May 7, 2024

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Mayawat : INDIA गठबंधन नहीं अकेली लड़ती आई हैं अकेले लड़ लेंगी चुनाव, अखिलेश को खा गिरगिट

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Mayawati

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Mayawati: आज बसपा की प्रमुख मायावती का जन्मदिन है इस मोके पर वह मीडिया के सामने रूबरू हुई और मयावती ने अपनी बात मीडिया के सामने रखते बीजेपी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) पर भी निशाना साधा और इस बात का ऐलान भी किया कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में किसी पार्टी से गठबंधन किए बगैर अकेले ही मैदान में उतरेगी। मतलब मायावती ने इशारा किया है कि वह I. N. D. I. A गठबंधन में शामिल नहीं होंगी। वैसे भी अखिलेश नहीं चाहते मायावती I. N. D. I. A गठबंधन का हिस्सा बने। मायावती ने अब खुद साबित कर दिया है वह गठबंधन का हिस्सा नहीं बनना चाहती।

बसपा या सपा दोनों में से ही रहेगी साथ

इंडिया गठबंधन की दिल्ली बैठक में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बसपा के साथ बातचीत को लेकर एक अलग ही तेवर दिखाते हुए यह कहा था कि ”अगर मायावती की पार्टी गठबंधन में आई तो उनकी पार्टी को भी अपना स्टैंड क्लियर करना पड़ेगा।” अखिलेश ने इंडिया गठबंधन से सपा के बाहर जाने तक की बात कह दी थी। मायावती ने इंडिया गठबंधन की इस बैठक का जिक्र करते हुए अखिलेश यादव को गिरगिट कहा है। मायावती ने कहा कि ”कांग्रेस, बीजेपी और इनकी सभी सहयोगी पार्टियों की सोच पूंजीवादी, सामंतवादी और सांप्रदायिक है। यह पार्टियां इन्हें (दलित और अति पिछड़े) अपने पैरों पर खड़ा होते नहीं देख सकती हैं। आरक्षण का भी पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।”

सभी पार्टियों के अंदर साम-दाम-दंड-भेद-भाव

मायावती ने आगे आरोप लगाते हुए कहा कि ”सभी पार्टियां अंदर ही अंदर एक होकर साम-दाम-दंड-भेद का इस्तेमाल कर दलितों को सत्ता से दूर रखना चाहती हैं। इनसे सावधान रहने की जरूरत है और हर वर्ग को बसपा से जुड़ने चाहिए यह उनके लिए सही होगा। मायावती ने इंडिया गठबंधन की बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि सपा प्रमुख ने जिस तरह बसपा प्रमुख को लेकर गिरगिट की तरह रंग बदला है, इससे भी सावधान रहना है। उन्होंने आकाश आनंद को अपना एकमात्र उत्तराधिकारी घोषित करने के बाद राजनीति से संन्यास की अटकलों पर भी विराम लगा दिया और कहा कि ऐसी खबरों में रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है।”

आजतक अकेले अपने दम पर जीता चुनाव

मायावती ने इंडिया गठबंधन में शामिल होने के कयासों पर भी विराम लगाते हुए ”यह साफ किया कि मायावती बसपा लोकसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरेगी बसपा किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी।” हालांकि, उन्होंने चुनाव के बाद गठबंधन का विकल्प भी खुला रखा। बसपा प्रमुख ने गठबंधन नहीं करने की वजहें भी बताईं और कहा कि ”पार्टी का नेतृत्व दलित हाथ में है। हमारा वोट तो सहयोगी पार्टी को ट्रांसफर हो जाता है।

लेकिन दूसरी जातियों का वोट बसपा को नहीं मिलता और साथ ही पिछले चुनावों में गठबंधन का उदाहरण भी दिया और अकेले चुनाव लड़कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनने का उदहारण देते हुए कहा कि 1993 में हमने सपा से गठबंधन किया था। हम कम सीटें जीत पाए थे और गठबंधन का लाभ सपा को मिला। 1996 में बसपा-कांग्रेस का गठबंधन था और तब कांग्रेस को अधिक फायदा मिला। उन्होंने यह भी कहा कि 2002 में बसपा ने अकेले चुनाव लड़ा और करीब सौ सीटें जीतीं. 2007 में अकेले लड़े और पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। मायावती ने ईवीएम पर भी सवाल उठाए और कहा कि 2007 के चुनाव के समय ईवीएम का शुरुआती दौर था और इसलिए तब धांधली या बेईमानी संभव नहीं थी।”

मायावती सियासत से संन्यास लेंगी

मायावती ने पोलिटिकल लाइन क्लियर करते हुए कहा एक यह कि वह सियासत से संन्यास लेने नहीं जा रही हैं. दूसरा यह कि बसपा लोकसभा चुनाव में एकला चलो के फॉर्मूले पर बढ़ेगी और तीसरा यह कि बसपा को सत्ता में लाना, केंद्र की सियासत में प्रभावी रोल मायावती का फ्यूचर टास्क है। मायावती ने अभिषेक आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था तभी से उनके फ्यूचर को लेकर अटकलों का दौर चल रहा था।

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