May 3, 2024

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Atiq Ahmed Story: प्रयागराज का माफिया अतीक जो अब अतीत बन गया, एक क्लिक में जानें उसके आतंक के दुनिया की सारी कुंडली

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Atiq Ahmed Story: अतीक अहमद (Atiq Ahmed) वो नाम जिसकी प्रयागराज में कभी तूती बोला करती थी. कल रविवार 16 अप्रैल की देर शाम उसे औऱ उसके भाई अशरफ अहमद को उसके पैतृक कब्रिस्तान कसारी-मसारी में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. इसके साथ ही प्रयागराज से उसकी दहशत का भी दफन हो गया.

लेकिन क्या आपको पता हैं कि एक साधाराण परिवार में जन्मा अतीक ने जुर्म कि दुनिया में कैसे अपना इतना बड़ा साम्राज्य स्थापित कर लिया? दहशत ऐसा कि वो जो कहता तो वहीं होता था. जब मन, जिसे चाहा उठा लिया. किसी को मार दिया, जमीन हड़प ली आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से यह बताने जा रहे हैं कि एक तांगेवाला का बेटा अतीक अहदम (Atiq Ahmed) कैसे पूरे यूपी पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया.

पिता रेलवे स्टेशन पर चलाते थे तांगा

Atiq Ahmed

अतीक अहदम (Atiq Ahmed) का जन्म 10 अगस्त साल 1962 में प्रयागराज (जो उस समय इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था) में एक साधारण से परिवार में हुआ था. उसके परिवारिक स्थिति का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उसके पिता फिरोज आलम रेलवे स्टेशन पर तांगा चलाने का काम करते थे. जिससे पूरे परिवार का गुजारा चलता था. उसके पिता ने उसकी पढ़ाई के लिए उसका दाखिला स्कूल में करा दिया.

लेकिन जानकारों का कहना है कि अतीक का पढ़ाई में मन नहीं लगता था और वह हाईस्कूल में भी फेल हो गया था. इसके अलावा लोगों का यह भी कहना है कि अतीक अहमद (Atiq Ahmed) को गरीबी से काफी नफरत था. जिसे मिटाने या कहे कि उससे उबरने के लिए वो जुर्म के रास्ते की ओर चल पड़ता है. यहीं से उसके जुर्म के दुनिया की शुरुआत होती है.

गुरु चांद बाबा की हत्या कर बनाया दबदबा

Atiq Ahmed

अतीक अहदम (Atiq Ahmed) ने जब इस अंधेरी दुनिया में कदम रखा तब उस समय प्रयागराज में कुख्यात गैंगस्टर शौक-ए-इलाही (Shauk-e-Ilahi) जिसे चांद बाबा के नाम से जाना जाता था. पूरे शहर में उसका दबदबा बोलता था. आम लोगों की तो बात ही छोड़िए नेता पुलिस सब उसका नामों से कांपते थे.

एक बार जब प्रयागराज के तत्कालीन एसपी ने उसे गिरफ्तार करने के लिए घेराबंदी की तो उसे यह बात इतना नागवार गुजरी की उसने पूरे थाने में इतने बम मारे की पूरी पुलिस अपने आप को थानें में बंद करना पड़ा.

Atiq Ahmed

इधर अतीक अहमद (Atiq Ahmed) के क्राइम का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा था. कहा जाता है कि अतीक चांद बाबा को अपना गुरु मानता था. लेकिन किसे पता था कि अतीक अहमद जिसे अपना गुरु मानता है उसे ही एक दिन रास्ते लगाकर प्रयागराज का इकलौता बाहुबली बन जाएगा. लेकिन साल 1979 में अतीक ने यह काम भी कर डाला.

चांद बाबा की हत्या करने के बाद अतीक अहमद (Atiq Ahmed) का दबदबा इतना बढ़ गया कि अब उसके नाम की चर्चा पूरे प्रदेश में होने लगी. इसके बाद लोगों की हत्या करना कराना, जमीन हड़पना और बिल्डरों को धमकाना और वसूली करना ये सब उसके लिए मामूली सी बात हो गई.

साल 1989 में बना पहली बार विधायक

Atiq Ahmed

अपराध की दुनियां में नाम कमाने के बाद अतीक अहमद (Atiq Ahmed) ने राजनीति की दुनिया में भी कदम रखा. यहां पर भी उसके नाम का सिक्का खूब चला. साल 1989 में अतीक ने पहली बार इलाहाबाद की पश्चिमी विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता.

बता दें कि यह वो सीट है, जहां से भारत के पहले प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरू ने भी चुनाव लड़ा था. अतीक इस सीट से पांच बार विधायक रह चुका था. इस दौरान उसने सपा और अपना दल से भी चुनाव लड़ा. वहीं, साल 2004 में वह फूलपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद चुना गया.

