कब करना चाहिए नवरात्रि के जवारे का विसर्जन, जानिए शुभ मुहूर्त और पूर्ण विधि
Chaitra Navratri 2023 : जवारे को नवरात्रि के पहले दिन बोया जाता है, जिसे नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023) की समाप्ति के बाद यानी चैत्र शुक्ल दशमी तिथि को नदी या किसी अन्य जल स्रोत में प्रवाहित कर दिया जाता है। इस बार यह तिथि 31 मार्च, शुक्रवार को है।
ज्वार विसर्जन का शुभ मुहूर्त
Chaitra Navratri 2023 : पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 30 मार्च गुरुवार की रात 11.30 बजे से शुरू होकर 31 मार्च, शुक्रवार की रात 01.58 बजे तक रहेगी। जवारे का विसर्जन 31 मार्च को ही होगा। इस दिन पूरे दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा। इस नक्षत्र में किए गए सभी शुभ कार्यों का कई गुना फल मिलता है।
कैसे करे विसर्जन
Chaitra Navratri 2023 : चावल, फूल, कुमकुम आदि चीजें अर्पित करें और इन अनाजों को सम्मान के साथ नदी, तालाब या किसी अन्य जल स्रोत में ले जाएं। हाथ में चावल और फूल लेकर जवारों को इस मंत्र से विसर्जित करें-
- गच गच सुरश्रेष्ठे स्वस्थानाम परमेश्वरी।
- पूजाराधनकाले च पुनरागमनया च।।
जवारे का विसर्जन करने के बाद मां से घर की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें और खुशी-खुशी घर लौट आएं।
नवरात्रि में ज्वार क्यों बोया जाता है?
नवरात्रि में जौ या ज्वार बोने की परंपरा बहुत प्राचीन है। यह परंपरा कैसे शुरू हुई यह कोई नहीं जानता, लेकिन इसके पीछे गहरा मनोविज्ञान छिपा है। उनके अनुसार सृष्टि के प्रारम्भ में जौ पहली फसल थी। हम इस फसल को देवी मां को अर्पित करते हैं और नवरात्रि समाप्त होने के बाद इसे नदी में प्रवाहित कर देते हैं। आयुर्वेद में भी ज्वार का विशेष महत्व बताया गया है। आयुर्वेद में ज्वार को औषधि माना गया है।
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