April 27, 2024

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छठी मैय्या कौन हैं, क्या हैं इनसे जुड़ी पौराणिक कथाएं, जानिए पूरे विस्तार से

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Chath puja 2022

Chath puja 2022: कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की षष्‍ठी तिथि को डूबते सूर्य को अर्घ्‍य देकर उत्‍सव मनाया जाता है। हम सभी इसे महापर्व छठ के नाम से जानते हैं। वैसे तो छठ (Chath puja 2022) की शुरुआत चतुर्थी से ही नहाय खाय की परंपरा के साथ हो जाती है और फिर खरना, उषा अर्घ्‍य और सांध्‍य अर्घ्‍य के साथ यह त्‍योहार  पूरे देश में धूमधाम से मनता है।

क्या है इस व्रत का महत्व

Chath puja 2022

Chath puja 2022: इस व्रत में भगवान सूर्य की आराधना पूरी लगन और निष्‍ठा के साथ की जाती है और छठी मैय्या का यह पर्व पूरी श्रृद्धा के साथ मनाया जाता है। मान्‍यता है कि इस व्रत को करने से आपकी संतान सुखी रहती है और उसे दीर्घायु की प्राप्ति होती है। वहीं छठी मैय्या निसंतान लोगों की भी खाली झोली भर देती हैं।

इनकी बहन हैं छठी मैय्या

Chath puja 2022

Chath puja 2022: पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन हैं छठी मैय्या। इस व्रत में छठी मैया का पूजन किया जाता है इसलिए इसे छठ व्रत के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार, ब्रह्माजी ने सृष्‍ट‍ि रचने के लिए स्‍वयं को दो भागों में बांट दिया, जिसमें दाहिने भाग में पुरुष और बाएं भाग में प्रकृति का रूप सामने आया। सृष्‍ट‍ि की अधिष्‍ठात्री प्रकृति देवी के एक अंश को देवसेना के नाम से भी जाना जाता है। प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इन देवी मां का एक प्रचलित नाम छठी है, जिसे छठी मैय्या के नाम से जानते हैं।

छठ पर्व प्रियंवद और मालिनी की कहानी

Chath puja 2022

Chath puja 2022: पुराणों के मुताबिक राजा प्रियंवद की काफी समय से कोई संतान नहीं थी। तब महर्षि कश्यप ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराकर प्रियंवद की पत्नी मालिनी को यज्ञ आहुति के लिए बनी को खाने को कहा। इससे उन्हें पुत्र हुआ, लेकिन वह मृत पैदा हुआ। प्रियंवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं और उन्होंने कहा,

‘सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं छठी कहलाती हूं। राजन तुम मेरी पूजा करो और इसके लिए दूसरों को भी प्रेरित करो।’ राजा ने पुत्र इच्छा से देवी छठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल छठी को हुई थी। तब से छठ को त्‍योहार के रूप में मनाने और व्रत करने की परंपरा चल पड़ी।

भगवान राम और सीता ने किया था छठ का व्रत

Chath puja 2022

अवध के राजा राम और उनकी पत्‍नी माता सीता ने भी छठ (Chath puja 2022) का व्रत किया था। लंका पर विजय पाने के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल छठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की पूजा की। सप्तमी को सूर्योदय के वक्त फिर से अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था। यही परंपरा अब तक चली आ रही है।

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