हार का बदला लेने के लिए राजू पाल की हत्या

Ateeq Ahmed Raju Pal

अतीक अहमद (Atiq Ahmed) के सांसद चुने जाने पर इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा की सीट खाली हो गई. जिसके बाद अतीक वहां से अपने भाई अशरफ अहमद को चुनाव लड़ाने का ऐलान किया. लेकिन बसपा की सीट से चुनाव लड़कर राजू पाल ने अतीक के भाई को हरा दिया. अतीक यह हार नहीं पचा पा रहा था.

इस हार को वह अपने अपमान के साथ जोड़कर देखने लगा. जिसके बाद उसने राजू पाल के हत्या की साजिश रचा और अपने शूटरों से राजू पाल को एक दर्दनाक मौत दी और अपराध की दुनिया में अपना वर्चस्व बरकरार रखने का भी संकेत दिया.

Atiq Ahmed

लेकिन यहीं से उसके अपराध के दुनिया का पन्ना पलटने लगा. साल 2005 में पुलिस ने उसे पहली बार राजू पाल की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार किया. वहीं, राजू पाल के दोस्त उमेश पाल ने अतीक के खिलाफ गवाही देने को तैयार हुआ. लेकिन इस दौरान भी अतीकगवाही देने वाले उमेश पाल को किडनैप करा लिया और उसे गवाही नहीं देने के लिए कहा. इस दौरान अतीक के गुर्गों ने 3 दिनों तक उमेश पाल की पिटाई की और उसे बंद रखा.

 2019 में पहली बार मिली मात

Atique Ahmed

लेकिन समय का चक्र बदला अतीक अहमद (Atiq Ahmed)  ने साल 2019 में अतीक एक बार फिर प्रतापगढ़ से सांसदी का चुनाव लड़ा लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा. ये उसके दबदबा के खत्म होने का एहसास करा रहा था. इसके बाद उसे प्रयागराज के नैनी जेल से शिफ्ट कर गुजरात के साबरमती जेल में भेज दिया गया.

इधर उमेश पाल की गवाही उसके लिए सिरदर्द बना रहा. वहीं, प्रदेश के बाहर जाते ही अब उमेश पाल मुखर होकर अतीक के खिलाफ आवाज उठाने लगा. जिसके बाद अतीक अहमद (Atiq Ahmed)  ने उसे रास्ते से हटाने का निर्णय लिया.

जेल में रची उमेश के हत्या की साजिश

Guddu Muslim arrested

जिसके बाद अतीक अहमद (Atiq Ahmed) ने बरेली जेल में बंद भाई अशरफ के साथ मिलकर उमेश की हत्या का प्लान बनाया. बाहर से शूटर मंगाए गए प्रयागराज के मुस्लिम हॉस्टल में उसके बेटे असद अहमद ने शूटरों के साथ हत्या की प्लानिंग बनाई. वहीं, पत्नी शाइस्ता परवीन ने उमेश के हत्यारों के लिए रहने और असलहे का इंतजाम किया.

जिसके बाद पूरे प्लानिंग के तहत 24 फरवरी को जब उमेश पाल केस की सुनवाई कर अपने घर पहुंचे. तो वहां पहले से ही तैनात शूटरों ने उनपर ताबड़तोड़ हमला कर दिया. हमलावरों ने उमेश के साथ उनकी सुरक्षा में मौजूद दो सुरक्षाकर्मियों ( संदीप निषाद और राघवेंद्र सिंह) की भी हत्या कर दी. इसमें उसका बेटा असद भी शामिल था.

सीएम योगी ने कही मिट्टी में मिलाने की बात

उमेश की हत्या के दौरान यूपी में विधानसभा का सत्र चल रहा था. विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाते हुए योगी सरकार को घेरने की कोशिश की. जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भरे सदन में उमेश पाल के हत्यारों को मिट्टी में मिलाने की बात कही. जिसके बाद एक्शन मोड में आई पुलिस ने एक-एक करके 4 शूटरों को एनकाउंटर में मार गिराया. जिसमें अतीक अहमद (Atiq Ahmed)  का बेटा असद भी शामिल है.

कैमरे के सामने मारा गए अतीक और अशरफ

Atiq Ashraf shot dead

वहीं, इस दौरान उमेश पाल हत्याकांड में पूछताछ के लिए प्रयागराज लाए गए अतीक अहमद (Atiq Ahmed)  और उसके भाई अशरफ को पुलिस कस्टडी में मीडिया कर्मियों के सामने तीन हमलावरों ने मार गिराया. जिसके बाद दोनों का पोस्टमार्टम कर उन्हें रविवार की दरे शाम तक दफन कर दिया गया.

इस तरह अतीक ने जिस अपराध के दम पर अपने जुर्म का किला खड़ा किया था. उस किले की चाह रखने वाले तीन अपराधियों ने ही अतीक के किले को ढेर कर दिया.

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