May 2, 2024

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Vasuki Nag: गुजरात में मिला वासुका नाग का जीवाश्म, 6.60 करोड़ साल का इतिहास

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Vashuki Snake

Vashuki Snake

Vasuki Nag: वासुका सांपो का राजा दुनिया का सबसे बड़ा नाग। हिंदु मान्यताओं के अनुसार इसे भगवान शिव का नाग कहा जाता है। गुजरात के कच्छ में पानंधरो लाइटनाइट खदान में वासुका नाग का बहुत ही पुराना जीवाश्म मिला है। खदान से नाग की रीढ़ की हड्डियों के 27 हिस्से बरामद किए गए हैं। वासुका का इतिहास बहुत ही पुराना है।

समुद्र मंथन से जुड़े हैं तार

यह वही सांप है, जिसके बारे में आपने समुद्र मंथन में सुना होगा। जब समुद्र मंथन हो रहा था उस समय इसकी सहायता से मंदार पर्वत को मथनी की तरह घुमाया गया था तब जाके समुद्र से अमृत और विष जैसी कई चीजें निकली थीं।

Snake

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 9 करोड़ साल पहले

वासुकी Madtsoiidae फैमिली से आता था। यह सांप 9 करोड़ साल पहले धरती पर रहा करते थे। जो 12 हजार साल पहले खत्म हो चुके हैं। यह सांप सिर्फ भारत ही नहीं दक्षिणी यूरेशिया, उत्तरी अफ्रीका तक में पाए जाते थे।

धीमी गति वाला खतरनाक शिकारी

इसका वैज्ञानिक नाम Vasuki Indicus है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘’वासुका का आकार बहुत विशाल था। आजकल जैसे अजगर पाए जाते है इन नागों की भी वैसे ही विशालकाय पाई जाती थी। यह भी बताया कि उसके जीवाश्म से पता चला है कि वह जहरीला नहीं रहा होगा। यह धीमी गति में चलने वाला खतरनाक शिकारी रहा होगा।‘’

King of Snake

शिकार में अजगर और एनाकोंडा जैसा 

वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि ‘’यह भी अजगर और एनाकोंडा की ही तरह अपने शिकार को दबाकर मार डालते थे उनकी तरह ही शिकार किया करते थे। इनकी लंबाई की बात करें तो सामान्य रूप से इनकी लंबाई 36 से 49 फीट तक होती थी। इनका वजन करीब 1000 किलोग्राम के आसपास होता था। तापमान बढ़ने लगा तब इनकी आबादी धीरे-धीरे विलुप्त हो गई।‘’

सेनोजोइक काल 6.60 करोड़ साल

खबरों के अनुसार करीब 6.60 करोड़ साल यह नाग सेनोजोइक काल में रहा करता था। वैज्ञानिकों को वासुकी नाग की रीढ़ की हड्डियों का जो सबसे बड़ा हिस्सा मिला है वह साढ़े चार इंच चौड़ा है। इससे यह पता चलता है कि वासुकी का शरीर कम से कम 17 इंच चौड़ा था। इसकी खोपड़ी नहीं मिली है जिसकी छानबीन जारी है।

Shiv Snake

मगरमच्छ का करता था शिकार

खबरों के मुताबिक जहां पर वासुकी का शरीर मिला है उसके आसपास कई सारे मगरमच्छ और कछुओं के जीवाश्म भी मिले हैं और साथ ही दो व्हेल मछलियों के जीवाश्म भी मिले हैं। इससे पता चलता है कि यह नाग इन्हीं जीवों को अपना भोजन बनाता था।

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