरटी ने कहा है कि “जो बदलाव लाया गया है वह जम्मू-कश्मीर के संबंध में भारत सरकार की ताजा स्थिति से पूरी तरह मेल खाता है”।
मणिपुर- सरकार की कामयाबी का जिक्र
मणिपुर को लेकर पहले की पाठ्यपुस्तक में कहा गया था कि, “भारत सरकार मणिपुर की लोकप्रिय निर्वाचित विधान सभा से परामर्श किए बिना सितंबर 1949 में विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए महाराजा पर दबाव डालने में सफल रही। इससे मणिपुर में बहुत गुस्सा और आक्रोश पैदा हुआ, जिसके परिणाम उसका अहसास अभी भी किया जा रहा है”। बदले हुए संस्करण में लिखा है कि, “भारत सरकार सितंबर 1949 में महाराजा को विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मनाने में सफल रही”।
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