लोकसभा से निष्कासित हुईं Mahua Moitra, विपक्ष ने किया संसद में हंगामा
Mahua Moitra: एथिक्स कमेटी ने आज सदन में एक रिपोर्ट पेश की जिस रिपोर्ट में लिखा गया है कि तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को कैश फॉर क्वेरी मामले में लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया है। इसके बाद विपक्षी सांसद संसद परिसर से वॉकआउट कर गए। वॉक आउट में मोइत्रा के साथ कांग्रेस संसदीय पार्टी की चेयरपर्सन सोनिया गांधी और अन्य विपक्षी नेता शामिल रहे।
लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा
“सदन समिति के निष्कर्षों को स्वीकार करता है कि एक सांसद के तौर पर महुआ मोइत्रा का आचरण अनैतिक और अनुचित था। इसलिए यह उचित नहीं है कि वह सांसद में बनी रहें।”
एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट, प्रह्लाद जोशी का प्रस्ताव
एथिक्स कमेटी की ये रिपोर्ट दोपहर 12 बजे सदन में पेश की गई जिसके बाद इस पर हंगामा हो गया। इस कारण सदन की कार्यवाही को दो बजे तक स्थगित कर दिया गया। दो बजे जब कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने रिपोर्ट पर चर्चा के लिए महज आधे घंटे का समय दिया। आधे घंटे की चर्चा के बाद रिपोर्ट की सिफारिश मान ली गई और महुआ मोइत्रा की सदस्यता रद्द हो गई।
एथिक्स समिति यह रिपोर्ट 495 पन्नों की है लेकिन विपक्षी सांसदों ने 495 पेज की इस रिपोर्ट पर चर्चा के लिए अधिक समय की मांग की थी। लेकिन हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई थी। जैसे ही दोपहर दो बजे सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई। संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के लिए प्रस्ताव पेश किया।
इस रिपोर्ट पर चर्चा के लिए आधे घंटे का समय दिया लेकिन विपक्ष ने और समय की मांग की। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि मैं महुआ मोइत्रा पर एथिक्स कमेटी रिपोर्ट पर आधे घंटे की चर्चा करने की अनुमति देता हूं। साथ ही साथी सदस्यों से अपील करता हूं कि वे चर्चा के दौरान सदन की मर्यादा बनाए रखें। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने लगभग 500 पेजों की इस रिपोर्ट पर चर्चा के लिए तीन से चार दिन की मांग की थी।
संसद में चर्चा के दौरान अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि “महुआ पर जो रिपोर्ट आई है उसमें 106 पेज हैं एनेक्सर मिलाकर 495 पेज हैं। कोई इंसान इतनी जल्दी यानी दो घंटे में इतनी बड़ी रिपोर्ट को कैसे पढ़ सकता है। उन्होंने कांग्रेस की तरफ से मांग की कि इस पर चर्चा के लिए 3-4 दिन की मोहलत दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि किसी के खिलाफ कोई शिकायत है तो उन्हें बोलने का मौका भी मिलना चाहिए।”
टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी
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“संसद में 495 पेजों की रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट पर चर्चा के लिए सभी पार्टियों को आधे घंटे का समय दिया गया और अंत में महुआ की सदस्यता रद्द कर दी। ममता बनर्जी बोली मुझे यह समझ नहीं आता कि 495 पेजों की रिपोर्ट पर सांसद कैसे चर्चा करेंगे? इस रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा है कि किस तरह महुआ ने अपना संसदीय लॉगइन आईडी और पासवर्ड किसी और को दे दिया। इसलिए प्रस्ताव पर चर्चा एकदम ठीक समय पर की जा रही है।”
विपक्षी सांसदों का वॉकआउट
सदन में प्रह्लाद जोशी की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव पर वोटिंग प्रक्रिया शुरू होते ही विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी सांसदों ने मांग की कि महुआ मोइत्रा को सदन में बोलने का मौका दिया जाए, जिसे स्पीकर बिरला ने खारिज कर दिया।
महुआ मोइत्रा का रिएक्शन
लोकसभा के इस फैसले को लेकर महुआ मोइत्रा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि “अगर मोदी सरकार सोचती है कि मुझे चुप करके वह अडानी मुद्दे से बच सकते हैं तो वह गलत हैं आगे कहा कि इस कंगारू कोर्ट ने केवल पूरे देश को यह दिखाया है कि अडानी आपके लिए कितने अहम हैं और एक महिला सांसद को प्रताड़ित करने के लिए वह किस हद तक जा सकते हैं।
एथिक्स पैनल की रिपोर्ट में हर नियम को तोड़ा गया है। मेरी उम्र 49 साल है और मैं अगले 30 साल तक संसद के अंदर और बाहर आपसे लड़ती रहूंगी। एथिकल पैनल अपनी रिपोर्ट में जो भी पाया वह दो लोगों की गवाही पर आधारित है जो एक-दूसरे से अलग हैं। कमेटी मुझे उस बात के लिए सजा दे रही है जो लोकसभा में नियमित और स्वीकार्य है और जिसके लिए प्रोत्साहित किया जाता है।”
महुआ मोइत्रा पर ये आरोप थे
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने दावा किया था कि महुआ मोइत्रा ने कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से पैसे और गिफ्ट लेकर संसद में सवाल पूछे थे। दुबे ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को चिट्ठी लिखकर कहा था कि महुआ मोइत्रा ने संसद में अब तक 61 सवाल पूछे हैं, जिनमें से 50 अडानी ग्रुप से जुड़े थे। उनका कहना था कि मोइत्रा ने ऐसे सवाल पूछकर कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के हितों की रक्षा कर आपराधिक साजिश रची है।
निशिकांत दुबे ने ये दावा एडवोकेट जय अनंत देहरदई की रिसर्च के आधार पर किया था। इतना ही नहीं, दुबे ने ये सवाल उठाया था कि इस बात की भी जांच की जानी चाहिए कि क्या महुआ मोइत्रा ने हीरानंदानी और हीरानंदानी ग्रुप को लोकसभा वेबसाइट के लिए अपने लॉगइन क्रेडेंशियल दिए थे? ताकि वो इसका इस्तेमाल अपने निजी फायदे के लिए कर सकें।
इस बीच एथिक्स कमेटी को दिया गया हीरानंदानी का एफिडेविट भी सामने आ गया था। इस हलफनामे में हीरानंदानी ने कबूल किया था कि महुआ ने उनके साथ अपनी संसदीय लॉग इन आईडी और पासवर्ड शेयर किया था, जिससे वो (हीरानंदानी) महुआ की तरफ से सवाल कर सकें।
महुआ ने भी इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने अपना लॉगइन आईडी दर्शन को दिया था, ताकि वो उनकी तरफ से सवाल कर सकें. हालांकि, महुआ ने ये भी कहा था कि सवालों को टाइप करने के बाद मेरे मोबाइल पर एक ओटीपी आता था। मेरे ओटीपी देने के बाद ही सवाल सब्मिट होता था. इसलिए यह कहना कि दर्शन मेरी आईडी से लॉगइन करता था और खुद से सवाल टाइप करता था, ये हास्यास्पद है।
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