खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे..,एक बार फिर किसी ने नहीं दिया पड़ोसी देश का साथ, इस मुद्दे पर खाली हाथ रह गया पाकिस्तान
G-20 Summit : इन दिनों भारत पूरे विश्व में अपने कूटनीतिक दांव और बैठकों को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ है जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अपनी 6 दिवसीय विदेशी यात्रा पर जापान में जी7 की बैठक में भारत की ताकत का लोहा मनवा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ देश में जी20 की बैठक (G-20 Summit) चल रही है जोकि पड़ोसी देश पाकिस्तान को बिल्कुल नहीं रास आ रही।
पाकिस्तान का प्रोपेगेंडा नहीं आया काम
इसी बीच जी20 सम्मेलन (G-20 Summit) के तहत भारत ने टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की तीसरी मीटिंग का आयोजन जम्मू कशमीर के श्रीनगर में करके कश्मीर राग अलापने वाले पाकिस्तान के फर्जी प्रोपेगेंडा को काउंटर करते हुए एक बेहद शानदार दांव चला जो अब लगभग लगभग कामयाब होता दिखाई दे रहा है।
इस बैठक (G-20 Summit) से पहले पाकिस्तान ने अपने स्तर पर खुब प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश की और पूरा जोर लगाया कि इस बैठक में ज्यादा से ज्यादा देश उसके पक्ष में आएं पर भारत ने पाकिस्तान को एक दांव चल कर सारे खाने चित कर दिया। जिसके बाद पाकिस्तान एक बार फिर खाली हाथ रह गया।
चीन के अलावा तुर्की और साउदी अरब भी हैं लाइन में
वहीं पाकिस्तान की इस कोशिश के बाद सिर्फ तीन देशों ने पाकिस्तान का साथ दिया इसमें से चीन ने इस बैठक में भाग लेने से इनकार कर दिया था और मीटिंग में टांग अड़ाने की कोशिश भी की थी। ड्रैगन ने कहा था कि वह किसी भी ‘विवादित क्षेत्र’ में बैठक आयोजित करने का विरोध करता है।
चीन के अलावा सिर्फ दो देश तुर्की और सऊदी अरब ने हिचकिचाहट दिखाई। सिर्फ इन चंद देशों को छोड़ दें तो अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, यूरोपीय यूनियन और साउथ अफ्रीका जैसे 17 ताकतवर देशों ने इस बैठक (G-20 Summit) में शामिल होने में अपनी रुचि दिखाई जिसके बाद इन देशों से 60 डेलिगेट्स भारत पहुंचे हैं।
आर्टिकल 370 हटने के बाद पहला बड़ा आयोजन
भारत के लिए श्रीनगर में हो यह बैठक (G-20 Summit) इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि जम्मू कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाए जाने के बाद कश्मीर में यह पहला बड़ा आयोजन है इस बैठक में वर्किंग ग्रुप की पहली दो मीटिंग के मुकाबले सबसे ज्यादा देश आ रहे हैं।
इस मीटिंग को दुनियाभर से मिला समर्थन भारत की मजबूत होती स्थिति को दर्शाता है. कश्मीर में हो रही यह बैठक कूटनीतिक तौर पर भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है. इससे कश्मीर पर पाकिस्तान का पक्ष कमजोर होगा और कश्मीर पर भारत के फैसले को मान्यता मिलेगी. इसके अलावा दुनिया कश्मीर के सामान्य होते हालात की झलक भी देख सकेगी।
यही वजह है कि पाकिस्तान इस बैठक को लेकर लगातार प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश कर रहा था वो इस बात से परेशान है कि कश्मीर में जी20 बैठक के सफल आयोजन से दुनिया इस बात को मानने लगेगी कि आर्टिकल 370 हटाने के बाद कश्मीर के हालात में काफी सुधार आया है। पाकिस्तान किसी भी हालत में यह नहीं चाहता कि दुनिया के सामने यह संदेश जाए कि कश्मीर घाटी में हालात सामान्य होने लगे हैं।
पाकिस्तान शुरू से कर रहा है भाग न लेने की अपील
गौरतलब है कि पाकिस्तान शुरू से ही कश्मीर में हो रही जी20 की इस समिट (G-20 Summit) में दूसरों देशों से हिस्सा न लेने की अपील कर रहा था जिसका असर सिर्फ चीन, तुर्की और साउदी अरब ने उसकी इस बात को माना। इन तीनों देशों के पास पाकिस्तान की इस अपील को मानने की वजह है।
अगर हम चीन की बात करें तो चीन ने पाकिस्तान में भारी भरकम निवेश कर रखा है और चीन किसी कीमत पर नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान उससे नाराज हो, वहीं बात अगर तुर्की की करें तो ये देश शुरू से ही कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ रहा है लेकिन अभी हाल ही में तुर्की में आए भुकंप के बाद भारत द्वारा की गई मदद के बाद ये अनुमान लगाया जा रहा था कि शायद अब तुर्की भारत के पक्ष में बात करेगा पर ऐसा नहीं हुआ और हर बार की तरह इस बार भी तुर्की ने पाकिस्तान का साथ दिया।
वहीं कश्मीर से आर्टिकल-370 हटने के बाद सऊदी अरब ने कोई कड़ी प्रतिक्रिया नहीं दी थी। इससे लग रहा था कि सऊदी अरब जरूर इस बैठक में हिस्सा लेगा, लेकिन आखिर वक्त पर सऊदी ने भी ना शामिल होने का फैसला लिया। इस फैसले के पीछे की वजह पाकिस्तान की मुस्लिम देशों से की गई अपील भी हो सकती है।
यह भी पढ़ें : जेल में बंद आप नेता सत्येन्द्र जैन की तबियत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती