तुगलक लेन से शिफ्ट हो रहा है राहुल गांधी का सामान, सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसियों की दुरुपयोग वाली याचिका को किया खारिज
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) संसदीय सदस्यता रद्द होने के बाद अब अपना सरकारी आवास खाली कर रहे है. 12 तुगलक लेन वाले उनके बंगले से उनके सामान को शिफ्ट किया जा रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का सामान सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ में शिफ्ट हो रहा है. गौरतलब है कि सदस्यता जाने के बाद लोकसभा सचिवालय ने उन्हें 22 अप्रैल तक बंगला खाली करने का नोटिस जारी किया था.
कहां रहेंगे राहुल गांधी?
वहीं, बंगला खाली होने के लेकर अब यह सवाल उठ रहा है कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) कहां रहेंगे. खबरों को मुताबिक राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी के साथ उनके आवास पर ही रह सकते हैं. वहीं, उनके कामकाज को लेकर कार्यालय के लिए घर भी ढूंढा जा रहा है.
आपको बता दें कि बंगला खाली करने का नोटिस मिलने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे समेत कई कांग्रेसी नेताओं ने उन्हें अपने साथ रहने को कहा था. वहीं, पार्टी मेरा घर राहुल का घर कैंपेन भी चलाया था.
राहुल ने फिर बोला केंद्र पर हमला
#WATCH | When asked about China, Congress leader Rahul Gandhi says, "The question is whose money is there in Adani's shell companies." pic.twitter.com/jKGJufkoQd
— ANI (@ANI) April 5, 2023
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने आज एक फिर गौतम अडानी को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला. दरअसल मीडिया ने राहुल गांधी से चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के कुछ जगहों का नाम बदलने को लेकर सवाल पूछा था. लेकिन राहुल गांधी उनके सवालों का जवाब देते हुए कहा कि- “मुख्य सवाल ये है कि- अडानी जी की शेल कंपनी में जो 20 हजार करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति है. वो किसकी है?”
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
ईडी-सीबीआई के 'दुरुपयोग' पर 14 राजनीतिक दलों की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की
पूरी ख़बर- https://t.co/urVNGfl0LV pic.twitter.com/iGMfbTEOCG— BBC News Hindi (@BBCHindi) April 5, 2023
वहीं, दूसरी ओर आज सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस समेत 14 राजनीतिक दलों द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया है. याचिका में राजनीतिक दलों ने केंद्रीय जांच एजेंसियों का मनमाना इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए दिशा- निर्देश जारी करने की मांग की थी.
राजनीतिक दलों की ओर से याचिका दायर करने वाले वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने यह तर्क दिया था कि साल 2014 के बाद से सीबीआई और ईडी के मामलों में 600 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है. वहीं, 95 प्रतिशत जांच विपक्षी दलों के नेताओं के यहां पर की गई है.
बिना तथ्य दिशा निर्देश देना खतरनाक
राजनीतिक दलों द्वारा दी गई इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि- कि क्या हाम इन आंकड़ों की वजह से कह सकते हैं कि कोई जांच या कोई मुकदमा नहीं होना चाहिए?
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने यह कहते हुए याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया कि- “विशेष मामले के तथ्यों के बिना सामान्य दिशानिर्देश निर्धारित करना संभव नहीं है. जब आपके पास व्यक्तिगत आपराधिक मामला हो तो हमारे पास वापस आएं. बिना किसी तथ्य के दिशा निर्देश देना खतरनाक होगा.”