Amit Shah: सैम पित्रोदा पर आया गृहमंत्री अमित शाह को गुस्सा, कांग्रेस को नसीहत, ”घोषणा पत्र वापस लें”
Amit Shah: गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। सैम पित्रोदा वाले बयान पर भाजपा कांग्रेस पर हमलावर है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कुछ दिनों पहले एक बयान देते हुए कहा था कि अगर उनकी सरकार चुनाव के बाद सत्ता में आती है तो एक सर्वे कराया जाएगा और जिसके तहत यह पता लगाया जाएगा कि किसके पास कितनी संपत्ति है। राहुल गांधी के इसी बयान पर अमित शाह भड़के हुए हैं। अमित शाह ने बोल भी दिया कि कांग्रेस का मकसद साफ दिख रहा है वह जनता से उनकी निजी संपत्ति को सरकारी खजाने में डालकर इसका बंटवारा माइनोरिटी में करने चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने भी इस मामले में अपनी चुप्पी तोड़ते हुए मुद्दे को उठाया।
घोषणापत्र में ‘सर्वेक्षण’ का जिक्र,
अमित शाह ने आगे कहा कि ‘‘पहले तो कांग्रेस के घोषणापत्र में ‘सर्वेक्षण’ का जिक्र, मनमोहन सिंह जी का बयान जो कांग्रेस की विरासत है, ‘ ‘देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है।” उन्होंने आगे कहा कि ”धन के वितरण पर विचार-विमर्श होना चाहिए।”
सैम पित्रोदा के बयान को गंभीरता से लें
अमित शाह यह भी बोले कि सैम पित्रोदा ने कहा है कि ”आज सैम ने कांग्रेस का मकसद साबित कर दिया है। कांग्रेस लोगों की निजी संपत्ति को हड़पना चाहती है। जनता की संपत्ति को सरकारी संपत्ति में रखना चाहते हैं और UPA के शासनकाल के दौरान निर्णय के अनुसार वितरित करेंगे। कांग्रेस को या तो इसे अपने घोषणापत्र से वापस लेना चाहिए या स्वीकार करना चाहिए कि यह वास्तव में उनका इरादा यही है। मैं चाहता हूं कि लोग सैम पित्रोदा के बयान को गंभीरता से लें। उनके इरादे सामने आ चुकें हैं। इसका पता जनता को लगाना चाहिए।”
क्या है विरासत टैक्स?
नेता राहुल गांधी ने कुछ दिनों पहले एक बयान में कहा था कि अगर चुनाव के बाद उनकी सरकार सत्ता में आई तो एक सर्वे कराया जाएगा और पता लगाया जाएगा कि किसके पास कितनी संपत्ति है? इस बयान पर सैम पित्रोदा से सवाल पूछा गया तब उन्होंने कहा कि ”अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है। मान लो अगर किसी शख्स के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है। उसके मरने के बाद 45 फीसदी संपत्ति उसके बच्चों को ट्रांसफर हो जाती है जबकि 55 फीसदी संपत्ति पर सरकार का मालिकाना हक हो जाता है।”
सैम पित्रोदा ने आगे बताया कि ”यह कानून बहुत मजेदार है। इसके अंतर्गत यह है कि आपने जीवन में जितनी संपत्ति कमाई और आप के मरने के बाद उस संपत्ति पर आधा हक जनता का होगा, जो मुझे ठीक लगता है। लेकिन भारत में ऐसा कोई कानून नियम नहीं है। यहां अगर किसी के पास 10 अरब रुपये की संपत्ति है। उसके मरने के बाद उनके बच्चों को सारी की सारी संपत्ति मिल जाती है, जनता के लिए कुछ नहीं बचता। मुझे लगता है कि इस तरह के मुद्दों पर लोगों को चर्चा विमर्श करना चाहिए”। पित्रोदा ने कहा कि ”उन्हें पता नहीं इसका निष्कर्श क्या निकलेगा? लेकिन उनके कहना का मतलब है नई नीतियां नए प्रोगाम कि बात वह कर रहें हैं। जो लोगों के हित में हो ना कि सिर्फ अमीरों के हित में हो।”