केंद्र के इस अध्यादेश के खिलाफ विपक्ष से मदद मांगते फिर रहे हैं अरविंद केजरीवाल, सुप्रीम कोर्ट का भी खटखटाया दरवाजा
दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर- पोस्टिंग का मुद्दा शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। एक बार फिर इस मुद्दे को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार आमने सामने आ गई हैं। एक तरफ जहां केंद्र सरकार ने आध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया है वहीं दूसरी तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
बता दें कि अभी कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार (Arvind Kejriwal) की ताकत को बढ़ाते हुए जमीन, पुलिस और कानून-व्यवस्था को छोड़कर बाकी सारे प्रशासनिक फैसले लेने के लिए दिल्ली सरकार को स्वतंत्रता प्राप्त की थी अधिकारियों और कर्मचारियों का ट्रांसफर- पोस्टिंग करने का भी अधिकार दिल्ली सरकार को दिया था और उपराज्यपाल को आदेश दिया था कि सिर्फ तीन मुद्दों को छोड़कर उन्हें दिल्ली सरकार के बाकी फैसले मानने पड़ेंगे।
दिल्ली सरकार के पक्ष में सुनाया था फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को अधिकारियों को नियंत्रित करने का अधिकार नहीं दिया गया तो जवाबदेही तय करने के सिद्धांत का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर अधिकारियों ने मंत्रियों को रिपोर्ट करना बंद कर दिया या उन्होंने मंत्रियों के निर्देश नहीं माने तो सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत पर असर पड़ेगा।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों (IAS) पर भी दिल्ली सरकार का नियंत्रण रहेगा, भले ही वे उसकी तरफ से नियुक्त न किए गए हों।’
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाई केंद्र सरकार
अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को पलटने के लिए कमर कस ली है। केंद्र एक अध्यादेश लाई है ये अध्यादेश देश के राष्ट्रपति की तरफ से जारी होता है क्योंकि जब संसद सत्र नहीं चलता और जरुरत पड़ने पर इसी के तहत कानून बनाया जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 123 में अध्यादेश का जिक्र है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर राष्ट्रपति के पास अध्यादेश जारी करने का अधिकार है।
ये अध्यादेश संसद से पारित कानून जितने ही शक्तिशाली होते हैं। अध्यादेश के साथ एक शर्त जुड़ी होती है। अध्यादेश जारी होने के छह महीने के भीतर इसे संसद से पारित कराना जरूरी होता है। अध्यादेश के जरिए बनाए गए कानून को कभी भी वापस लिया जा सकता है। अध्यादेश के जरिए सरकार कोई भी ऐसा कानून नहीं बना सकती, जिससे लोगों के मूल अधिकार छीने जाएं। केंद्र की तरह ही राज्यों में राज्यपाल के आदेश से अध्यादेश जारी हो सकता है।