May 2, 2024

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Brij Bhushan vs Wrestlers: बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में हुई सुनवाई, जानें पुलिस और कोर्ट ने क्या कहा

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Brij Bhushan Singh: भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Singh) पर महिला पहलवानों की ओर से लगाए गए यौन उत्पीड़न के केस में आज 1 जुलाई को सुनवाई हुई. यह सुनवाई दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने को लेकर राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) में की गई, जिसे स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट के जज हरजीत सिंह जसपाल (Harjeet Singh Jaspal) ने की.

आपको बता दें, 15 जून को दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दाखिल करीब 1000 पन्नों की चार्जशीट में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354, 354A, 354D लगाई थी.

जाने बृजभूषण पर लगे किस धारा में क्या है प्रावधान?Brij Bhushan Singh

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने 15 जून को बृज भूषण (Brij Bhushan Singh) के खिलाफ 1000 पन्नों की चर्गेशीट दायर की थी, जिसमें पुलिस ने IPC की धारा 354, 354A, 354D लगाई थी. आपको बता दें, आईपीसी (IPC) की धारा 354 में अधिकतम 5 साल की सजा का प्रावधान है और यह एक गैर जमानती धारा है. आईपीसी की धारा 354A के तहत अधिकतम एक साल की सजा का प्रावधान है और यह एक जमानती धारा है और 354D में 5 साल की अधिकतम सजा का प्रावधान है और यह भी एक जमानती धारा है.

पिछली सुनवाई के दौरान 6 बालिग महिला पहलवानों के वकील ने इस मामले में हो रही जांच की मॉनिटरिंग करने की मांग वाली याचिका वापस ले ली थी. उनका कहना था कि चार्जशीट दाखिल हो जाने के बाद अब इस याचिका का कोई औचित्य नहीं रह गया है.

कोर्ट ने मांगी FSL और CDR रिपोर्ट

एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट और जज हरजीत सिंह जसपाल ने दिल्ली पुलिस (Delhi Police) से इस मामले में CDR, FSL सहित अन्य रिपोर्ट जल्द से जल्द कोर्ट में पेश करने को कहा. इसके बाद दिल्ली पुलिस ने कहा इस मामले में कुछ लोगों को विदेश में नोटिस भेजा है. जिसका जवाब आना बाकी है. इसके अलावा एफएसएल और कुछ रिपोर्ट अभी पेंडिंग है, इसलिए देरी हो रही है  है. इन रिपोर्ट्स को जल्द से जल्द पेश करने की कोशिश की जायेगी. पुलिस ने यह भी कहा कि इस मामले में सप्लीमेंटरी चार्जशीट भविष्य में दाखिल की जा सकती है.

इसके बाद कोर्ट ने कहा रिपोर्ट्स जल्द पेश किए जाए और अदालत इस मामले पर अब 7 जुलाई को अपनी सुनवाई करेगी. अदालत ने कार्यवाही स्थगित करते हुए कहा कि आरोप पत्र 1500 पेज का है, लिहाजा पढने में समय लग रहा है. पुरे मामले को समझने की बड़ा ही अदालत इसपर कोई संज्ञान ले सकती है.

 

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