EVM-VVPAT Case: सुप्रिम कोर्ट ने कहा नहीं चलेगा यह तर्क, भारत और विदेशी ईवीएम पर चर्चा
EVM VVPAT Case: चुनाव हो और ऐसा कभी हो सकता है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर चर्चा न हो। ईवीएम एकबार दोबारा सुर्खियों छा गया है। हर इलेक्शन में विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा बना हार मिलने पर सारा दोष ईवीएम पर डाल देती है। इस बार ईवीएम पर चर्ची विपक्ष ने नहीं सार्वच्च न्यायलय सुप्रीम कोर्ट(SC) कर रहा है। वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) से जुड़े मामले में आज गुरुवार 18 अप्रैल, 2024 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान किसी ने ईवीएम के पक्ष में बात रखी तो किसी ने विपक्ष में। लेकिन इस सुनवाई के बीच बहुत सी नई चीजें सामने आई उन पर गौर करते हैं क्या-क्या हुआ कोर्ट में?
भारत और विदेशों के ईवीएम पर चर्चा
कोर्ट रूम में यूरोप के देशों और अमेरिका में हटाई गई EVM और भारतीय ईवीएम की तुलना पर चर्चा हुई। सुनवाई के दौरान कहा गया कि ”विदेशी मशीनें नेटवर्क से जुड़ी होती थीं और उनके प्रभावित होने का अंदेशा था, जबकि भारत की ईवीएम स्टैंडअलोन मशीन है। विदेशों में ईवीएम निजी कंपनी बनाती थीं लेकिन भारत में इसे पब्लिक सेक्टर कंपनी बनाती है। विदेशों वाली ईवीएम में वोट की पुष्टि का कोई सिस्टम नहीं था लेकिन भारत में वीवीपैट के जरिए इसकी पूरी तरह से पुष्टि हो जाती है।” जजों की ओर से यह भी कहा गया कि ”वीवीपैट की पारदर्शिता को लेकर दलील दी जा रही है। वह पहले से ऐसे ही है मशीन में बल्ब जलता है, वोट की पुष्टि करने के लिए सात सेकेंड का मौका भी मिलता है। यही मकसद था इसे लाने का”।
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हैक करना असंभव है
चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि ”बैलेट पेपर से मतदान ही नहीं, 100 फीसदी ईवीएम-वीवीपैट मिलान की मांग को भी सुप्रीम कोर्ट पहले खारिज कर चुका है। कुछ हाई कोर्ट भी ऐसी याचिकाओं को निराधार बता कर ठुकरा चुके हैं। ईवीएम एक स्टैंडअलोन मशीन है, जिसे हैक करना संभव ही नहीं है”। जस्टिस संजीव खन्ना ने प्रशांत भूषण से कहा कि- ”आप इस तरह हर वस्तु को लेकर अविश्वास नहीं जाहिर नहीं कर सकते। आपकी बातों को हमने विस्तार से सुना। चुनाव आयोग के प्रयासों को भी जाना। आपको भी इसकी सराहना करनी चाहिए। ईवीएम-वीवीपैट मिलान पांच फीसदी होगा, 40 होगा, 50 होगा या कुछ और EC- चुनाव आयोग को हर बात पर आपको सफाई देने की तो कोई जरूरत नहीं है। वे लोग अपना काम ही तो कर रहे हैं”।